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मनमोहक गंदी कहानियाँ... RoccoSam
#72
शाम को मैंने भी खाना पकाने में अल्का और चिन्नम्मा की सहायता करी। केरल में शाकाहार करने वाले काम ही हैं। मछली का सेवन भोजन में काफ़ी होता है। प्रोटीन का बहुत अच्छा स्रोत है। लेकिन यहाँ लोग चावल खूब खाते हैं। इसलिए अधिकतर लोग बड़ी सी तोंद निकाले घूमते रहते हैं। खैर, आज शाकाहारी भोजन की व्यवस्था थी। मैंने अल्का के सञ्चालन में सांबर और अवियल पकाया, और उन दोनों ने चावल, तोरन, अदरक की चटनी और नारियल की बर्फी बनाई।

खाने के समय नानी ने हमको अपने बचपन और जवानी के कई किस्से सुनाये, जो अल्का पहले भी कई बार सुन चुकी थी, लेकिन मेरे लिए नए थे। इसलिए मैंने पूरी दिलचस्पी के साथ नानी की बातें सुनी। नया श्रोता पा कर नानी भी देर तक किस्से कहानियाँ सुनाती रहीं।
ऐसे ही बातें करते हुए जाने क्यों अल्का ने चिन्नम्मा से कहा, “चिन्नम्मा, कल चिन्नू का अभ्यंगम कर देना... इतनी दूर से आया हुआ है, उसकी कुछ तो सेवा करी जाए।

अभ्यंगम पूरे शरीर की तेल-मालिश को कहते हैं। मालिश तो वैसे भी फायदेमंद क्रिया है, लेकिन अभ्यंगम के बाद क्या शारीरिक और क्या मानसिक - दोनों ही प्रकार की थकान निकल जाती है। चिन्नम्मा वैसे भी मेरी मालिश कई बार कर चुकी हैं। हर छुट्टी में यह एक नियम सा था। जैसे केरल घूमने जाने वाले आज कल के पर्यटकों को कुछ चीज़ें करनी ही होती हैं, वैसा। चिन्नम्मा की मालिश में बस एक ही दिक्कत थी और वह यह कि वो सबसे पहले मुझे नंगा कर देती थीं, फिर चाहे घर में कोई भी हो। और फिर मालिश से लेकर नहलाने तक का सारा काम वो ही करती थीं। पूरा काम करने में कोई दो घंटा लग जाता था, और पूरे दो घंटे तक मैं नंगा ही रहता था। मालिश के चक्कर में कई बार शर्मसार होना पड़ा था मुझे। लेकिन तब मैं छोटा था, इसलिए कोई बात नहीं थी। लेकिन अब मैं बड़ा हो गया था। इसलिए डर इस बात का था कि कहीं चिन्नम्मा वापस अपनी तर्ज़ पर ही शुरू हो जाएँ।

ठीक है मोलूटी!” उन्होंने सहमति जताई।


रात में सोने से पहले मैं और अल्का पूरे दिन के घटनाक्रम पर कुछ देर बातें करते थे। अम्मा और अच्चन से इस तरह खुल कर तो शायद ही कभी बात करी हो मैंने। आज कल हमारी अधिकतर चर्चा मेरे खेती के प्रयोग पर ही होती थी। ऐसे ही कुछ देर तक बतियाने के बाद मैंने अल्का से कुछ पर्सनल बात करने की सोची।

अल्का, तुमने अभी तक शादी क्यों नहीं करी?”

चिन्नू, अब तुम भी मत शुरू हो जाओ!”

सॉरी अम्माई!”

अरे! फिर से अम्माई!” अलका ने कहा। कुछ देर तक हम दोनों ही चुप रहे फिर अल्का ही बोली, “चिन्नू... सॉरी वाली बात नहीं है। यहाँ लोगों को सिर्फ गोरा रंग चाहिए, या फिर धन या फिर दोनों! गोरा रंग मेरे पास है नहीं, और धन तो तुम सबका है। फिर कौन करता मुझसे शादी? अब तो मेरी उम्र भी बहुत हो गई। मेरी कई सहेलियों के तो दस दस साल के बच्चे हैं। अब क्या होगी मेरी शादी! और सच पूछो तो मुझे करनी भी नहीं है शादी किसी से... यहाँ अपने घर में हूँ, और ठाठ से हूँ। तो फिर क्यों मैं किसी और के पास जाऊँ और उसकी नौकर बन के रहूँ? और फिर अम्मा को कौन देखेगा? और इतनी बड़ी खेती! उसका क्या?”


अल्का की बात पर मैं काफी देर तक चुप रहा और फिर बोला,

अगर तुमको ऐसा आदमी मिल जाए जो तुम्हारे रंग, तुम्हारे धन से नहीं, सिर्फ तुमसे प्यार करे, तो?”

सो जाओ चिन्नू..”


मैं चुप हो गया। कुछ देर के बाद मुझे लगा कि अल्का सुबक रही है। मुझे ग्लानि का अनुभव हुआ। अनजाने में ही मैंने अल्का को दुःख पहुँचाया था और मुझे उस बात का खेद था। मैंने उसकोसॉरीकहा, और फिर उसको अपने से दुबका का कर सुलाने की कोशिश करने लगा। मुझे कब नींद गई, कुछ याद नहीं।
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RE: मनमोहक गंदी कहानियाँ... RoccoSam - by usaiha2 - 17-07-2021, 06:06 PM



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