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मनमोहक गंदी कहानियाँ... RoccoSam
#55
Wink 
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सोनाली कि ऊपर नीची होती साँस जब थोड़ी सी नियमित हुई तो उसने अपनी आँखे खोली और बड़ी ही सावधानी से चूत के पानी से भरी अपनी हथेली अपने गांड़ के नीचे से बाहर निकाली, ये ध्यान में रखते हुए कि पानी बिस्तर पर छलक ना जाये. सुरेश अभी भी आश्चर्यचकित नज़रों से कभी उसकी झड़ी हुई चूत तो कभी उसकी हथेली में भरा चूत का पानी देख रहा था.

" पीना है क्या सुरेश भैया ? ". सोनाली ने मज़ाक में कहा और चूत - मलाई से भरी अपनी हथेली उसके मुँह के सामने कर दी.

पर सुरेश ने तो उसकी बात सीरियस ले ली ! उसने अपना नाक आगे करके पहले तो चूत रस का गंध सूंघा. सोनाली के चूत का क्रीम, बर्फ से निकाली हुई ताज़ी मछली के जैसा महक रहा था. सुरेश को ये गंध बहुत ही तेज़ लगी, मगर पसंद नहीं आई. उसे अब इसका स्वाद चख कर देखना था. जैसे कोई अपनी हथेली से नल का पानी पीता है, सुरेश ने सोनाली कि हथेली में अपना मुँह लगा दिया. एक ही साँस में कम से कम दो चम्मच भर चूत का पानी अपने मुँह में टान लिया, दो सेकंड के लिये पानी मुँह में रखा, फिर सीधा गले के अंदर गटक गया ! थोड़ा नमकीन और खट्टा खट्टा सा उसका टेस्ट उसके मन को खुब भाया ! उसकी इस हरकत पर सोनाली ज़ोर से हँस पड़ी तो उसकी हथेली से थोड़ा सा पानी छलक कर नीचे चादर पर गिर गया.

" Wait... हिलना मत ! ". सुरेश झट से बिस्तर पर से उठा.

सोनाली कि चूत चाटते वक़्त उसने तिरछी नज़रों से देखा था कि नंदिनी ने कुछ देर पहले क्या किया था. उसी का आईडिया अपना कर वो Dressing Table पर पड़े Whisper Ultra Soft के पैकेट से एक नया पैड निकाल लाया और सोनाली कि हथेली पकड़ कर बड़ी ही सावधानी से चूत का पानी उसपे उड़ेल दिया. फिर पैड ने जब पूरा पानी सोख लिया तो उसने पैड वहीं ज़मीन पर फेंक दिया.

" क्या कर रहे हो भैया ! पैड ऐसे बर्बाद मत करो, जब हमें ज़रूरत पड़ेगी तो फिर कहाँ से आयेगी ? ". नंदिनी ने अपनी कुर्ती उतारते हुए कहा. वो अब पलंग के किनारे खड़ी थी जिधर अमन लेटा हुआ था.

सुरेश अपनी बहन कि बात का जवाब देता, इससे पहले ही अमन बिस्तर पर उठ बैठा और नंदिनी की गांड़ को अपने बाहों में भर कर उसके पजामे के ऊपर से उसकी चूत वाली जगह को चुम लिया और फिर बोला.

" मैं हूं ना... मैं ला दूंगा. तुम्हारी चूत की देख रेख अब मेरी जिम्मेदारी है ! ".

अमन ने ये बात इतने ज़ोर से बोली थी की उसकी बहन सोनाली और नंदिनी के भाई सुरेश ने साफ साफ सुन ली, पर ऐसा नाटक करने लगें की जैसे कुछ भी ना सुना हो . नंदिनी तो बेचारी शर्म के मारे झेप ही गई !

नंदिनी ने अपने पजामे का नाड़ा खोल कर पजामे को अंदर पहनी पैंटी सहित नीचे सरका दिया, और फिर अपने टांगों से निकाल कर वहीं बिस्तर पर फेंक दिया. अब जब वो अमन के सामने बिल्कुल नग्न अवस्था में खड़ी थी तब अमन समझा की नंदिनी को उसका भाई " मोटी " कह कर क्यूं चिढ़ाया करता था. दरअसल उसके कुल्हे और गांड़ उसकी उम्र की लड़की के हिसाब से काफी बड़े थें, मगर उसकी वजह से उसे " मोटी " कहना तो सही नहीं होगा, इसी वजह से असल में वो हद से ज़्यादा सेक्सी लगती थी. वो तो उसका भाई बस उसे तंग करने के लिये उसे ऐसा बुलाता था.

नंदिनी के शरीर में दो ऐसी चीज़े थीं जो उसकी खूबसूरती को और बढ़ाती थीं - एक तो उसके नाक का छोटा सा सोने का नथ, और दूसरा उसके कमर की करधनी ! साधारण से मोटे काले धागे की बनी उसकी करधनी ठीक उसके नाभी के नीचे से होकर गुजर रही थी और उसमें से एक धागा नीचे झूल रहा था जिसके अंतिम सिरे पर एक ताबीज़ बंधी हुई थी, जो की झूलते हुए बस वहाँ तक पहुँच रही थी जहाँ से उसकी चूत की फांक शुरू होती थी ! उसकी दोनों गदराई हुई जांघों के आपस में दबाव के कारण उसकी मांसल तिकोनी चूत फूल कर बाहर निकल आई थी. शहर की बनावटी लड़कियों की तरह उसने अपनी चूत शेव नहीं करी थी, बल्कि अपनी झांट को कैची से बस Trim किया हुआ था. अमन को समझ नहीं आ रहा था की कहाँ से शुरू करे ! सो पहले उसने नंदिनी की नाभी को सूंघा, फिर उसकी करधनी को , और फिर चूत की बारी आयी.

[Image: IMG-20200527-012631.jpg]

" ममममममम... कौन से साबुन से धोती हो ? बड़ी अच्छी महक आ रही है... ". एक सेकंड के लिये अमन ने अपना चेहरा नंदिनी की टांगों के बीच से निकाल कर उसकी ओर ऊपर देखते हुए पूछा और फिर वापस मुँह अंदर डाल दिया.

" सिर्फ पानी से धोती हूं, साबुन वगैरह लगाने से वहाँ की त्वचा ख़राब हो जाती है. ". नंदिनी ने अमन के बाल सहलाते हुए बताया, फिर एकदम धीरे से बोली, ताकि सिर्फ अमन सुन सके. " बस महीने में तीन चार दिन साबुन लगाना पड़ता है... समझ रहे हो ना अमन भैया ??? ".

नंदिनी ने नीचे देखा की अमन का लण्ड अब झड़ने की वजह से पूरा ढीला पड़ गया था. उसे बस एक ही चिंता खाये जा रही थी की अगर उसके लण्ड का सुपाड़ा नहीं खुला तो वो चोद पायेगा की नहीं. उसने पोर्न फिल्मों में देखा था की लड़के कैसे अपने लण्ड का सुपाड़ा खोल कर ही लड़कियों को पेलते हैं.

आखिरकार उसने सोनाली से पूछ ही लिया. " यार ये लण्ड का चमड़ा टाईट हो तो सुपाड़ा कैसे बाहर आता है ? ".

" मुझे क्या पता... डॉक्टर थोड़े ही हूं मैं ! ". सोनाली ने अपनी नाईटी उतारते हुए कहा. उसे पता था की नंदिनी क्या बोल रही है, क्यूंकि अभी कुछ देर पहले ही जब उसने अपने भैया का लण्ड देखा था तो ये नोटिस किया था की उसका सुपाड़ा खुला हुआ नहीं है !

" बताओ ना प्लीज़...तुम्हें तो सब पता होता है. ". नंदिनी ने ज़िद कि.

" नारियल तेल Try करके देख... ". सोनाली ने बेमन से कहा. वो अभी सिर्फ अपने और सुरेश के बारे में सोच रही थी.

सोनाली अब पूरी नंगी हो गई तो सुरेश भी अपने पजामे का नाड़ा खोलने लगा. उसके पजामे में बने तंबू को देखकर सोनाली भगवान से बस यही प्रार्थना कर रही थी की उसका लण्ड अमन के लण्ड जैसा भयावह ना निकले ! कुछ देर पहले अपने सगे भाई के लण्ड का आकार देखकर वो सचमुच में डर गई थी !

अमन का पजामा नीचे सरका तो उसका लण्ड छिटक कर बाहर निकल आया. आखिर जिस बात का सोनाली को डर था वही हुआ, उसके ममेरे भैया का लण्ड उसके सगे भैया के लण्ड जैसा तो नहीं था, बल्कि उससे कहीं ज़्यादा मुसटंडा था. जांघों के बीच झांट से भरे जगह से ठनका हुआ लण्ड निकल कर ऊपर सुरेश के पेट में सट रहा था. 8.5 इंच लम्बे लण्ड का 3.2 इंच मोटा गुलाबी सुपाड़ा पहले से ही खुला हुआ था. सोनाली समझ गई की गाँव के लड़के बड़े लण्ड के लिये यूँ ही बदनाम नहीं होतें !!!

[Image: IMG-20200527-013037.jpg]

सोनाली को पता था की जब उसकी चूत की सील फटेगी तो खून निकल सकता है, और अगर सुरेश भैया के जैसा लौड़ा हो तो चुदी चुदाई चूत भी लहू लुहान हो जाये तो आश्चर्य नहीं ! उसने अपनी नाईटी को अपने गांड़ के नीचे बिछा लिया ताकि खून वगैरह निकले तो उससे चादर मैली ना हो जाये.

अपनी फूफेरी बहन के मासूम से चेहरे पर उड़ती हवाईयों से सुरेश समझ गया की वो बेचारी घबरा रही है. वो अपना लण्ड एक हाथ में पकड़े हुए उसके ऊपर चढ़ गया, फिर अपने लण्ड का सुपाड़ा उसकी नाभी पर रखते हुए उसकी आँखों के बीच माथे को चुम लिया और मुस्कुरा कर बोला.

" घबराओ नहीं... कोई ज़बरदस्ती नहीं करूंगा ! ".

सुरेश के इन मीठे शब्दों के मात्र से सोनाली को काफी राहत महसूस हुई, और उससे भी ज़्यादा ये, की सुरेश एक सच्चे प्रेमी की तरह पेश आ रहा था, जिसे अपने प्रेमिका की सचमुच में फ़िक्र हो. उसने अपने दोनों हाथ सुरेश की पीठ पर प्यार से लपेट दिये. अब वो हर परेशानी के लिये तैयार थी !

सुरेश उसके बदन पर चढ़ा हुआ उसके गाल, गर्दन और होंठ चुमते चुमते अपने लण्ड का सुपाड़ा उसकी गहरी नाभी में घिसने लगा. अभी 20 सेकंड ही हुए होंगे की उसके लण्ड के सुपाड़े से वीर्य की एक मोटी गाढ़ी बूंद निकल कर सोनाली की नाभी में चू गई . ठीक ऐन वक़्त पे सुरेश ने अपना लण्ड रगड़ना बंद कर दिया नहीं तो वो अति उत्तेजना के कारण पूरी तरह से स्खलित हो गया होता ! फिर वो अपना लण्ड अपने हाथ में सावधानी से पकड़े हुए उठा. इस दौरान उसके सुपाड़े से वीर्य की और तीन चार बूंदे रिस रिस कर सोनाली के पेट और जांघों पर गिरी, पर सुरेश ने अपने लण्ड की जड़ को सख्ती से अपनी मुट्ठी में भीच रखा था जिसकी वजह से बाकि का वीर्य उसके अंडकोष में ही रुक गया. उसने अपने सुपाड़े पर लण्ड का चमड़ा चढ़ा लिया ताकि लण्ड की संवेदंनशीलता कम हो जाये. 5 मिनट तक वैसे ही रहने के बाद जब उसका गरम लण्ड थोड़ा शांत हुआ तो उसने अपना सुपाड़ा फिर से खोल लिया और अपने हथेली में थूक कर वही थूक अपने लण्ड पर मलने लगा !!!

" छी !!! सुरेश भैया... ये सब मत करो... गंदा लगता है ! ". सोनाली ने जब ये देखा तो बोल पड़ी.

सुरेश तो अपनी फूफेरी बहन की कुंवारी चूत की भलाई के लिये ये सब कर रहा था, ताकि लण्ड आसानी से उसे चोट पहुँचाये बगैर अंदर चला जाये. लेकिन वो ऐसा कुछ भी नहीं करना चाहता था जिसमें सोनाली की रज़ामंदी ना हो. सोनाली की बात मानते हुए उसने अपना लण्ड उसकी गांड़ के नीचे बिछे उसकी नाईटी में पोछ कर थूक साफ कर लिया.

मिलन की घड़ी आ चुकी थी, सोनाली ने अपनी टांगे फैला कर अपना कुंवारापन सुरेश के हवाले कर दिया. उसकी टांगे खुली होने के बावजूद उसकी चूत के दोनों होंठ अलग नहीं हुए थें और सुरेश को चूत के बीचोंबीच बस एक पतली सी लकीर ही दिख रही थी, कोई छेद नहीं ! सोनाली कि टांगों के बीच अपने घुटनों पे बैठा वो अपना लण्ड हाथ में पकड़े लण्ड का सुपाड़ा उसकी चूत की संकरी दरार में रगड़ते हुए अंदर डालने के लिये छेद खोजने लगा. ज़ल्दी ही उसे अपने सुपाड़े के मुँह पर कुछ नरम सा महसूस हुआ तो उसने छेद समझ कर लण्ड थोड़ा आगे ठेला.

" आआह्ह्ह्हह... सुरेश भैया...Nooooo ! ". सोनाली दर्द से सिहर उठी, उसने तकिये से अपना सिर उठा कर अपनी टांगों के बीच देखते हुए कहा. " वो पेशाब करने का छेद है, उसके नीचे वाले में डालो !!! ".


जैसे कि सुरेश को ये नहीं पता था कि लड़कियों का भी माल गिरता है, वैसे ही उस बेचारे को ये भी कहाँ मालुम था कि लड़कियों कि चूत में मूतने के लिये अलग और पेलवाने के लिये अलग छेद होते हैं !!! आज उसे अपनी फूफेरी बहन कि बदौलत लड़कियों के बारे में ये दो नई बातें पता चली थीं...

.....................


सुरेश ने अपने लण्ड का सुपाड़ा थोड़ा नीचे सरकाया तो उसे एक दूसरी नरम नाज़ुक सी छेद मिली, उसने अपनी कमर आगे खिसकाई तो सुपाड़े का अगला हिस्सा अंदर चला गया.

" हाँ... वही वाला है ! ". सोनाली ने जब हरी झंडी दिखाई तो सुरेश ने हल्का सा धक्का लगाया, और उसका पूरा सुपाड़ा चूत कि छेद में घुस कर अटक गया.

" तूम ठीक हो ना ??? ". सुरेश ने लण्ड का सुपाड़ा सोनाली कि चूत में फंसाये हुए उसकी जांघे सहलाते हुए पूछा.

जवाब में सोनाली ने सिर्फ अपना सिर हिला दिया और फिर एकदम मध्यम स्वर में बुदबुदाई. " और थोड़ा अंदर डालो... ".

सुरेश ने वैसा ही किया.

" बस रुको... ".

सुरेश रुक गया.

" डालो अब... ".

सुरेश ने लण्ड और अंदर ठेला.

" बस बस... आअह्ह्ह्हह... निकाल लो सुरेश भैया !!! ".

सुरेश ने घबरा कर अपना पूरा लौड़ा बाहर निकाल लिया. सोनाली ने सिर उठा कर देखा तो उसका लण्ड बुरी तरह से फड़क रहा था. उसे पता था कि वो ज़्यादा देर तक सुरेश को नहीं रोक सकती थी. 2 मिनट के बाद उसने उसे फिर से लण्ड अंदर डालने को कहा. सुरेश हर संभव सावधानी बरतते हुए अपना लण्ड उसकी चूत में फिर से फिट करने लगा . सोनाली उसे जैसा जैसा बोलती वो बस वैसा वैसा ही करता.

" डालते रहो सुरेश भैया... आआह्ह्ह... बस... रुको... Wait... बाहर निकालो थोड़ा सा... हाँ... अब पेलो... नहीं... पूरा नहीं... थोड़ा सा और अंदर... बस बस बस !!! ".

सुरेश का लण्ड उसके सुपाड़े से ज़्यादा अंदर नहीं जा रहा था. सोनाली कि चूत कि झिल्ली ( Hymen ) में वो बार बार अटक जा रहा था. वो बस चूत कि उतनी सी गहराई में ही अपना लण्ड अंदर बाहर कर रहा था. ये उसके लिये बड़ी मुश्किल कि घड़ी थी, क्यूंकि एक तो बेचारा चोदने के लिये ब्याकुल हुआ जा रहा था और दूसरा उसके अंडकोष में वीर्य का दबाव बढ़ता ही जा रहा था. बेचारा अब चूत मारे या अपना माल गिरने से रोके !

सोनाली ने अपनी चूत में सुरेश का लण्ड ठीक से घुसवाने में इतना समय लगा दिया था कि बेचारा बिना ढंग से चोदे ही झड़ने के करीब पहुँच गया था. सोनाली ने अचानक से अपनी चूत में उसके लण्ड का सुपाड़ा फूलता हुआ महसूस किया. सुरेश का पूरा शरीर अकड़ गया. उसके लण्ड से वीर्य कि दो मोटी मोटी धारें फफक पड़ी. वो धपाक से सोनाली के बदन पर गिर पड़ा. चरमसुख के इस अति उत्तेजना के पल में वो अपने आपे में ना रहा, सब कुछ भूल गया वो. उसने पूरा ज़ोर लगा कर अपनी कमर सोनाली कि जांघों के बीच घुसेड़ दिया. उसके लण्ड का मोटा सुपाड़ा सोनाली कि चूत कि सील को एकबारगी फाड़ता हुआ उसकी तह तक घुस गया !

" ओह माँ !!! ". लण्ड के अकस्मात लगे इस आघात से सोनाली बिलबिला उठी.

सुरेश ने अपना लण्ड सोनाली कि चूत में जड़ तक ठूस दिया और उसकी कुंवारी बच्चेदानी में अपना वीर्य भरने लगा ! दस सेकंड के अंदर उसके लण्ड ने वीर्य के 7 से 8 धारों की तेज़ उल्टी कर दी थी ! सोनाली के पेट में अपना अंडकोष पूरी तरह से खाली करने के बाद आनंदविभोर हुए सुरेश ने उसके गाल को चुम लिया और फिर अपना मुँह उसकी कांख ( Armpit ) में घुसा कर उसके बदन पर लेटे हुए अपने झड़े हुए लण्ड से ही उसे चोदना शुरू कर दिया !!!

पूरा का पूरा पलंग चरमराती हुई आवाज़ में हिलने लगा.

इधर पलंग के किनारे बैठा अमन समझ गया की अब उसकी बहन सुरेश से चोदवा रही है ! उसकी पीठ उन दोनों के तरफ थी इसलिये उसे कुछ दिख नहीं रहा था, और ना ही उसे अपनी सगी बहन की चुदाई देखने का कोई मन था. उसे तो अब नंदिनी को चोदना था, जो की अभी पलंग के किनारे उसके पास मंत्रमुगध सी खड़ी, फटी आँखों से, ना चाहते हुए भी अपने सगे भाई को पेलते हुए देख रही थी !!!
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RE: मनमोहक गंदी कहानियाँ... RoccoSam - by usaiha2 - 16-07-2021, 05:56 PM



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