03-04-2020, 04:45 PM
मेरी जेठानी
और ' दिन की देवरानी '
ये और गुड्डी डाइनिंग टेबल की ओर बढे जहाँ मेरी जेठानी इंतज़ार कर रही थीं , खाना लग गया था।
और मैं किचेन की ओर नाश्ते के बर्तन लेकर ,
जब पहुंची तो मेरी ननद रानी की रगड़ाई अच्छी तरह शुरू हो गयी थी ,
उसकी बड़ी भाभी थीं न , मेरी जेठानी , उस का 'स्वागत -सत्कार ' करने के लिए ,
जान बुझ कर उन्होंने 'इन्हे ' किनारे वाली सीट पर बैठाया ,
बस गुड्डी इनकी बगल वाली चेयर पर बैठ गयी और उसकी खिंचायी शुरू।
" आज से तुम मेरी नयी देवरानी हो गयी "
उसके मीठे मीठे गाल पर जोर से चिकोटी काटती मेरी जेठानी ने चिढ़ाया , और समझाया भी
" अरे मेरे देवर के बाएं बैठी हो , वामा , ... तो मेरी देवरानी तो हुयी न। "
जब तक वो उठने की कोशिश करती , तब तक मैं भी पहुंच गयी और जबरन वहीँ उसे दबा कर बैठा दिया
और खुद गुड्डी के बगल में बैठ गयी , और जेठानी जी से बोला ,
" तो ठीक तो है , दीदी ,...देवर एक देवरानी दो ,... हम लोग शिफ्ट बांध लेंगे , १२ -१२ घंटे की , रात वाली देवरानी मैं और दिन वाली ये , ...
क्यों आप बुरा तो नहीं मानोगे . "
मैंने बात इनकी ओर मोड़ दी और क्या जबरदस्त ब्लश किया इन्होने , इत्ता तो इनका माल नहीं शरमा रहा था।
और जवाब सामने टेबल पैट बैठती मेरी जेठानी ने अब अपने देवर को छेड़ते दिया ,
" ये क्यों बुरा मानेगा , ...इसका तो बचपन का माल है , ... और नया नया स्वाद भी मिलेगा ,
फिर दोनों टाइम कब्बडी खेलने का मौका , .... और तुम भी रोज रतजगा करती हो , कम से कम दिन में सो लेना , ...दिन में ये तेरी 'ननद बनी देवरानी' रहेगी न , ... "
बात जेठानी ने मेरे ऊपर ख़तम की और मैंने मोर्चा सम्हाल लिया ,
" गुड्डी , चुप का मतलब जानती हो न , ... मौनं स्वीकृति ही लक्षणम , मतलब तू रेडी है न दिन की ड्यूटी सम्हालने के लिए ,... "
" अरे ये तो तबसे रेडी है जबसे इसकी केसर क्यारी आयी और नीचे रक्तपात शुरू हुआ , ... ये तेरा वाला ही थोड़ा , ... स्लो स्टार्ट है ,... "
जेठानी ने अब जवाब दे दिया।
लेकिन मेरी शंकाये ऐसी थी की कम होने का नाम नहीं ले रही थीं ,
फिर बगल में जेठानी जी बैठी थीं न शंका समाधान के लिए और ऊपर से अब तक जो उन्होंने कहा था ,
उसपर न उनके देवर ने कोई आब्जेक्शन लगाया था , न ' दिन की शिफ्ट वाली देवरानी ' ने , तो इस लिए मैंने पूछ ही लिया ,
" लेकिन दी , लेकिन ,... "
मैं थोड़ा हिचकिचा रही थी पर जेठानी जी ने हिम्मत बढ़ाई ,
" अरे पूछो न , पूछो मैं बताउंगी न , ... "
और मैंने पूछ लिया, गुड्डी की ओर साफ़ साफ़ इशारा कर के ,
" मान लिया , आपकी कहीं , . ये जो दिन वाली आपकी देवरानी मेरी बगल में बैठीं हैं , कहीं ,... मेरा मतलब है , कहीं , गाभिन वाभिन हो गयीं तो , ... "
जेठानी जी ने मुझे भी जवाब दिया और अपनी नयी बनी ' दिन की शिफ्ट वाली देवरानी ' को हड़काया भी ,
" अरे रोज बिना नागा कबड्डी खेलेंगी मेरे देवर के साथ तो गाभिन तो होगी ही , देवरानी काहें को बनाया है , फिर बात उन्होंने गुड्डी की ओर मोड़ दी और उसे हड़काने लगी ,
" अरे सुनो , मेरी नयकी देवरानी , खबरदार , कोई मॉर्निंग आफ्टर , मॉर्निंग बिफोर कोई गोली वाली मत खाना , और वैसे भी तुझे मैं वो गोली खिला के अपने देवर के पास भेजूंगी न की किसी पिल विल का कोई असर नहीं होगा और रबड़ वबड़ का कोई चक्कर नहीं , सीधे चमड़े से चमड़े की रगड़ाई , "
और फिर उन्होंने मेरी ओर देखते हुए अपनी बात पूरी की ,
" तो हाँ तुम कह रही थी ये 'दिन वाली देवरानी ' कतौं गाभिन हो गयीं , तो का हुआ , अरे गाभिन होंगी तो नौ महीने पेट फुलाये घूमेंगी ,
नौवें महीना बियायेंगी , सोहर होगा , लड़का को दूध पिलायेंगी ,
कुछ हमरे देवर को भी पिला देंगी ,...
और दो चार महीना बाद फिर पेट फुला लेंगी , ये कौन नोखे की बात है ,... :
ये बात जेठानी जी की एकदम सही थी की उनके देवर सच में ' स्लो स्टार्टर ' थे , कुछ ज्यादा ही सीधे , शर्मीले , लजीले , इतना तो आज कल कोई लड़की भी नहीं लजाती , सह में इनसे न , ... खाली पढ़ाई लिखाई में अव्वल होने से थोड़े हो जाता है सब कुछ
पहले दिन ही अगर मैंने थोड़ा ज्यादा ना नुकुर की होती न , ... तो ये खुद बोलते , अच्छा चलो सो जाते हैं , जिस लड़के को मेरा नाम पता करने में २४ घंटे लग गए ,... पर अब तो ये इतना फास्ट है की , कोई मौका नहीं छोड़ते ,...
मैंने जेठानी जी की बात में थोड़ा सुधार किया ,
" दीदी , ... आप की बात पहले सही थी , ... लेकिन अब एक बार गाडी स्टार्ट हो गयी है तो चलेगी , ... अब दिन रात दोनों टाइम ,... तो अभी दिन भी है , देवर भी है , खाने के बाद एक राउंड , ... क्यों हो जाए , ... "
" नहीं नही , मेरी फ्लाइट का टाइम है , फिर रास्ता भी अभी खराब है ,... "
वो बीच में बात काट के बोले ,
तो उनकी भाभी ने अपने देवर से बोला
कोई बात नहीं मान तो गया न तू , ये मेरी ननद तो पहले ही तैयार है , खुद तेरे बांये आके बैठ गयी , ... चल अगली बार , ...
गुड्डी सुन यार तू अगली बार थोड़ा जल्दी आना साफ़ सूफ करके , तेरा फीता कटवा दूंगी मैं अपने देवर से , ... "
" एकदम पक्का , गुड्डी मान जा यार , मैं सर्टिफाई करती हूँ , बहुत मज़ा मिलेगा , ... अरे मुंह मत लटका , एक हफ्ते की तो बात है , फिर हम लोगों की बिरादरी में आ जायेगी , ... ठीक है दीदी , आपके देवर भी तैयार , नयी नयी देवरानी भी तैयार , ... बस अगले संडे को ,... " ,
अब मैं चालू हो गयी थी।
उन्होंने खाने का ढककन खोल के बात बदलने के लिए बोला ,
"भाभी चलिए खाना शुरू करते है , "
और ' दिन की देवरानी '
ये और गुड्डी डाइनिंग टेबल की ओर बढे जहाँ मेरी जेठानी इंतज़ार कर रही थीं , खाना लग गया था।
और मैं किचेन की ओर नाश्ते के बर्तन लेकर ,
जब पहुंची तो मेरी ननद रानी की रगड़ाई अच्छी तरह शुरू हो गयी थी ,
उसकी बड़ी भाभी थीं न , मेरी जेठानी , उस का 'स्वागत -सत्कार ' करने के लिए ,
जान बुझ कर उन्होंने 'इन्हे ' किनारे वाली सीट पर बैठाया ,
बस गुड्डी इनकी बगल वाली चेयर पर बैठ गयी और उसकी खिंचायी शुरू।
" आज से तुम मेरी नयी देवरानी हो गयी "
उसके मीठे मीठे गाल पर जोर से चिकोटी काटती मेरी जेठानी ने चिढ़ाया , और समझाया भी
" अरे मेरे देवर के बाएं बैठी हो , वामा , ... तो मेरी देवरानी तो हुयी न। "
जब तक वो उठने की कोशिश करती , तब तक मैं भी पहुंच गयी और जबरन वहीँ उसे दबा कर बैठा दिया
और खुद गुड्डी के बगल में बैठ गयी , और जेठानी जी से बोला ,
" तो ठीक तो है , दीदी ,...देवर एक देवरानी दो ,... हम लोग शिफ्ट बांध लेंगे , १२ -१२ घंटे की , रात वाली देवरानी मैं और दिन वाली ये , ...
क्यों आप बुरा तो नहीं मानोगे . "
मैंने बात इनकी ओर मोड़ दी और क्या जबरदस्त ब्लश किया इन्होने , इत्ता तो इनका माल नहीं शरमा रहा था।
और जवाब सामने टेबल पैट बैठती मेरी जेठानी ने अब अपने देवर को छेड़ते दिया ,
" ये क्यों बुरा मानेगा , ...इसका तो बचपन का माल है , ... और नया नया स्वाद भी मिलेगा ,
फिर दोनों टाइम कब्बडी खेलने का मौका , .... और तुम भी रोज रतजगा करती हो , कम से कम दिन में सो लेना , ...दिन में ये तेरी 'ननद बनी देवरानी' रहेगी न , ... "
बात जेठानी ने मेरे ऊपर ख़तम की और मैंने मोर्चा सम्हाल लिया ,
" गुड्डी , चुप का मतलब जानती हो न , ... मौनं स्वीकृति ही लक्षणम , मतलब तू रेडी है न दिन की ड्यूटी सम्हालने के लिए ,... "
" अरे ये तो तबसे रेडी है जबसे इसकी केसर क्यारी आयी और नीचे रक्तपात शुरू हुआ , ... ये तेरा वाला ही थोड़ा , ... स्लो स्टार्ट है ,... "
जेठानी ने अब जवाब दे दिया।
लेकिन मेरी शंकाये ऐसी थी की कम होने का नाम नहीं ले रही थीं ,
फिर बगल में जेठानी जी बैठी थीं न शंका समाधान के लिए और ऊपर से अब तक जो उन्होंने कहा था ,
उसपर न उनके देवर ने कोई आब्जेक्शन लगाया था , न ' दिन की शिफ्ट वाली देवरानी ' ने , तो इस लिए मैंने पूछ ही लिया ,
" लेकिन दी , लेकिन ,... "
मैं थोड़ा हिचकिचा रही थी पर जेठानी जी ने हिम्मत बढ़ाई ,
" अरे पूछो न , पूछो मैं बताउंगी न , ... "
और मैंने पूछ लिया, गुड्डी की ओर साफ़ साफ़ इशारा कर के ,
" मान लिया , आपकी कहीं , . ये जो दिन वाली आपकी देवरानी मेरी बगल में बैठीं हैं , कहीं ,... मेरा मतलब है , कहीं , गाभिन वाभिन हो गयीं तो , ... "
जेठानी जी ने मुझे भी जवाब दिया और अपनी नयी बनी ' दिन की शिफ्ट वाली देवरानी ' को हड़काया भी ,
" अरे रोज बिना नागा कबड्डी खेलेंगी मेरे देवर के साथ तो गाभिन तो होगी ही , देवरानी काहें को बनाया है , फिर बात उन्होंने गुड्डी की ओर मोड़ दी और उसे हड़काने लगी ,
" अरे सुनो , मेरी नयकी देवरानी , खबरदार , कोई मॉर्निंग आफ्टर , मॉर्निंग बिफोर कोई गोली वाली मत खाना , और वैसे भी तुझे मैं वो गोली खिला के अपने देवर के पास भेजूंगी न की किसी पिल विल का कोई असर नहीं होगा और रबड़ वबड़ का कोई चक्कर नहीं , सीधे चमड़े से चमड़े की रगड़ाई , "
और फिर उन्होंने मेरी ओर देखते हुए अपनी बात पूरी की ,
" तो हाँ तुम कह रही थी ये 'दिन वाली देवरानी ' कतौं गाभिन हो गयीं , तो का हुआ , अरे गाभिन होंगी तो नौ महीने पेट फुलाये घूमेंगी ,
नौवें महीना बियायेंगी , सोहर होगा , लड़का को दूध पिलायेंगी ,
कुछ हमरे देवर को भी पिला देंगी ,...
और दो चार महीना बाद फिर पेट फुला लेंगी , ये कौन नोखे की बात है ,... :
ये बात जेठानी जी की एकदम सही थी की उनके देवर सच में ' स्लो स्टार्टर ' थे , कुछ ज्यादा ही सीधे , शर्मीले , लजीले , इतना तो आज कल कोई लड़की भी नहीं लजाती , सह में इनसे न , ... खाली पढ़ाई लिखाई में अव्वल होने से थोड़े हो जाता है सब कुछ
पहले दिन ही अगर मैंने थोड़ा ज्यादा ना नुकुर की होती न , ... तो ये खुद बोलते , अच्छा चलो सो जाते हैं , जिस लड़के को मेरा नाम पता करने में २४ घंटे लग गए ,... पर अब तो ये इतना फास्ट है की , कोई मौका नहीं छोड़ते ,...
मैंने जेठानी जी की बात में थोड़ा सुधार किया ,
" दीदी , ... आप की बात पहले सही थी , ... लेकिन अब एक बार गाडी स्टार्ट हो गयी है तो चलेगी , ... अब दिन रात दोनों टाइम ,... तो अभी दिन भी है , देवर भी है , खाने के बाद एक राउंड , ... क्यों हो जाए , ... "
" नहीं नही , मेरी फ्लाइट का टाइम है , फिर रास्ता भी अभी खराब है ,... "
वो बीच में बात काट के बोले ,
तो उनकी भाभी ने अपने देवर से बोला
कोई बात नहीं मान तो गया न तू , ये मेरी ननद तो पहले ही तैयार है , खुद तेरे बांये आके बैठ गयी , ... चल अगली बार , ...
गुड्डी सुन यार तू अगली बार थोड़ा जल्दी आना साफ़ सूफ करके , तेरा फीता कटवा दूंगी मैं अपने देवर से , ... "
" एकदम पक्का , गुड्डी मान जा यार , मैं सर्टिफाई करती हूँ , बहुत मज़ा मिलेगा , ... अरे मुंह मत लटका , एक हफ्ते की तो बात है , फिर हम लोगों की बिरादरी में आ जायेगी , ... ठीक है दीदी , आपके देवर भी तैयार , नयी नयी देवरानी भी तैयार , ... बस अगले संडे को ,... " ,
अब मैं चालू हो गयी थी।
उन्होंने खाने का ढककन खोल के बात बदलने के लिए बोला ,
"भाभी चलिए खाना शुरू करते है , "