25-01-2021, 07:46 PM
भाभी , छोड़िये न , ... प्लीज ,... "
" हे तुम दोनों मिल के मुझे टॉपलेस कर रहे थे न , सिर्फ खोल लेने से थोड़ी होता है , ऐसे करते हैं टॉपलेस जैसे मैंने अभी तुझे किया है और कहो तो इसे भी खिंच के अलग कर दूँ , ... "
पीछे से मैं अपना अगवाड़ा उसके पिछवाड़े पर रगड़ते उसे छेड़ रही थी
मेरे दोनों निपल एकदम खड़े कड़े देवर की अब एकदम खुली पीठ पर बरछी की नोक की तरह चुभ रहे
और मैंने कस के अपने उभार उसकी पीठ पर रगड़ पर भी रही थी , पर उसके टॉपलेस होने का पूरा फायदा मिला मेरे दोनों हाथों को , एक हाथ ने तो कस के उसके टिट्स को पकड़ रखा था , क्या कोई नयी लौंडिया के निपल को रगड़ता होगा जिस तरह मैं कचकचा के रंगड़ रही थी , ... और साथ में उसकी सगी बहन का नाम लेकर , वो भी हाईस्कूल में पढ़ती थी , ...
" हे उसके निप्प्स भी तो खूब मस्त हैं , खूब दबाते होंगे न , कभी मुंह में लेकर चूसा है की नहीं , ... "
और दूसरा हाथ नीचे की ओर सरकता हुआ , उसके पेट पर कालिख रगड़ता ,
और मेरे हाथ कोई मेरे देवर की तरह शरीफ तो थे नहीं , की सिर्फ ऊपर की मंजिल पर सारी ताकत खर्च कर दें मैंने बराबर बराबर बाँट लिया , एक हाथ ऊपर की मंजिल के लिए और दूसरा नीचे के लिए ,
और वो भी समझ रहा था , की मेरा दूसरा हाथ किधर जा रहा है , पेट से सरकता हुआ , ... बस जहाँ बरमूडा शुरू हो रहा था ,...
और मैंने बारमूडा नीचे सरकना शुरू कर दिया ,
अब उसकी हालत खराब , हाथ पैर उसने पटकने शुरू कर दिए , छुड़ाने की लाख कोशिश
पर आज उसने अच्छे घर दावत दी थी , बनारस वाली नयकी भौजी के पास , ... और मैं भी एकदम भांग के नशे में चूर ,... मुझे सिर्फ एक चीज दिख रही थी ,
" भाभी , छोड़िये न , ... प्लीज ,... "
उसने गुहार लगायी और मैंने बारमूडा एक इंच और नीचे सरकाते हुए जोबन कस के उसके पीठ पर रगड़ते , जोर से चिढ़ाया
" क्यों कोई ख़ास चीज छुपाया है उसके अंदर ,... फॉर सिस्टर्स ओनली है क्या ,.... बस ज़रा सा , अच्छा खाली दिखा दो ,... "
मेरे एक हाथ ने उसे कस के दबोच रखा था पर असली पकड़ थी मेरी दोनों टांगों की जिन्होंने उसकी दोनों टांगों को अच्छी तरह फंसा रखा था और मैंने अपनी दोनों टांगों को फैला के उसकी टांगो को भी ,...
छूटने का सवाल ही नहीं था , और मैं अपने देवर को छोड़ने वाली भी नहीं थी , अभी तो होली का मजा आना शुरू हुआ था।
उसने अपने साथी को आवाज लगाई , ... बंटू ने मुझे पीछे से दबोच लिया लेकिन बजाय मेरे हाथ अलग करने के , उसके दोनों हाथ मेरे दोनों जोबन में लग गए पर मुझे कुछ फरक नहीं पड़ता था अरे अगर होली ने थोड़ा देवर ने जोबन रस ले भी लिया तो क्या ,...
बरमूडा अब थोड़ा नीचे , और अब खूंटे का बेस खुल गया था। ..
एकदम चिक्कन मुक्कन , लगता था देवर बाबू झांटे वांटे साफ़ कर के आये थे ,
अँगूठे और तर्जनी के बेस से उसे रगड़ते हुए मैंने चिढ़ाया
" क्यों अपनी बहिनिया की तरह माखन मलाई की तरह ,... "
और फिर ऊपर के दो इंच ,
पता तो मुझे चल ही गया था मोटा भी है लम्बा भी और कड़क भी ,
और बेसबरा भी , बस अब ऊपर के हिस्से को पकड़ के मैं खुल के रगड़ रही थी मसल रही थी , बारमूडा थोड़ा और नीचे सरक गया था
पर जिस तरह से वो छटपटा रहा था और पीछे से बंटू लगा था , मैं उन दोनों के बीच सैंडविच बनी ,
इससे ज्यादा मुश्किल लग रहा था
बस यही सोच रही थी अगर बस आज कम्मो होती न यहाँ तो इन दोनों को हम दोनों मिल के बता देतीं ,
बनारस वाली भाभियों से होली का मजा क्या होता है।
और कभी कभी न मन की मुराद तुरंत पूरी हो जाती हैं , ...
और मेरी पूरी हो गयी , पीछे वाले दरवाजे से कम्मो आ गयी ,
अब हम लोगों का पलड़ा पक्का भारी था
" हे तुम दोनों मिल के मुझे टॉपलेस कर रहे थे न , सिर्फ खोल लेने से थोड़ी होता है , ऐसे करते हैं टॉपलेस जैसे मैंने अभी तुझे किया है और कहो तो इसे भी खिंच के अलग कर दूँ , ... "
पीछे से मैं अपना अगवाड़ा उसके पिछवाड़े पर रगड़ते उसे छेड़ रही थी
मेरे दोनों निपल एकदम खड़े कड़े देवर की अब एकदम खुली पीठ पर बरछी की नोक की तरह चुभ रहे
और मैंने कस के अपने उभार उसकी पीठ पर रगड़ पर भी रही थी , पर उसके टॉपलेस होने का पूरा फायदा मिला मेरे दोनों हाथों को , एक हाथ ने तो कस के उसके टिट्स को पकड़ रखा था , क्या कोई नयी लौंडिया के निपल को रगड़ता होगा जिस तरह मैं कचकचा के रंगड़ रही थी , ... और साथ में उसकी सगी बहन का नाम लेकर , वो भी हाईस्कूल में पढ़ती थी , ...
" हे उसके निप्प्स भी तो खूब मस्त हैं , खूब दबाते होंगे न , कभी मुंह में लेकर चूसा है की नहीं , ... "
और दूसरा हाथ नीचे की ओर सरकता हुआ , उसके पेट पर कालिख रगड़ता ,
और मेरे हाथ कोई मेरे देवर की तरह शरीफ तो थे नहीं , की सिर्फ ऊपर की मंजिल पर सारी ताकत खर्च कर दें मैंने बराबर बराबर बाँट लिया , एक हाथ ऊपर की मंजिल के लिए और दूसरा नीचे के लिए ,
और वो भी समझ रहा था , की मेरा दूसरा हाथ किधर जा रहा है , पेट से सरकता हुआ , ... बस जहाँ बरमूडा शुरू हो रहा था ,...
और मैंने बारमूडा नीचे सरकना शुरू कर दिया ,
अब उसकी हालत खराब , हाथ पैर उसने पटकने शुरू कर दिए , छुड़ाने की लाख कोशिश
पर आज उसने अच्छे घर दावत दी थी , बनारस वाली नयकी भौजी के पास , ... और मैं भी एकदम भांग के नशे में चूर ,... मुझे सिर्फ एक चीज दिख रही थी ,
" भाभी , छोड़िये न , ... प्लीज ,... "
उसने गुहार लगायी और मैंने बारमूडा एक इंच और नीचे सरकाते हुए जोबन कस के उसके पीठ पर रगड़ते , जोर से चिढ़ाया
" क्यों कोई ख़ास चीज छुपाया है उसके अंदर ,... फॉर सिस्टर्स ओनली है क्या ,.... बस ज़रा सा , अच्छा खाली दिखा दो ,... "
मेरे एक हाथ ने उसे कस के दबोच रखा था पर असली पकड़ थी मेरी दोनों टांगों की जिन्होंने उसकी दोनों टांगों को अच्छी तरह फंसा रखा था और मैंने अपनी दोनों टांगों को फैला के उसकी टांगो को भी ,...
छूटने का सवाल ही नहीं था , और मैं अपने देवर को छोड़ने वाली भी नहीं थी , अभी तो होली का मजा आना शुरू हुआ था।
उसने अपने साथी को आवाज लगाई , ... बंटू ने मुझे पीछे से दबोच लिया लेकिन बजाय मेरे हाथ अलग करने के , उसके दोनों हाथ मेरे दोनों जोबन में लग गए पर मुझे कुछ फरक नहीं पड़ता था अरे अगर होली ने थोड़ा देवर ने जोबन रस ले भी लिया तो क्या ,...
बरमूडा अब थोड़ा नीचे , और अब खूंटे का बेस खुल गया था। ..
एकदम चिक्कन मुक्कन , लगता था देवर बाबू झांटे वांटे साफ़ कर के आये थे ,
अँगूठे और तर्जनी के बेस से उसे रगड़ते हुए मैंने चिढ़ाया
" क्यों अपनी बहिनिया की तरह माखन मलाई की तरह ,... "
और फिर ऊपर के दो इंच ,
पता तो मुझे चल ही गया था मोटा भी है लम्बा भी और कड़क भी ,
और बेसबरा भी , बस अब ऊपर के हिस्से को पकड़ के मैं खुल के रगड़ रही थी मसल रही थी , बारमूडा थोड़ा और नीचे सरक गया था
पर जिस तरह से वो छटपटा रहा था और पीछे से बंटू लगा था , मैं उन दोनों के बीच सैंडविच बनी ,
इससे ज्यादा मुश्किल लग रहा था
बस यही सोच रही थी अगर बस आज कम्मो होती न यहाँ तो इन दोनों को हम दोनों मिल के बता देतीं ,
बनारस वाली भाभियों से होली का मजा क्या होता है।
और कभी कभी न मन की मुराद तुरंत पूरी हो जाती हैं , ...
और मेरी पूरी हो गयी , पीछे वाले दरवाजे से कम्मो आ गयी ,
अब हम लोगों का पलड़ा पक्का भारी था