09-07-2021, 02:16 PM
बेरहम भैया
खूंटा तो उनका तो वैसे भी बित्ते भर का, मेरी कलाई से भी मोटा, और एक समय लोहे का डंडा हो रहा था, जब गुड्डी का झड़ना रुका तो कुछ देर तक वो रुके
फिर आसन बदला और मेरी ननदिया की ऐसी बेरहम चुदाई की, ऐसी बेदर्दी से चोदा, देखकर ही मैं काँप रही थी,
न मैंने कहा था न कम्मो ने
उन्होंने खुद ही,.... और वो बेचारी रोती रही, बिसूरती रही, पर ये हर धक्का सीधे उसकी बच्चेदानी तक,
मेरे साथ तो कभी वो,... उन्होंने सोचा भी नहीं होगा ऐसा, ...
उस नाजुक बारी उमर वाली मेरी छुटकी ननदिया को उन्होंने एकदम दुहरा कर दिया जैसे वो कोई रबड़ की गुड़िया हो, उसके घुटने उसकी ठुड्डी को छू रहे थे , गोरी गोरी मांसल जाँघे खूब फैली,
और एक धक्के में, बित्ते भर का मोटा जबरदंग लोहे सा कड़ा मूसल हचक कर अंदर पेल दिया,
उईईई जोर की चीख निकली उनकी छुटकी बहिनिया की, पर उस चोदू पर कोई फरक नहीं पड़ा, अगला धक्का पहले वाले से भी तेज था,
मैं और कम्मो दोनों लोग आँख फाड़े देख रहे थे,
अभी थोड़ी देर पहले ये इत्ते प्यार से , हलके हलके सम्हाल सम्हाल कर उसे पेल रहे थे, खूब मजे से लेकिन अभी,
थोड़ा सा उन्होंने अपना खूंटा बाहर खींचा , एक बार फिर दुहरी हुयी अपनी छुटकी बहिनिया के छोटे छोटे चुतड़ों को पकड़ा और इतनी जोर का धक्का मारा,
धक्के के जोर से वो उछल पड़ी, वो पलंग पर दुहरी अपने चूतड़ पटक रही थी, रो रही थी बिसूर रही थी अपनी देह मरोड़ रही थी,
पर खूंटा ऑलमोस्ट जड़ तक धंसा था, चूत फटी पड़ रही थी,.... आंसू उसकी बड़ी बड़ी आँखों में नाच रहे थे,
कम्मो ने मेरा हाथ दबाया, और मैंने भी उसका , सच में रोती बिसूरती चुदती ननद को देखने का मज़ा ही कुछ और है , और अगर चोदने वाला उसका अपना भाई हो कहना ही क्या , ...
कम्मो मेरे कान में बोली, " आज ये अपने भाई से चुद रही है , कुछ दिन में ऐसे ही हमारे भाइयों से भी चुदेगी। "
" एकदम, और एक साथ तीन तीन, ... फिर हमारे देवरों से भी "
कम्मो का हाथ दबाते हुए मैंने भी हामी भरी.
पर हम दोनों की फुसफुसाहट न इन्होने सुना न इनके माल ने , वो अपनी बहिनिया को चोदने में मस्त थे और उनकी बहिन चुदवाने में.
वो मस्ती से काँप रही थी, इनका अगला धक्का सीधे उसकी बच्चेदानी पर पड़ा था, और अब वो अपने लंड के बेस से उसकी क्लिट को हलके हलके रगड़ रहे थे ,
कम्मो अब रिंग साइड व्यू के लिए फिर से एक बार मेरा साथ छोड़कर, बिस्तर पर गुड्डी के सर के पास, ... गुड्डी का सर उसने अपनी गोद में ले लिया था, हलके हलके ननद के गाल सहला रही थी, और ऐसे एकदम साफ़ साफ़ कच्ची कली के बिल में आता जाता मूसल कम्मो भौजी देख रही थीं.
ननद मेरी दुहरी थी, उसके भैया का खूंटा जड़ तक एकदम धंसा था, दर्द और मस्ती दोनों उसके चेहरे पर झलक रही थी,
और झुक कर उन्होंने कस के कचकचा कर अपनी बहिनिया के मलापुआ ऐसे गाल कचकचा कर काट लिए,
वो जोर से चीखी , मैं समझ रही थी इस चीख में मस्ती ज्यादा है दर्द कम, और उसी जगह पर उन्होंने दुबारा और कस के पहले काटा फिर देर तक दांत गड़ाए रहे, कम से कम हफ्ते भर गाल पर ये निशान रहने वाला था , लाख छुड़ाने की कोशिश करे वो और देखने वाले को बताने की जरूरत नहीं पड़ने वाली थी ननद रानी पर रात क्या गुजरी,
साथ में एक जबरदस्त धक्का,... और अबकी गुड्डी बोल पड़ी,
" भैया, निकाल लो न प्लीज लग रहा है , बस थोड़ा सा , बस थोड़ी देर,... "
अब वो भी मूड में आ गए थे, हलके से अपनी बहन के निप्स को मरोड़ते बोले,
" क्या निकाल लूँ , ये तो बोल, ... "
" हूँ हूँ बदमाश , गंदे ,... " उनके सीने पर जोर से मुक्के मारते वो शोख अदा से बोली,
जैसे दांत उन्होंने उसके गालों पर गड़ाए थे उससे भी तेज उसके छोटे जोबन के ऊपरी हिस्से पर गड़ाते वो बोले,
" सच्ची बोल न , तभी तो निकालूंगा"
" अच्छा डालते समय पूछा मुझसे, जो डाला था वही, ... " सिसकते हुए वो बोली।
खूंटा तो उनका तो वैसे भी बित्ते भर का, मेरी कलाई से भी मोटा, और एक समय लोहे का डंडा हो रहा था, जब गुड्डी का झड़ना रुका तो कुछ देर तक वो रुके
फिर आसन बदला और मेरी ननदिया की ऐसी बेरहम चुदाई की, ऐसी बेदर्दी से चोदा, देखकर ही मैं काँप रही थी,
न मैंने कहा था न कम्मो ने
उन्होंने खुद ही,.... और वो बेचारी रोती रही, बिसूरती रही, पर ये हर धक्का सीधे उसकी बच्चेदानी तक,
मेरे साथ तो कभी वो,... उन्होंने सोचा भी नहीं होगा ऐसा, ...
उस नाजुक बारी उमर वाली मेरी छुटकी ननदिया को उन्होंने एकदम दुहरा कर दिया जैसे वो कोई रबड़ की गुड़िया हो, उसके घुटने उसकी ठुड्डी को छू रहे थे , गोरी गोरी मांसल जाँघे खूब फैली,
और एक धक्के में, बित्ते भर का मोटा जबरदंग लोहे सा कड़ा मूसल हचक कर अंदर पेल दिया,
उईईई जोर की चीख निकली उनकी छुटकी बहिनिया की, पर उस चोदू पर कोई फरक नहीं पड़ा, अगला धक्का पहले वाले से भी तेज था,
मैं और कम्मो दोनों लोग आँख फाड़े देख रहे थे,
अभी थोड़ी देर पहले ये इत्ते प्यार से , हलके हलके सम्हाल सम्हाल कर उसे पेल रहे थे, खूब मजे से लेकिन अभी,
थोड़ा सा उन्होंने अपना खूंटा बाहर खींचा , एक बार फिर दुहरी हुयी अपनी छुटकी बहिनिया के छोटे छोटे चुतड़ों को पकड़ा और इतनी जोर का धक्का मारा,
धक्के के जोर से वो उछल पड़ी, वो पलंग पर दुहरी अपने चूतड़ पटक रही थी, रो रही थी बिसूर रही थी अपनी देह मरोड़ रही थी,
पर खूंटा ऑलमोस्ट जड़ तक धंसा था, चूत फटी पड़ रही थी,.... आंसू उसकी बड़ी बड़ी आँखों में नाच रहे थे,
कम्मो ने मेरा हाथ दबाया, और मैंने भी उसका , सच में रोती बिसूरती चुदती ननद को देखने का मज़ा ही कुछ और है , और अगर चोदने वाला उसका अपना भाई हो कहना ही क्या , ...
कम्मो मेरे कान में बोली, " आज ये अपने भाई से चुद रही है , कुछ दिन में ऐसे ही हमारे भाइयों से भी चुदेगी। "
" एकदम, और एक साथ तीन तीन, ... फिर हमारे देवरों से भी "
कम्मो का हाथ दबाते हुए मैंने भी हामी भरी.
पर हम दोनों की फुसफुसाहट न इन्होने सुना न इनके माल ने , वो अपनी बहिनिया को चोदने में मस्त थे और उनकी बहिन चुदवाने में.
वो मस्ती से काँप रही थी, इनका अगला धक्का सीधे उसकी बच्चेदानी पर पड़ा था, और अब वो अपने लंड के बेस से उसकी क्लिट को हलके हलके रगड़ रहे थे ,
कम्मो अब रिंग साइड व्यू के लिए फिर से एक बार मेरा साथ छोड़कर, बिस्तर पर गुड्डी के सर के पास, ... गुड्डी का सर उसने अपनी गोद में ले लिया था, हलके हलके ननद के गाल सहला रही थी, और ऐसे एकदम साफ़ साफ़ कच्ची कली के बिल में आता जाता मूसल कम्मो भौजी देख रही थीं.
ननद मेरी दुहरी थी, उसके भैया का खूंटा जड़ तक एकदम धंसा था, दर्द और मस्ती दोनों उसके चेहरे पर झलक रही थी,
और झुक कर उन्होंने कस के कचकचा कर अपनी बहिनिया के मलापुआ ऐसे गाल कचकचा कर काट लिए,
वो जोर से चीखी , मैं समझ रही थी इस चीख में मस्ती ज्यादा है दर्द कम, और उसी जगह पर उन्होंने दुबारा और कस के पहले काटा फिर देर तक दांत गड़ाए रहे, कम से कम हफ्ते भर गाल पर ये निशान रहने वाला था , लाख छुड़ाने की कोशिश करे वो और देखने वाले को बताने की जरूरत नहीं पड़ने वाली थी ननद रानी पर रात क्या गुजरी,
साथ में एक जबरदस्त धक्का,... और अबकी गुड्डी बोल पड़ी,
" भैया, निकाल लो न प्लीज लग रहा है , बस थोड़ा सा , बस थोड़ी देर,... "
अब वो भी मूड में आ गए थे, हलके से अपनी बहन के निप्स को मरोड़ते बोले,
" क्या निकाल लूँ , ये तो बोल, ... "
" हूँ हूँ बदमाश , गंदे ,... " उनके सीने पर जोर से मुक्के मारते वो शोख अदा से बोली,
जैसे दांत उन्होंने उसके गालों पर गड़ाए थे उससे भी तेज उसके छोटे जोबन के ऊपरी हिस्से पर गड़ाते वो बोले,
" सच्ची बोल न , तभी तो निकालूंगा"
" अच्छा डालते समय पूछा मुझसे, जो डाला था वही, ... " सिसकते हुए वो बोली।