01-04-2021, 10:23 AM
(This post was last modified: 01-04-2021, 10:24 AM by komaalrani. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
देवर भौजी की होली,
हम दोनों में देवरानी जेठानी का तो रिश्ता लगता था , बहन बहन का भी , बनारस के नाते और सबसे बढ़कर खिलंदड़ी सहेलियों वाला ,
"तो उसके बाद सफ़ेद रंग वाली होली खेलकर दोनों देवर चले गए , मैंने सीरियसली पूछा।
उन्होंने पहले बुरा सा मुंह बनाया ,
" इत्ते सीधे हैं तुम्हारे देवर, "
फिर एक हाथ की पाँचों उँगलियाँ दिखायीं ,
मैं दहल गयी , यानी पांच बार ,... फिर दूसरे पंजे की भी एक ऊँगली कम्मो भौजी ने खोल दी
यानी छह बार
और जोर से हँसते हुए मुझे भींच लिया और चूमते बोलीं
सच में जबरदस्त हैं स्साले दोनों , तीन तीन बार दोनों ने एक बार बंटू ने पिछवाड़े का मजा लिया था तो मंटू कैसे पिछवाड़ा छोड़ता उसने भी , और दो दो बार आगे वाली सहेली को सफ़ेद रंग से नहलाया , हाँ सैंडविच एक बार , उसके बाद बारी बारी से ,... "
फिर हाल खुलासा बताया ,
बंटू ने ही अगली बार फिर नंबर लगाया , आगे वाली सहेली में ,
लेकिन उसके पहले भौजी ने एक बार फिर दोनों देवरों को गुझिया समोसा , दहीबड़ा , खिलाया पिलाया , थोड़ी बहुत होली भी लेकिन अब तो उन्हें भी चमड़े की पिचकारी से ही होली खेलनी थी ,
दोनों का मन उनके गदराये गुबारों से नहीं भर रहा था तो उनका दोनों देवरों की पिचकारी से ,
और वहीँ रंग भरे आँगन में दोनों देवरों ने उन्हें पटक दिया , और चार बाल्टी रंग , और कहीं नहीं सीधे गुलाबो पर , और उसके बाद टांग उठा के बंटू ने अपने कन्धों पर रखा और एक धक्के में पिचकारी अंदर ,
होली अभी भी रुकी नहीं थी , मंटू रंग उनके गालों पर उभारों पर पेट पर पोत रहा था और भौजी एक से एक बढ़ कर गालियां , साथ में अब बंटू को पता चल रहा था किसी चुदवासी नार से पाला पड़ा है ,
हर धक्के के जवाब में उससे भी ज्यादा जबरदस्त धक्के , नाखुनो और दांत से गाल पर सीने पर खरोंचें , और महतारी बहिन कोई नहीं बच रही थी ,
मंटू भी नहीं ,
भौजी दोनों देवरो को बराबर , एक का बुर में था तो दूसरे को वो मुठिया रही थीं ,
भौजी दोनों देवरों की तारीफ़ कर रही थीं , लेकिन बंटू से कुछ ज्यादा , क्योंकि गरिया उसे ही ज्यादा रही थीं , ...
" मेरी गाँड़ के तो मादरचोद एकदम पीछे पड़ गया था।
हम दोनों में देवरानी जेठानी का तो रिश्ता लगता था , बहन बहन का भी , बनारस के नाते और सबसे बढ़कर खिलंदड़ी सहेलियों वाला ,
"तो उसके बाद सफ़ेद रंग वाली होली खेलकर दोनों देवर चले गए , मैंने सीरियसली पूछा।
उन्होंने पहले बुरा सा मुंह बनाया ,
" इत्ते सीधे हैं तुम्हारे देवर, "
फिर एक हाथ की पाँचों उँगलियाँ दिखायीं ,
मैं दहल गयी , यानी पांच बार ,... फिर दूसरे पंजे की भी एक ऊँगली कम्मो भौजी ने खोल दी
यानी छह बार
और जोर से हँसते हुए मुझे भींच लिया और चूमते बोलीं
सच में जबरदस्त हैं स्साले दोनों , तीन तीन बार दोनों ने एक बार बंटू ने पिछवाड़े का मजा लिया था तो मंटू कैसे पिछवाड़ा छोड़ता उसने भी , और दो दो बार आगे वाली सहेली को सफ़ेद रंग से नहलाया , हाँ सैंडविच एक बार , उसके बाद बारी बारी से ,... "
फिर हाल खुलासा बताया ,
बंटू ने ही अगली बार फिर नंबर लगाया , आगे वाली सहेली में ,
लेकिन उसके पहले भौजी ने एक बार फिर दोनों देवरों को गुझिया समोसा , दहीबड़ा , खिलाया पिलाया , थोड़ी बहुत होली भी लेकिन अब तो उन्हें भी चमड़े की पिचकारी से ही होली खेलनी थी ,
दोनों का मन उनके गदराये गुबारों से नहीं भर रहा था तो उनका दोनों देवरों की पिचकारी से ,
और वहीँ रंग भरे आँगन में दोनों देवरों ने उन्हें पटक दिया , और चार बाल्टी रंग , और कहीं नहीं सीधे गुलाबो पर , और उसके बाद टांग उठा के बंटू ने अपने कन्धों पर रखा और एक धक्के में पिचकारी अंदर ,
होली अभी भी रुकी नहीं थी , मंटू रंग उनके गालों पर उभारों पर पेट पर पोत रहा था और भौजी एक से एक बढ़ कर गालियां , साथ में अब बंटू को पता चल रहा था किसी चुदवासी नार से पाला पड़ा है ,
हर धक्के के जवाब में उससे भी ज्यादा जबरदस्त धक्के , नाखुनो और दांत से गाल पर सीने पर खरोंचें , और महतारी बहिन कोई नहीं बच रही थी ,
मंटू भी नहीं ,
भौजी दोनों देवरो को बराबर , एक का बुर में था तो दूसरे को वो मुठिया रही थीं ,
भौजी दोनों देवरों की तारीफ़ कर रही थीं , लेकिन बंटू से कुछ ज्यादा , क्योंकि गरिया उसे ही ज्यादा रही थीं , ...
" मेरी गाँड़ के तो मादरचोद एकदम पीछे पड़ गया था।