28-03-2019, 09:55 AM
आज सुहाग की रात , सुरज जिन उगिहौं
मुश्किल से पन्दरह बीस मिनट के लिए झपकी लगी होगी ,
उसमें भी मुझे यह अहसास था की वो एकटक मेरे सोते चेहरे को देख रहे हैं ,
मेरी एक लट मेरे गाल पर आ गयी थी , बड़े हलके से इन्होने उसे हटा दिया की कहीं मैं जग न जाऊं , पर।
.. दुष्ट लालची ,.... इनकी ऊँगली मेरे गाल को हलके से चोरी चोरी छूने से बाज नहीं आयी।
और मुर्गे की आवाज ने मेरी नींद खोली ,
इनका मुर्गा भी कुकुड़ू कूं कर रहा था।
एकदम जबरदस्त , और मेरी गुलाबो में ठोकर मार रहा था , तन्नाया , भूखा ,...
और मैंने अबकी खुद ही ,... हम दोनों साइड में लेते थे , एक दूसरे को पकडे , भींचे ,....
मैंने अपने पैर फैलाये और एक टांग उनके ऊपर रख दी ,...
इतना उस मुर्गे के लिए काफ़ी था , ... जोर से उन्होंने मुझे पकड़ रखा ही था , बस कस के एक जोर का धक्का जोर से ,... और ,... मैं हलके से चीखी ,
लेकिन लता की तरह कस के मेरा पैर उनकी कमर पर फंसा , ... वो मेरे अंदर धंसे ,...
वो चाहते भी तो उन्हें नहीं निकालने देती ,...
खिड़की भले ही बंद थी लेकिन पर्दा खुला था , ...
बाहर विभावरी कस कस कर ,रात की कालिमा , रगड़ रगड़ कर साफ़ कर रही थी ,... हलकी हलकी उजास दिखने लगी थी , चिड़िया चहचहाने लगी थीं ,...
ये तो दिसंबर की रात थी , वरना अबतक सुबह दस्तक दे रही होती ,
एक बार अंदर घुसने के बाद न उन्हें अब कोई जल्दी थी , न मुझे कोई घबड़ाहट ,
और अब उनके होंठ , रात में जो हलके से चुंबन चुरा लेते थे , कभी उन्हें लगता था , की मैं मना न कर दूँ , पर अब बड़े हक़ से , उनके होंठ मेरे होंठों को दबोच कर , कभी उनका रस लेते , तो कभी मेरे गोरे गुलाबी गालों को चूस लेते , हलके से कभी दांत भी ,...
और मैं सिहर उठती , सिसक सिसक कर ,...
मुश्किल से अगर कभी मेरे मुंह से नहीं निकल जाता तो तो उनके होंठों के भौंरे मेरे युगल कमल ,
दोनो जुबना पर घात लगा देते ,
अब तक मुझे मालूम पड़ गया था , ये लड़का ,... मेरे चोली के फूलों के पीछे ,... एकदम पागल है , .... उसकी निगाहें , उसकी उँगलियाँ , उसके होंठ ,...
जब वो कस के मेरे निप्स पर दोनों होंठ लगाए ,... मैं एकदम गीली हो रही थी , सिसक रही थी ,
गिनगीना रही थी , मेरे हाथों ने अपने आप उनके सर को पकड़ कर और जोर से , मेरी ओर ,...
मेरी देह अब मेरी रही कहाँ था , ... मन तो पहले भी ये चुरा ले गया था ,
उस दिन जब मेरी शादी में पहली बार चार आँखों का खेल शुरू हुआ ,...
और आज पहली रात में तन भी ले गया ये चोर चुरा कर ,... बल्कि डाका डाल कर ,...
और ' वो ' भी अंदर धंसा घुसा ,....
इनकी सलहज , मेरी रीतू भाभी ने बहुत सी बातें सिखायीं थी , ...
और उसमें एक ये भी थी की मरद की मलाई से बढ़कर कोई चिकनाई नहीं होती ,... इसलिए जैसे वो झड़े , दोनों निचले होंठ भींच कर , सब का सब अपने अंदर समेट लो , ... एक भी बूँद बाहर न छलकने दो , ...
अगली बार के लिए वही सबसे बड़ी चिकनाई होगी ,...
और यहाँ तो दो बार का , एकदम किनारे तक भरा ,... बजबजा रहा ,...
इसलिए अबकी इन्होने वैसलीन नहीं लगाई थी तब भी , धँसाने में ,... मैं नहीं कहूँगी दर्द नहीं हुआ , चीख निकल गयी मेरी ,... लेकिन ,... इनके कमर में ताकत भी तो जबरदस्त , ...
धीमे धीमे कर के आधे से ज्यादा अंदर था ,....
मेरी निगाह मैन्टलपीस पर रखी घड़ी पर पड़ी , सवा छः बजने वाले थे ,
पूरब में आसमान पर हलकी हलकी लालिमा छाने लगी थी, पूरी रात इनकी बाँहों में बीती ,
और ,... और शायद इनको भी अहसास हो गया था की बस अब कुछ देर में सुबह होने वाली थी ,...
बस इन्होने फिर एक बार , मेरी दोनों टाँगे इनके कंधे पर , ... और अब जब ये मेरे भारी नितम्बों के नीचे तकिया लगा रहे थे , मैंने खुद उन्हें और ऊँचा उठा लिया ,
बस फिर तो धक्के पर धक्का , अबकी दोनों हाथ इनके मेरे जुबना पर ही थे , हम दोनों एक दूसरे को अच्छी तरह देख रहे , कभी ये झुक के मुझे चूम लेते तो अब हिम्मत कर के मैं भी अपने होंठ ऊपर उठा कर , और सच बोलूं तो , पहली दो बार के मुकाबले ये तो एकदम दस गुनी तेजी से ,
एकदम मुझे मसल कुचल कर के रख दिया उस बदमाश ने ,...
पूरे आधे घंटे तक , और मैं बावरी भी अब उन्ही का साथ दे रही थी ,...
चुन चुन कर मेरी नंदों ने बिस्तर पर गुलाब की पंखुड़ियां , जूही और चमेली की कलियाँ ,...
मेरे साथ वो भी मसल दी गयीं ,.. पता नहीं कितनी बार मेरी आँखों के आगे तारे नाचे ,
मैं एकदम शिथिल हुयी पर अबकी उनके धक्के कम होने का नाम नहीं ले रहे थे ,...
और जब हम दोनों साथ साथ ,... वो मेरे ऊपर , मेरे अंदर ,...
तो भी मैं जो उन्हें कस के अपनी बाँहों में भींचे थी , वो पकडन कम नहीं हुयी
हम दोनों एक दूसरे को जकड़े दबोचे , थोड़ी देर वो मेरे ऊपर , .....
और फिर अगल बगल , .... वो मेरे अंदर पूरी तरह धंसे , न उनका मन कर रहा था मुझे छोड़ने का
और मेरा तो ,... जिस दिन मैंने उन्हें पहले पहल देखा था उस दिन से ही ,...
बस यही सोचती थी किसी तरह ये लड़का एक बार पकड़ में आ जाए ,...
लेकिन श्रीमती घडी देवी न , ...
पहले आसमान पर हलकी सी टिकुली सी , और फिर धूप की किरण , ... हम लोगों की देह पर रंगोली बनाती , शरारती ननदों की तरह छेड़ती , चिढ़ाती , चिकोटियां काटती ,...
घड़ी में पहले मेरी निगाह पड़ी , फिर उनकी , सात बज गए थे , ....
माना भाभी ने नौ बजे तक का अभयदान हमें दिया था ,
लेकिन ,... मैने उठने की कोशिश की लेकिन बहुत जोर से जाँघों में चिलक उठी , एक तेज दर्द की लहर ,...
पर ये लड़का था न ,
उन्होंने सहारा देकर उठाया ,
मैंने झुक कर किसी तरह अपनी रात से बिछुड़ी चोली , लहंगे और चुनर को उठाया ,
बस लपेट लिया किसी तरह ... एक कदम नहीं चला जा रहा था , ...
पर इन्होने सहारा देकर ,... कमरे से सटा हुआ बाथरूम ,...
और उसी के साथ एक ड्रेसिंग रूम भी ,... बस दरवाजा खोल के उन्होंने मुझे अंदर तक ,...
और जब तक मैंने दरवाजा बंद नहीं किया , .... वो लालची मुझे देखता रहा ,...
मुश्किल से पन्दरह बीस मिनट के लिए झपकी लगी होगी ,
उसमें भी मुझे यह अहसास था की वो एकटक मेरे सोते चेहरे को देख रहे हैं ,
मेरी एक लट मेरे गाल पर आ गयी थी , बड़े हलके से इन्होने उसे हटा दिया की कहीं मैं जग न जाऊं , पर।
.. दुष्ट लालची ,.... इनकी ऊँगली मेरे गाल को हलके से चोरी चोरी छूने से बाज नहीं आयी।
और मुर्गे की आवाज ने मेरी नींद खोली ,
इनका मुर्गा भी कुकुड़ू कूं कर रहा था।
एकदम जबरदस्त , और मेरी गुलाबो में ठोकर मार रहा था , तन्नाया , भूखा ,...
और मैंने अबकी खुद ही ,... हम दोनों साइड में लेते थे , एक दूसरे को पकडे , भींचे ,....
मैंने अपने पैर फैलाये और एक टांग उनके ऊपर रख दी ,...
इतना उस मुर्गे के लिए काफ़ी था , ... जोर से उन्होंने मुझे पकड़ रखा ही था , बस कस के एक जोर का धक्का जोर से ,... और ,... मैं हलके से चीखी ,
लेकिन लता की तरह कस के मेरा पैर उनकी कमर पर फंसा , ... वो मेरे अंदर धंसे ,...
वो चाहते भी तो उन्हें नहीं निकालने देती ,...
खिड़की भले ही बंद थी लेकिन पर्दा खुला था , ...
बाहर विभावरी कस कस कर ,रात की कालिमा , रगड़ रगड़ कर साफ़ कर रही थी ,... हलकी हलकी उजास दिखने लगी थी , चिड़िया चहचहाने लगी थीं ,...
ये तो दिसंबर की रात थी , वरना अबतक सुबह दस्तक दे रही होती ,
एक बार अंदर घुसने के बाद न उन्हें अब कोई जल्दी थी , न मुझे कोई घबड़ाहट ,
और अब उनके होंठ , रात में जो हलके से चुंबन चुरा लेते थे , कभी उन्हें लगता था , की मैं मना न कर दूँ , पर अब बड़े हक़ से , उनके होंठ मेरे होंठों को दबोच कर , कभी उनका रस लेते , तो कभी मेरे गोरे गुलाबी गालों को चूस लेते , हलके से कभी दांत भी ,...
और मैं सिहर उठती , सिसक सिसक कर ,...
मुश्किल से अगर कभी मेरे मुंह से नहीं निकल जाता तो तो उनके होंठों के भौंरे मेरे युगल कमल ,
दोनो जुबना पर घात लगा देते ,
अब तक मुझे मालूम पड़ गया था , ये लड़का ,... मेरे चोली के फूलों के पीछे ,... एकदम पागल है , .... उसकी निगाहें , उसकी उँगलियाँ , उसके होंठ ,...
जब वो कस के मेरे निप्स पर दोनों होंठ लगाए ,... मैं एकदम गीली हो रही थी , सिसक रही थी ,
गिनगीना रही थी , मेरे हाथों ने अपने आप उनके सर को पकड़ कर और जोर से , मेरी ओर ,...
मेरी देह अब मेरी रही कहाँ था , ... मन तो पहले भी ये चुरा ले गया था ,
उस दिन जब मेरी शादी में पहली बार चार आँखों का खेल शुरू हुआ ,...
और आज पहली रात में तन भी ले गया ये चोर चुरा कर ,... बल्कि डाका डाल कर ,...
और ' वो ' भी अंदर धंसा घुसा ,....
इनकी सलहज , मेरी रीतू भाभी ने बहुत सी बातें सिखायीं थी , ...
और उसमें एक ये भी थी की मरद की मलाई से बढ़कर कोई चिकनाई नहीं होती ,... इसलिए जैसे वो झड़े , दोनों निचले होंठ भींच कर , सब का सब अपने अंदर समेट लो , ... एक भी बूँद बाहर न छलकने दो , ...
अगली बार के लिए वही सबसे बड़ी चिकनाई होगी ,...
और यहाँ तो दो बार का , एकदम किनारे तक भरा ,... बजबजा रहा ,...
इसलिए अबकी इन्होने वैसलीन नहीं लगाई थी तब भी , धँसाने में ,... मैं नहीं कहूँगी दर्द नहीं हुआ , चीख निकल गयी मेरी ,... लेकिन ,... इनके कमर में ताकत भी तो जबरदस्त , ...
धीमे धीमे कर के आधे से ज्यादा अंदर था ,....
मेरी निगाह मैन्टलपीस पर रखी घड़ी पर पड़ी , सवा छः बजने वाले थे ,
पूरब में आसमान पर हलकी हलकी लालिमा छाने लगी थी, पूरी रात इनकी बाँहों में बीती ,
और ,... और शायद इनको भी अहसास हो गया था की बस अब कुछ देर में सुबह होने वाली थी ,...
बस इन्होने फिर एक बार , मेरी दोनों टाँगे इनके कंधे पर , ... और अब जब ये मेरे भारी नितम्बों के नीचे तकिया लगा रहे थे , मैंने खुद उन्हें और ऊँचा उठा लिया ,
बस फिर तो धक्के पर धक्का , अबकी दोनों हाथ इनके मेरे जुबना पर ही थे , हम दोनों एक दूसरे को अच्छी तरह देख रहे , कभी ये झुक के मुझे चूम लेते तो अब हिम्मत कर के मैं भी अपने होंठ ऊपर उठा कर , और सच बोलूं तो , पहली दो बार के मुकाबले ये तो एकदम दस गुनी तेजी से ,
एकदम मुझे मसल कुचल कर के रख दिया उस बदमाश ने ,...
पूरे आधे घंटे तक , और मैं बावरी भी अब उन्ही का साथ दे रही थी ,...
चुन चुन कर मेरी नंदों ने बिस्तर पर गुलाब की पंखुड़ियां , जूही और चमेली की कलियाँ ,...
मेरे साथ वो भी मसल दी गयीं ,.. पता नहीं कितनी बार मेरी आँखों के आगे तारे नाचे ,
मैं एकदम शिथिल हुयी पर अबकी उनके धक्के कम होने का नाम नहीं ले रहे थे ,...
और जब हम दोनों साथ साथ ,... वो मेरे ऊपर , मेरे अंदर ,...
तो भी मैं जो उन्हें कस के अपनी बाँहों में भींचे थी , वो पकडन कम नहीं हुयी
हम दोनों एक दूसरे को जकड़े दबोचे , थोड़ी देर वो मेरे ऊपर , .....
और फिर अगल बगल , .... वो मेरे अंदर पूरी तरह धंसे , न उनका मन कर रहा था मुझे छोड़ने का
और मेरा तो ,... जिस दिन मैंने उन्हें पहले पहल देखा था उस दिन से ही ,...
बस यही सोचती थी किसी तरह ये लड़का एक बार पकड़ में आ जाए ,...
लेकिन श्रीमती घडी देवी न , ...
पहले आसमान पर हलकी सी टिकुली सी , और फिर धूप की किरण , ... हम लोगों की देह पर रंगोली बनाती , शरारती ननदों की तरह छेड़ती , चिढ़ाती , चिकोटियां काटती ,...
घड़ी में पहले मेरी निगाह पड़ी , फिर उनकी , सात बज गए थे , ....
माना भाभी ने नौ बजे तक का अभयदान हमें दिया था ,
लेकिन ,... मैने उठने की कोशिश की लेकिन बहुत जोर से जाँघों में चिलक उठी , एक तेज दर्द की लहर ,...
पर ये लड़का था न ,
उन्होंने सहारा देकर उठाया ,
मैंने झुक कर किसी तरह अपनी रात से बिछुड़ी चोली , लहंगे और चुनर को उठाया ,
बस लपेट लिया किसी तरह ... एक कदम नहीं चला जा रहा था , ...
पर इन्होने सहारा देकर ,... कमरे से सटा हुआ बाथरूम ,...
और उसी के साथ एक ड्रेसिंग रूम भी ,... बस दरवाजा खोल के उन्होंने मुझे अंदर तक ,...
और जब तक मैंने दरवाजा बंद नहीं किया , .... वो लालची मुझे देखता रहा ,...