09-07-2021, 02:19 PM
कम्मो
वो चीख रही थी चूतड़ पटक रही थी , कम्मो ने दोनों हाथ कस के पकड़ रखे थे, ...
पांच -छह मिनट में मुझे लगा अब मेरी ननद को भी हल्का हलका मजा मिल रहा है, ...
पर मुझसे पहले कम्मो ये बात समझ गयी थीं
कम्मो को ननदों का मुंह बंद कराने के १५१ तरीके आते थे, लेकिन उसने हम दोनों का फेवरिट तरीका इस्तेमाल किया,
" हे स्साली छिनार, तेरी चूत इतनी देर से मज़ा ले रही है तनी अपनी भौजी क बुर क ख्याल नहीं है , चलो चाट चाट के चूस के मेरी भी झाड़ो, "
और जब तक ननद रानी समझे समझें , कम्मो उसके चेहरे पर और अपनी बुर फैला के सीधे मेरी ननद के मुंह पर, ...
" चाट कस कस के "
मुझे न तो ननद के होंठ दिख रहे थे न कम्मो की बिल, पर कम्मो के चेहरे की मस्ती से दिख रहा था ननद की जीभ ने अपना काम शुरू कर दिया था.
" हाँ हाँ ,... लेकिन हाँ ऐसे ऐसी ही , अरे जीभ अंदर डाल दे, अरे अंदर , हाँ मेरे नन्दोई जैसे हचक के चोद रहे हैं तेरी चूत, हाँ हाँ ऐसे ही ,... "
असर कम्मो भौजी के देवर पर हुआ, धक्के पर धक्के अब पूरा का पूरा बाहर निकाल के, हर धक्का सीधे बच्चेदानी पर
और जैसे अपने देवर की संगत कम्मो भौजी अपनी ननद का मुंह चोद रही थीं ,...
असर जल्द हुआ ,... थोड़ी देर में ही ननद झड़ने के कगार पर पहुँच गयी,
न ये रुको न कम्मो ,
तूफ़ान में पत्ते की तरह गुड्डी काँप रही थी , झड़ रही थी , एक बार , दूसरी बार झड़ते झड़ते थेथर हो गयी , तो कम्मो भौजी उसके ऊपर से उठीं,
उन्होंने भी धक्के बंद कर दिए,
दो चार मिनट के बाद , लेकिन अबकी एक बार फिर से बहुत आराम आराम से आलमोस्ट अपनी बहन के ऊपर लेट कर,
और अबकी जोबन, क्लिट , होंठ सब का रस लेते ,
गुड्डी भी साथ दे रही थी , कस के इन्हे उसने भींच रखा था. उसके लम्बे नाख़ून इनके कंधो में धंसे हुए थे ,... और अबकी जो वो झड़ी तो साथ साथ ये भी ,
देर तक, और देर तक दोनों एक दूसरे को कस के दबोचे पकडे,
एक बार फिर गुड्डी की बिल रबड़ी मलाई से भरी ,.. और जब दोनों अलग भी हुए तो इतनी जबरदस्त चुदाई के बाद एकदम थके, पड़े
कम्मो ने अपने देवर को तो आराम करने दिया पर ननद को पकड़ के जबरदस्ती उठा दिया, ... और खींच के बोली,
" तेरी चूत तो आधी दर्जन बार झड़ चुकी है पर दोनों भौजाइयों की बिल अभी भी प्यासी है, चल चूस के झाड़ हम दोनों की।“
मान गयी मैं कम्मो भौजी को,
वो चीख रही थी चूतड़ पटक रही थी , कम्मो ने दोनों हाथ कस के पकड़ रखे थे, ...
पांच -छह मिनट में मुझे लगा अब मेरी ननद को भी हल्का हलका मजा मिल रहा है, ...
पर मुझसे पहले कम्मो ये बात समझ गयी थीं
कम्मो को ननदों का मुंह बंद कराने के १५१ तरीके आते थे, लेकिन उसने हम दोनों का फेवरिट तरीका इस्तेमाल किया,
" हे स्साली छिनार, तेरी चूत इतनी देर से मज़ा ले रही है तनी अपनी भौजी क बुर क ख्याल नहीं है , चलो चाट चाट के चूस के मेरी भी झाड़ो, "
और जब तक ननद रानी समझे समझें , कम्मो उसके चेहरे पर और अपनी बुर फैला के सीधे मेरी ननद के मुंह पर, ...
" चाट कस कस के "
मुझे न तो ननद के होंठ दिख रहे थे न कम्मो की बिल, पर कम्मो के चेहरे की मस्ती से दिख रहा था ननद की जीभ ने अपना काम शुरू कर दिया था.
" हाँ हाँ ,... लेकिन हाँ ऐसे ऐसी ही , अरे जीभ अंदर डाल दे, अरे अंदर , हाँ मेरे नन्दोई जैसे हचक के चोद रहे हैं तेरी चूत, हाँ हाँ ऐसे ही ,... "
असर कम्मो भौजी के देवर पर हुआ, धक्के पर धक्के अब पूरा का पूरा बाहर निकाल के, हर धक्का सीधे बच्चेदानी पर
और जैसे अपने देवर की संगत कम्मो भौजी अपनी ननद का मुंह चोद रही थीं ,...
असर जल्द हुआ ,... थोड़ी देर में ही ननद झड़ने के कगार पर पहुँच गयी,
न ये रुको न कम्मो ,
तूफ़ान में पत्ते की तरह गुड्डी काँप रही थी , झड़ रही थी , एक बार , दूसरी बार झड़ते झड़ते थेथर हो गयी , तो कम्मो भौजी उसके ऊपर से उठीं,
उन्होंने भी धक्के बंद कर दिए,
दो चार मिनट के बाद , लेकिन अबकी एक बार फिर से बहुत आराम आराम से आलमोस्ट अपनी बहन के ऊपर लेट कर,
और अबकी जोबन, क्लिट , होंठ सब का रस लेते ,
गुड्डी भी साथ दे रही थी , कस के इन्हे उसने भींच रखा था. उसके लम्बे नाख़ून इनके कंधो में धंसे हुए थे ,... और अबकी जो वो झड़ी तो साथ साथ ये भी ,
देर तक, और देर तक दोनों एक दूसरे को कस के दबोचे पकडे,
एक बार फिर गुड्डी की बिल रबड़ी मलाई से भरी ,.. और जब दोनों अलग भी हुए तो इतनी जबरदस्त चुदाई के बाद एकदम थके, पड़े
कम्मो ने अपने देवर को तो आराम करने दिया पर ननद को पकड़ के जबरदस्ती उठा दिया, ... और खींच के बोली,
" तेरी चूत तो आधी दर्जन बार झड़ चुकी है पर दोनों भौजाइयों की बिल अभी भी प्यासी है, चल चूस के झाड़ हम दोनों की।“
मान गयी मैं कम्मो भौजी को,