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मनमोहक गंदी कहानियाँ... RoccoSam
#89
आज की साँझ पहले से अधिक सुन्दर लग रही थी। और क्यों हो! अब मेरे पास केरल में रहने का एक और कारण था। सबसे बड़ा कारण। अब तो मुझे यहाँ उम्र भर रहना था। यह अब मेरी जीवन भूमि थी। प्रत्येक पुरुष के जीवन में एक समय आता है जब उसको स्थिरता चाहिए होती है। यह स्थिरता उसको मिलती है अपने कार्य से, अपने व्यवसाय से, और अपने जीवन में प्रेम के आगमन से। यह सब उसको सम्हाले रखती हैं। नहीं तो पुरुष की हालत समुद्र की लहरों पर इधर उधर डोलती नौका जैसी ही रह जाए। यह सब उसको अपने जीवन पर नियंत्रण देती हैं और एक प्रयोजन देती हैं। मुझे अपना कार्य मिल गया, अपना व्यवसाय मिल गया और अब अल्का के रूप में जीवन प्रेम भी! अल्का ने मुझे अपने प्रेमी के रूप में स्वीकारा था - अब मेरे जीवन में एक प्रयोजन था। उसके साथ बंध जाना। कृषि मेरा व्यवसाय और अल्का मेरा प्रेम। यहाँ कर मेरे जीवन में तेजी से बदलाव आने लगा था। मुझे मालूम था कि हमारी राह आसान नहीं थी, लेकिन कम से कम हमारी एक राह तो थी। और यदि ईश्वर ने चाहा तो सब कुछ संभव है। अभी से भविष्य की चिंता क्यों करना!


मैं रह रह कर अल्का की तरफ़ देखता। अल्का भी बदली हुई थी - पूरी साँझ उसकी नज़र नीची ही रहीं और होंठों पर मंद मंद मुस्कान! वही लड़की जिसको जब से होश सम्हाला, तब से जानता हूँ - वही लड़की कितनी अलग सी लग रही है! सबसे सुन्दर लग रही है, सबसे अच्छी लग रही है। उसकी मुस्कान... ओह!

मुस्कुराती है तो कितनी सुन्दर लगती है


कहीं सुना था कि ख़ुद को चाहे जाने का एहसास सबसे अनोखा होता है। जब दो लोग एक दूसरे के प्रेम में पड़ जाते हैं, तो अचानक ही उनको यह संसार अलग सा लगने लगता है। अपने प्रियतम के आस पार का संसार अचानक ही सुन्दर सा हो जाता है। प्रेम में पड़े व्यक्ति के अंदर एक नई ऊर्जा का संचार होने लगता है। उसको केवल अपने साथी का ही ख़याल रहता है, जैसे संसार में प्रियतम के अतिरिक्त और कोई हो!

अल्का कम बोल रही थी। अधिक मुस्कुरा रही थी। काम करते करते, रह रह कर कोई गीत गुनगुना रही थी। एक अलग ही धुन में मगन थी आज। खाना रोज़ की तरह अल्का ने ही पकाया था। लेकिन आज खाने में एक अलग ही स्वाद था - और यह बात मैंने ही नहीं, बल्कि अम्मम्मा ने और चिन्नम्मा दोनों ने ही यह अंतर महसूस किया। अम्मम्मा का तो नहीं मालूम, लेकिन चिन्नम्मा ने अल्का के व्यवहार में अंतर महसूस किया।

क्या बात है मोलूट्टी, आज तो तू बहुत अधिक प्रसन्न दिख रही है!” चिन्नम्मा ने पूछ ही लिया। उनके प्रश्न पर अल्का के गालों पर एक लाली सी फ़ैल गई, जो उनसे छुपी रह सकी।

कुछ नहीं चिन्नम्मा। कल से चिन्नू का काम शुरू हो जाएगा , वही सोच कर खुश हो रही हूँ!” अल्का ने बड़ी सफाई से अपनी प्रसन्नता का सच कारण छुपा लिया।

हाँ! प्रसन्नता की बात तो है ही। कौन भला अपने गाँव वापस आता है! थोड़ा भी पढ़ लिख लेते हैं गाँव के लड़के, तो वो शहर की तरफ भागने लगते हैं। लेकिन अपना चिन्नू तो पढ़ लिख कर आया है शहर से वापस! बस मन लगा कर, परिश्रम करना। देखना, ईश्वर ने चाहा, तो इस वर्ष हमारे घर में ढेर सारा हर्ष और उल्लास आएगा!”


कहते हुए चिन्नम्मा ने मुझे और अल्का को बारी बारी से कई बार देखा। उनकी बात सुन कर अल्का के गालों की लालिमा और बढ़ गई।

अब समझी! कल के शुभ काम के लिए आज का भोजन इतना स्वादिष्ट पकाया है मोलूट्टी ने?”


चिन्नम्मा ने कहा! अल्का और मुझे दोनों को ही लगा कि शायद हमारी पोल खुल गई। चिन्नम्मा ने और कुछ नहीं कहा, बस मुस्कुराते हुए खाना खाने लगीं। उधर अम्मम्मा मुझसे आने वाले दिनों के बारे में बात करती रहीं, और मेरे कार्य के बारे में कई सारे प्रश्न पूछने लगीं। और मैं उनको सब बताता, और समझाता रहा। बीच बीच में मैं अल्का को देखता, वो उसको अपनी तरफ देख कर मुस्कुराता हुआ पाता।
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RE: मनमोहक गंदी कहानियाँ... RoccoSam - by usaiha2 - 17-07-2021, 06:26 PM



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