26-05-2021, 08:31 AM
बेचारी
बेचारी ने जिस तरह से मेरी ओर देखा , लग रहा था साफ़ कह रही हो भाभी अब एक सीढ़ी नहीं उतर पाउंगी , बहुत दर्द हो रहा है ,
मैंने और कम्मो ने मिल कर उसे दोनों ओर से आलमोस्ट टांग लिया , और बहुत हलके हलके एक एक कर के सीढ़ी पर उसे सपोर्ट कर के पैर रखना शुरू किया ,
मैंने मुस्करा के कम्मो की ओर देखा और उनकी मुस्कराहट इस बात का इशारा थी की वो मेरा मतलब समझ गयी थी ,
एक तो मेरी ननदिया उमर की बारी , मेरी छुटकी से भी छोटी ,
दूजे पहली बार फटी वो भी ऐसे मोटे मूसल लम्बे बांस से ,
लेकिन ननद रानी की असली दर्द का कारण थीं ,
उसकी कम्मो भौजी ,
अपने देवर को चढ़ा कर , उकसा कर , कैसे दुहरा कर के हचक हचक के इन्होने उसे चोदा , उनका मोटा मूसल जहाँ झिल्ली फटी थी वहीँ रगड़ते दरेरते , घिसटते बार बार , जितना वो चीखती थी , उतना कस के वो पेलते थे ,
" हे मजा मिला अपने भइया के साथ घोंट लिया उनका मोटा मूसल "
मैंने अपनी ननद को छेड़ा लेकिन अब रोल बदल गया था , मैं अपनी ननद नो छेड़ रही थी और कम्मो उसकी ओर , ... कम्मो बोली ,
" अरे तो समझती हो क्या हमारी ननदिया को , जैसे अपने भैया का घोंटा है , वैसे हमारे भैया का भी घोंटेंगी , हँसते हँसते , क्यों ननद रानी "
गुड्डी के गोरे गोरे चिकने मुलायम गाल को सहलाते मैंने चिढ़ाया ,
" इसके गोरे गोरे गाल मेरा भैया चूमेगा '
कसे टॉप को फाड़ते उसके उभारो को सहलाते , छेड़ते कम्मो ने अगली लाइन पूरी की ,
" इसके गोल गोल बॉल , मेरा भैया बॉलीबाल खेलेगा "
और बात स्कर्ट के नीचे वाली की थी , नंबर मेरा था , ...
" इसके जाँघों पर का बाल मेरा नउवा छिलेगा "
तबतक कम्मो ने न जाने , जान बूझ कर या अनजाने में अपना कन्धा हटा लिया , और मेरी ननद बड़ी जोर से चीखी , लेकिन कम्मो ने एक बार उसे अपना पूरा सपोर्ट दे दिया और समझाते बोली ,
" अरे बिन्नो , घबड़ा जिन , कुल लड़की घोंटती हैं और पहली बार दर्द होता ही है , लेकिन तोहार कम्मो भौजी हैं न तोहरे साथ , बस दो चार सीढ़ी बची है , उतरी जा , अभी अइसन मनतर करब देखा दस मिनट में तोहरी गुलाबो का कुल दर्द छू मनतर , एकदम गायब ,... "
" आधे घंटे में चिड़िया दुबारा चारा मांगने लगेगी , ... " मैंने एक बार फिर उस किशोरी को छेड़ा ,
" नहीं भाभी अब्ब नहीं , कभी नहीं , बहुत दर्द हो रहा है ,... " वो जोर से चीखी।
" अरे अभी तो ट्रेलर हुआ है डेढ़ घंटे का , सोचो पूरी रात बाकी है , बल्कि कल दोपहर तक , चौदह घंटे की चुदाई , ... और अपनी ननद के लिए जो गौने की रात नयी दुल्हिन के लिए बनाते हैं न तुझे भी बहुत पसंद है , दलभरी पूड़ी और बखीर , अभी रात तो बाकी है ,"
मैंने और आग लगाई।
लेकिन पानी डाल कर ठंडा करने के लिए कम्मो थीं न , आज वो गुड्डी को पूरी तरह अपने शीशे में उतारने वाली थी , गुड्डी की ओर से बोली ,
" हे तुम भी न फालतू में मेरी ननद को डरवा रही हो , उसकी कम्मो भौजी हैं न उसके साथ , बस अभी थोड़ी देर में वो दवा लगाउंगी उसकी चुनमुनिया में , सारा दर्द गायब , थोड़ा सा कम्मो भौजी के हाथ की मालिश फिर देखना जैसे कच्ची कली की तरह आयी थी तिझरिया में , एकदम वैसे ही , समझत का हो हमार ननद को , :
तब तक हम दोनों नीचे पहुँच गए थे , बरामदे में एक तख्त पर गद्दा बिछा रहता था , वहीँ हम दोनों ने मिल कर अपनी ननद को लिटा दिया , मैं किचेन में खाना बनाने के लिए और थोड़ी देर में कम्मो भी वहां पहुँच गयी।
बेचारी ने जिस तरह से मेरी ओर देखा , लग रहा था साफ़ कह रही हो भाभी अब एक सीढ़ी नहीं उतर पाउंगी , बहुत दर्द हो रहा है ,
मैंने और कम्मो ने मिल कर उसे दोनों ओर से आलमोस्ट टांग लिया , और बहुत हलके हलके एक एक कर के सीढ़ी पर उसे सपोर्ट कर के पैर रखना शुरू किया ,
मैंने मुस्करा के कम्मो की ओर देखा और उनकी मुस्कराहट इस बात का इशारा थी की वो मेरा मतलब समझ गयी थी ,
एक तो मेरी ननदिया उमर की बारी , मेरी छुटकी से भी छोटी ,
दूजे पहली बार फटी वो भी ऐसे मोटे मूसल लम्बे बांस से ,
लेकिन ननद रानी की असली दर्द का कारण थीं ,
उसकी कम्मो भौजी ,
अपने देवर को चढ़ा कर , उकसा कर , कैसे दुहरा कर के हचक हचक के इन्होने उसे चोदा , उनका मोटा मूसल जहाँ झिल्ली फटी थी वहीँ रगड़ते दरेरते , घिसटते बार बार , जितना वो चीखती थी , उतना कस के वो पेलते थे ,
" हे मजा मिला अपने भइया के साथ घोंट लिया उनका मोटा मूसल "
मैंने अपनी ननद को छेड़ा लेकिन अब रोल बदल गया था , मैं अपनी ननद नो छेड़ रही थी और कम्मो उसकी ओर , ... कम्मो बोली ,
" अरे तो समझती हो क्या हमारी ननदिया को , जैसे अपने भैया का घोंटा है , वैसे हमारे भैया का भी घोंटेंगी , हँसते हँसते , क्यों ननद रानी "
गुड्डी के गोरे गोरे चिकने मुलायम गाल को सहलाते मैंने चिढ़ाया ,
" इसके गोरे गोरे गाल मेरा भैया चूमेगा '
कसे टॉप को फाड़ते उसके उभारो को सहलाते , छेड़ते कम्मो ने अगली लाइन पूरी की ,
" इसके गोल गोल बॉल , मेरा भैया बॉलीबाल खेलेगा "
और बात स्कर्ट के नीचे वाली की थी , नंबर मेरा था , ...
" इसके जाँघों पर का बाल मेरा नउवा छिलेगा "
तबतक कम्मो ने न जाने , जान बूझ कर या अनजाने में अपना कन्धा हटा लिया , और मेरी ननद बड़ी जोर से चीखी , लेकिन कम्मो ने एक बार उसे अपना पूरा सपोर्ट दे दिया और समझाते बोली ,
" अरे बिन्नो , घबड़ा जिन , कुल लड़की घोंटती हैं और पहली बार दर्द होता ही है , लेकिन तोहार कम्मो भौजी हैं न तोहरे साथ , बस दो चार सीढ़ी बची है , उतरी जा , अभी अइसन मनतर करब देखा दस मिनट में तोहरी गुलाबो का कुल दर्द छू मनतर , एकदम गायब ,... "
" आधे घंटे में चिड़िया दुबारा चारा मांगने लगेगी , ... " मैंने एक बार फिर उस किशोरी को छेड़ा ,
" नहीं भाभी अब्ब नहीं , कभी नहीं , बहुत दर्द हो रहा है ,... " वो जोर से चीखी।
" अरे अभी तो ट्रेलर हुआ है डेढ़ घंटे का , सोचो पूरी रात बाकी है , बल्कि कल दोपहर तक , चौदह घंटे की चुदाई , ... और अपनी ननद के लिए जो गौने की रात नयी दुल्हिन के लिए बनाते हैं न तुझे भी बहुत पसंद है , दलभरी पूड़ी और बखीर , अभी रात तो बाकी है ,"
मैंने और आग लगाई।
लेकिन पानी डाल कर ठंडा करने के लिए कम्मो थीं न , आज वो गुड्डी को पूरी तरह अपने शीशे में उतारने वाली थी , गुड्डी की ओर से बोली ,
" हे तुम भी न फालतू में मेरी ननद को डरवा रही हो , उसकी कम्मो भौजी हैं न उसके साथ , बस अभी थोड़ी देर में वो दवा लगाउंगी उसकी चुनमुनिया में , सारा दर्द गायब , थोड़ा सा कम्मो भौजी के हाथ की मालिश फिर देखना जैसे कच्ची कली की तरह आयी थी तिझरिया में , एकदम वैसे ही , समझत का हो हमार ननद को , :
तब तक हम दोनों नीचे पहुँच गए थे , बरामदे में एक तख्त पर गद्दा बिछा रहता था , वहीँ हम दोनों ने मिल कर अपनी ननद को लिटा दिया , मैं किचेन में खाना बनाने के लिए और थोड़ी देर में कम्मो भी वहां पहुँच गयी।