17-07-2021, 06:12 PM
अगले दिन जब मैं उठा तो मेरे शॉर्ट्स के सामने गीला, चिपचिपा धब्बा बना हुआ था। मुझे स्वप्न-दोष हो गया था। शॉर्ट्स के साथ साथ ओढ़ने वाली चद्दर और बिस्तर का बिछौना, दोनों भी गीले हो गए थे!
‘बाप रे! कितना सारा वीर्य गिरा है!’
मुझे मालूम था, कि अल्का जब यह सब गन्दगी देखेगी तो समझ जायेगी कि यह सब उसकी पारदर्शक चड्ढी से होने वाले अंग-प्रदर्शन के का प्रभाव है। उसी के कारण मुझे ‘वो’ सपना भी आया था। सपने में मैंने देखा कि अल्का और मैं, हम दोनों पूर्ण नग्न हो कर नीले समुद्र में तैर रहे हैं। तैरने के बाद हम समुद्र-तट पर एक चद्दर के ऊपर साथ साथ लेट गए हैं। मेरा एक हाथ उसके एक स्तन पर था और दूसरा उसकी जाँघों के बीच की गहराई में उतर रहा था। मेरी उंगलियां उसकी योनि की गहराई माप रही थीं। अल्का भी मेरे तने हुए लिंग को अपनी मुट्ठी में भरे ऊपर नीचे कर रही थी। कुछ देर के बाद मेरे अंदर का लावा तीव्र वेग से हवा में उछल जाता है, और अल्का के हाथ पर गिर जाता है। यही काम सोते समय मेरे लिंग ने भी कर दिया होगा। यह सब गन्दगी उसी की निशानी है।
मैं जल्दी से गुसलखाने में गया, और वहां जा कर खुद की और शॉर्ट्स की सफाई करी। वहां एक कपड़े को गीला कर के मैं शयनकक्ष में वापस आया, जिससे की चद्दर साफ़ कर सकूँ, लेकिन तब तक बहुत देर हो गई थी। अल्का बिस्तर पर से चद्दर बदल चुकी थी, और निश्चित तौर पर वो मेरे कारनामे देख चुकी थी। मुझे कमरे में आते देख कर उसने मुस्कुराते हुआ कहा,
“नॉटी नॉटी! कल किसके सपने देख रहा था मेरा चिन्नू?”
मैं शर्म के मारे ज़मीन में गड़ा जा रहा था। कुछ कहते नहीं बना। और वो कहते जा रही थी,
“ज़रूर बहुत ही सुन्दर रही होगी वो! कौन थी वो चिन्नू?”
अल्का की बात से मुझे एक बात तो समझ आई और वो यह कि उसको स्त्री-पुरुष के शारीरिक भेद, अंतर और प्रक्रियाओं के बारे में मालूम था। और एक बात, अल्का के सामने मैं यह नहीं मान या कह सकता था कि मैं उसके ही सपने देख रहा था। यह बात सुन कर वो शर्मसार हो सकती थी, या नाराज़! इस दशा में कुछ न कहना ही श्रेयस्कर था। अल्का मेरे मन में चल रही इन सब बातों से बेखबर मेरी टाँगे खींचने में लगी हुई थी।
“क्या हुआ? कुछ बोलते क्यों नहीं?”
उसकी चिढ़ावन भरी ज़िद से तंग आ कर मैं आखिरकार बोल ही पड़ा, “अगर जानना ही चाहती हो तो सुनो! मैं तुम्हारे सपने देख रहा था! अब खुश?”
और जैसा कि मैंने सोचा था, वो शर्म से लाल हो गई। अल्का के गालों में सुर्ख रंग उत्तर आया था। मैं खुद भी शर्मसार हो गया था। मैं मुड़ा, और कमरे से बाहर निकलने लगा। बाहर निकलते निकलते मुझे भ्रम हुआ की अल्का बुदबुदा रही है :
“और मैं तुम्हारे…”
अल्का दिन भर बाहर ही रही, और मैं खेत पर। अपने कर्मचारियों से बात करना, उनसे मेल जोल बढ़ाना, उनका हाल चाल और सेहत का ध्यान रखना ज़रूरी है, अगर आप अपनी खेती में बरकत चाहते हैं । शाम को जब मैं वापस आया तो थक कर चूर हो गया था। अल्का रसोईघर में व्यस्त थी। आज रात बहुत उमस थी - अच्छा संकेत था कि बारिश बस आने ही वाली है! दिन भर अल्का से बात करने का कोई अवसर ही नहीं मिल सका। रात में भी नहीं। रात में अल्का मुस्कुराते हुए बिस्तर में आ कर लेट गई। आज अधिक बात नहीं हो पाई। और मैंने उससे उसकी मुस्कराहट का कारण नहीं पूछा। नींद जल्दी ही आ गई।
‘बाप रे! कितना सारा वीर्य गिरा है!’
मुझे मालूम था, कि अल्का जब यह सब गन्दगी देखेगी तो समझ जायेगी कि यह सब उसकी पारदर्शक चड्ढी से होने वाले अंग-प्रदर्शन के का प्रभाव है। उसी के कारण मुझे ‘वो’ सपना भी आया था। सपने में मैंने देखा कि अल्का और मैं, हम दोनों पूर्ण नग्न हो कर नीले समुद्र में तैर रहे हैं। तैरने के बाद हम समुद्र-तट पर एक चद्दर के ऊपर साथ साथ लेट गए हैं। मेरा एक हाथ उसके एक स्तन पर था और दूसरा उसकी जाँघों के बीच की गहराई में उतर रहा था। मेरी उंगलियां उसकी योनि की गहराई माप रही थीं। अल्का भी मेरे तने हुए लिंग को अपनी मुट्ठी में भरे ऊपर नीचे कर रही थी। कुछ देर के बाद मेरे अंदर का लावा तीव्र वेग से हवा में उछल जाता है, और अल्का के हाथ पर गिर जाता है। यही काम सोते समय मेरे लिंग ने भी कर दिया होगा। यह सब गन्दगी उसी की निशानी है।
मैं जल्दी से गुसलखाने में गया, और वहां जा कर खुद की और शॉर्ट्स की सफाई करी। वहां एक कपड़े को गीला कर के मैं शयनकक्ष में वापस आया, जिससे की चद्दर साफ़ कर सकूँ, लेकिन तब तक बहुत देर हो गई थी। अल्का बिस्तर पर से चद्दर बदल चुकी थी, और निश्चित तौर पर वो मेरे कारनामे देख चुकी थी। मुझे कमरे में आते देख कर उसने मुस्कुराते हुआ कहा,
“नॉटी नॉटी! कल किसके सपने देख रहा था मेरा चिन्नू?”
मैं शर्म के मारे ज़मीन में गड़ा जा रहा था। कुछ कहते नहीं बना। और वो कहते जा रही थी,
“ज़रूर बहुत ही सुन्दर रही होगी वो! कौन थी वो चिन्नू?”
अल्का की बात से मुझे एक बात तो समझ आई और वो यह कि उसको स्त्री-पुरुष के शारीरिक भेद, अंतर और प्रक्रियाओं के बारे में मालूम था। और एक बात, अल्का के सामने मैं यह नहीं मान या कह सकता था कि मैं उसके ही सपने देख रहा था। यह बात सुन कर वो शर्मसार हो सकती थी, या नाराज़! इस दशा में कुछ न कहना ही श्रेयस्कर था। अल्का मेरे मन में चल रही इन सब बातों से बेखबर मेरी टाँगे खींचने में लगी हुई थी।
“क्या हुआ? कुछ बोलते क्यों नहीं?”
उसकी चिढ़ावन भरी ज़िद से तंग आ कर मैं आखिरकार बोल ही पड़ा, “अगर जानना ही चाहती हो तो सुनो! मैं तुम्हारे सपने देख रहा था! अब खुश?”
और जैसा कि मैंने सोचा था, वो शर्म से लाल हो गई। अल्का के गालों में सुर्ख रंग उत्तर आया था। मैं खुद भी शर्मसार हो गया था। मैं मुड़ा, और कमरे से बाहर निकलने लगा। बाहर निकलते निकलते मुझे भ्रम हुआ की अल्का बुदबुदा रही है :
“और मैं तुम्हारे…”
अल्का दिन भर बाहर ही रही, और मैं खेत पर। अपने कर्मचारियों से बात करना, उनसे मेल जोल बढ़ाना, उनका हाल चाल और सेहत का ध्यान रखना ज़रूरी है, अगर आप अपनी खेती में बरकत चाहते हैं । शाम को जब मैं वापस आया तो थक कर चूर हो गया था। अल्का रसोईघर में व्यस्त थी। आज रात बहुत उमस थी - अच्छा संकेत था कि बारिश बस आने ही वाली है! दिन भर अल्का से बात करने का कोई अवसर ही नहीं मिल सका। रात में भी नहीं। रात में अल्का मुस्कुराते हुए बिस्तर में आ कर लेट गई। आज अधिक बात नहीं हो पाई। और मैंने उससे उसकी मुस्कराहट का कारण नहीं पूछा। नींद जल्दी ही आ गई।