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मनमोहक गंदी कहानियाँ... RoccoSam
#45
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निहारिका अभी खुद को संभाल ही रही थी की जेठ जी ने अपना झड़ा हुआ लण्ड फिर से उसकी गांड़ में डाल दिया और चोदने लगें.

" माल तो गिर गया ना जेठ जी ? अब भी मन नहीं भरा क्या ? ". निहारिका ने अपने चेहरे पर से देवर जी का वीर्य पोछते हुए परेशान सा मुँह बनाते हुए कहा. " छोड़िये ना... और कितना पेलियेगा ??? ".

जेठ जी ने जैसे कुछ सुना ही नहीं, और पेलना जारी रखा.

करीब दो मिनट तक चोदने के बाद जब जेठ जी का लण्ड शांत हुआ तो ढीला पड़ कर अपने आप बहु की गांड़ से बाहर निकल आया, जेठ जी निहारिका से अलग होकर बिस्तर पर पस्त होकर लेट गयें.

अब ससुर जी अपनी बहु को उसके पीठ के बल पलट कर उसके ऊपर चढ़ गयें और अपना झड़ा हुआ लौड़ा उसकी चूत में ठेल कर फिर से चोदने लगें !


[Image: IMG-20200510-034638.jpg]



" ओफ्फो... कब से चोद रहें हैं आप लोग... कम से कम एक बार बाथरूम तो जाने दीजिये ना ससुर जी... पेशाब आया है ! " . अपने ससुर जी के चोदन झटकों से हिलती हुई निहारिका बोली.

" तुम्हें कहीं जाने की ज़रूरत नहीं बहु... हम हैं ना. ". ससुर जी ने हांफते हुए कहा. फिर आशीष से बोलें. " आशीष बेटा... जा ज़रा बाल्टी लेकर आ. ".

आशीष पलंग से उतरा और बाथरूम से नहाने वाली एक Plastic की बाल्टी ले आया और पलंग के बगल में ज़मीन पर रख दिया.

इधर पेलते पेलते ससुर जी अचानक से रुक गयें, उनका शरीर अकड़ गया, उन्होंने अपना लण्ड बाहर निकाल कर बहु की चूत पे रखा और उसके बदन पर गिर कर उससे लिपट गयें. इसी के साथ उनका लण्ड फिर से झड़ने लगा, लेकिन इस बार उनके लण्ड से बस तीन चार बूंद गाढ़ा वीर्य निकला और निहारिका की बूर पे फ़ैल गया. निहारिका ने ससुर जी को सहला कर शांत किया और फिर उनके भारी शरीर को अपने ऊपर से हटा कर लेटे हुए जेठ जी के ऊपर से होती हुई पलंग से उतर गई.

नीचे ज़मीन पर रखे बाल्टी पर निहारिका ऐसे बैठ गई जैसे लोग Western Toilet पे बैठते हैं ! बगल में खड़े आशीष ने भाभी को पकड़ कर सहारा दिया ताकि वो Disbalance होकर गिर ना जाये. निहारिका को इतनी ज़ोर से सुसु लगी थी की बाल्टी पर बैठते ही उसकी चुदी हुई चूत से छरछरा कर पेशाब निकल पड़ा !!!


[Image: IMG-20200510-034412.jpg]


मन भर कर मूतने के बाद निहारिका उठी तो उसी बाल्टी में पेशाब करने के लिये आशीष भी खड़ा हो गया. निहारिका ने देखा की आशीष का अभी अभी झड़ा हुआ लण्ड ठनक गया था, इसलिये उसका पेशाब नहीं निकल रहा था. निहारिका को हँसी आ गई.

" देवर जी... लगता है आपका माल ठीक से नहीं गिरा. आइये... और थोड़ा चोद लीजिये ! ". कहते हुए निहारिका पलंग के किनारे पर अपनी गांड़ टिका कर बैठ गई और अपनी टांगें खोल ली. आशीष खुशी खुशी अपनी भाभी के जांघों के बीच घुस कर खड़ा हो गया. भाभी की चूत पर पेशाब की बूंदे मोतीयों जैसी चमक रही थीं, उन्हें साफ किये बिना ही आशीष ने अपने दोनों हाथों में भाभी की कमर की करधनी पकड़ी और उसे चोदने लगा.

इस दौरान जेठ जी और ससुर जी उठ गयें और दोनों ने बारी बारी से बाल्टी में पेशाब किया, फिर वापस जाकर बिस्तर पर लेट गयें.

करीब 5 - 6 मिनट तक अपनी भाभी को पेलने के बाद आशीष अपने लण्ड में वीर्य का उबाल महसूस करने लगा. उसने अपना लौड़ा बाहर निकाला और बाल्टी में ही मूठ मार कर माल गिरा दिया. उसका लण्ड ज़ल्दी ही ढीला पड़ गया तो अब उसने बाल्टी में पेशाब भी कर लिया और फिर पलंग पर चढ़ कर लेट गया. निहारिका अब बाल्टी के ऊपर पैर फैला कर खड़ी हो गई, उसने अपना पेट अपने हाथ से दबाया तो उसकी चूत झड़ने लगी पर उसका थोड़ा सा ही पानी निकला. फिर उसने अपनी चूत बिस्तर पर बिछे चादर के कोने में पोछ कर साफ कि और खुद भी पलंग पर चढ़ कर तीनों मर्दों के बीच सो गई...

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[Image: IMG-20200510-034629.jpg]



देवर जी, ससुर जी और जेठ जी कितनी देर तक सोते रहें उन्हें कुछ याद नहीं. निहारिका कि आवाज़ से सबकी नींद खुली. तब पूरा कमरा पेशाब और लण्ड - चूत के रस कि मिली जुली गंध से महक रहा था !

" Lunch नहीं करना है क्या... चलिए उठिये. ". निहारिका उठ चुकी थी और कमरे में Dressing Table के सामने अपने बाल संवार रही थी.

" यहीं ला दो ना बहु. ". ससुर जी ने अलसाई आवाज़ में कहा.

" बिल्कुल नहीं. खाना तो डिनर टेबल पर ही मिलेगा. ". निहारिका बोली. " आपलोग चलिए, मैं आती हूं... ".

Drawing Room में आकर तीनों ने Wash Basin में हाथ धोये और खाने कि टेबल पर बैठ गयें. किचन से निहारिका खाना लेकर आई जो घर कि बाई मालती बना कर गई थी. फिर सभी उसी तरह नंगे बैठ कर ही खाना खाने लगें !

" बहुत भूख लगी है... आज थोड़ी ज़्यादा ही मेहनत हो गई. ". जेठ जी ने अपनी बगल में बैठी निहारिका कि चूत में हाथ डाला, फिर अपनी उंगलियां सूंघी, और उसी हाथ से खाना खाने लगा.

" छी !!! तंग मत कीजिये ना जेठ जी... खाना खाईये. ". निहारिका ने झूठा गुस्सा दिखाते हुए कहा और अपनी टांगें Cross करके अपनी चूत छुपा कर बैठ गई और खाना खाने लगी.

Lunch कम्पलीट होते होते दोपहर के 3 बज गयें.

" यार ये सामूहिक संभोग का मज़ा ही अलग है ना ? नशा लग गया हो जैसे. " . ससुर जी ने कहा. " एक बार और करें... क्या कहते हो तूम सभी ? ".

" सामूहिक संभोग ? अच्छा शब्द निकाला है ससुर जी. " . निहारिका हँसने लगी, फिर रोने जैसा Cute चेहरा बना कर बोली. " आपलोग मुझे दोपहर को सोने नहीं देंगे क्या ??? ".

" रात को सो लेना निहारिका... वैसे भी रात भर तो आदित्य तुम्हें हमारी तरह तंग करेगा नहीं. " . जेठ जी ने मज़ाक किया तो आशीष और ससुर जी हँस पड़े.

" धत्त... उनके बारे में कुछ मत बोलिये... मैं कहे देती हूं. " . निहारिका झेप गई. फिर उठ खड़ी हुई और जूठे बर्तन उठाने लगी.

" चलिए भाभी... मैं आपकी हेल्प करता हूं. ". आशीष ने कहा और अपनी भाभी का हाथ बटाने लगा सारे बर्तन किचन तक ले जाने में.
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RE: मनमोहक गंदी कहानियाँ... RoccoSam - by usaiha2 - 16-07-2021, 01:41 PM



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