03-08-2020, 01:25 PM
दीदी ( मेरी जेठानी ) मुझसे मुस्करा के बोलीं ,
" पता चल गया न फागुन का पहला दिन , ... "
" एकदम दीदी , शुरुआत ऐसी है तो ,... "
लेकिन मेरी बात ख़तम होने के पहले ही उनकी तेज निगाह अपने देवर पर पड़ी , जो वाश बेसिन के सामने मुंह धोने की कोशिश कर रहे थे ,
" खबरदार जो रंग छुड़ाने की कोशिश की , इत्ती मेहनत से रगड़ रगड़ के लगाया है पूरे आधे घंटे। "
उन्होंने अपने देवर को हड़काया।
तबतक कम्मो भी मैदान में आ गयी , वही जो मेरी जेठानी से उमर में साल दो साल ही बड़ी रही होगी और लगती इनकी भौजी ही थी , और साथ में मेरी सास भी पूजा कर के आ गयीं , वो भी इन्हे देखकर मुस्कराने लगीं।
" अरे अगर तनिको छुड़वाने क कोशिश करीहें न , तो जितना मुंहवा पे लगा है न उसका दूना गंडियों पर लग जाएगा , ... दू दू भौजाई हैं , ... "
कम्मो एकदम अपने लेवल पर आ गयी .
मैं मजा लेने का मौका क्यों छोड़ती , चाय छानते मैं बोली , ( देख मैं उनको रही थी , पूछ अपनी जेठानी से रही थी , सच में बहुत मज़ा आ रहा था उनकी दुर्गत देखने में ,... )
" लेकिन दीदी आपके देवर ने मुंह किसके साथ काला किया ये समझ में नहीं आ रहा है "
लेकिन जवाब कम्मो ने दिया , मुझसे चाय लेकर अपने देवर को देते बोली ,
" और कौन , उ एलवल वाली छिनार , उहै चोदवासी फिरती है , का नाम है ओकर ,... रंडी ,... कहो देवर जी सही कह रही हूँ न ओहि के साथ "
वो बेचारे क्या बोलते , सासू जी बगल में बैठी थीं , और वो एकदम खुल के मुस्करा रही थी और मेरी जेठानियों को चढ़ा रही थीं , "
मैं भी अब एकदम खुल गयी सबसे , मैंने थोड़ा सा नाम में संशोधन किया , ...
" रंडी की ,... गुड्डी "
" अरे नाम भले गुड्डी है , काम तो रंडी का ही है ,... पैदायशी खानदानी रंडी क्यों देवर जी है न ,... "
अब मेरी जेठानी भी कम्मो के लेवल पर उतर आयीं थीं ,
" पता चल गया न फागुन का पहला दिन , ... "
" एकदम दीदी , शुरुआत ऐसी है तो ,... "
लेकिन मेरी बात ख़तम होने के पहले ही उनकी तेज निगाह अपने देवर पर पड़ी , जो वाश बेसिन के सामने मुंह धोने की कोशिश कर रहे थे ,
" खबरदार जो रंग छुड़ाने की कोशिश की , इत्ती मेहनत से रगड़ रगड़ के लगाया है पूरे आधे घंटे। "
उन्होंने अपने देवर को हड़काया।
तबतक कम्मो भी मैदान में आ गयी , वही जो मेरी जेठानी से उमर में साल दो साल ही बड़ी रही होगी और लगती इनकी भौजी ही थी , और साथ में मेरी सास भी पूजा कर के आ गयीं , वो भी इन्हे देखकर मुस्कराने लगीं।
" अरे अगर तनिको छुड़वाने क कोशिश करीहें न , तो जितना मुंहवा पे लगा है न उसका दूना गंडियों पर लग जाएगा , ... दू दू भौजाई हैं , ... "
कम्मो एकदम अपने लेवल पर आ गयी .
मैं मजा लेने का मौका क्यों छोड़ती , चाय छानते मैं बोली , ( देख मैं उनको रही थी , पूछ अपनी जेठानी से रही थी , सच में बहुत मज़ा आ रहा था उनकी दुर्गत देखने में ,... )
" लेकिन दीदी आपके देवर ने मुंह किसके साथ काला किया ये समझ में नहीं आ रहा है "
लेकिन जवाब कम्मो ने दिया , मुझसे चाय लेकर अपने देवर को देते बोली ,
" और कौन , उ एलवल वाली छिनार , उहै चोदवासी फिरती है , का नाम है ओकर ,... रंडी ,... कहो देवर जी सही कह रही हूँ न ओहि के साथ "
वो बेचारे क्या बोलते , सासू जी बगल में बैठी थीं , और वो एकदम खुल के मुस्करा रही थी और मेरी जेठानियों को चढ़ा रही थीं , "
मैं भी अब एकदम खुल गयी सबसे , मैंने थोड़ा सा नाम में संशोधन किया , ...
" रंडी की ,... गुड्डी "
" अरे नाम भले गुड्डी है , काम तो रंडी का ही है ,... पैदायशी खानदानी रंडी क्यों देवर जी है न ,... "
अब मेरी जेठानी भी कम्मो के लेवल पर उतर आयीं थीं ,