Thread Rating:
  • 6 Vote(s) - 2.67 Average
  • 1
  • 2
  • 3
  • 4
  • 5
Adultery धन्नो द हाट गर्ल
#3
मैं फ्रेश होकर वापस आई तो खाना टेबल पर लग चुका था। हम सभी ने खाना खाया और आपस में बातें करने लगे। कब दिन बीत गया पता ही नहीं चला और रात को पढ़ाई करने के बाद आँटी हमारे लिए दूध लेने गई। मैंने टायलेट के लिए बाथरूम की तरफ जाते हुए देखा की आँटी दूध में कुछ मिला रही हैं। मैं जल्दी से टायलेट करके अपने कमरे में चली गई। आँटी कमरे में दूध लेकर आ गई।
मैंने आँटी से कहा- “आप दूध रख दो, मैं पी लूंगी...”
आँटी ने कहा- “बेटा मैं जा रही हूँ, मगर दूध पी लेना...”
आँटी के जाने के बाद मैंने दूध उठाकर फेंक दिया। एक घंटे बाद आँटी कमरे में आई। मैं कंबल डालकर सोने का नाटक करने लगी। ऑटी मुझे सोता हुआ देखकर चली गई। जैसे-जैसे टाइम गुजरता जा रहा था मेरे दिल की धड़कनें तेज होती जा रही थीं। रात को 12:00 बजे दरवाजा खुलने की आवाज आई। मैंने जल्दी से जाकर दरवाजे के की-होल से देखने की कोशिश की।
मेरा नशीब अच्छा था की बाहर तेज रोशनी थी। मैंने देखा की जय ने अंदर आते ही आँटी को बाहों में भर लिया और किसों की बौछार कर दी।
आँटी अपने आपको छुड़ाते हुए बोली- “मैं भागी थोड़ी जा रही हूँ कमरे में तो चलो...”
जय आँटी को गोद में उठाकर कमरे में चला गया। मैं आँटी के कमरे की तरफ गई। दरवाजा अंदर से बंद था मगर खिड़की थोड़ी खुली हुई थी। मैं थोड़ा साइड में होकर अंदर देखने लगी। जय ने आँटी के गुलाबी होंठों को चूसते हुए अपनी जुबान अंदर डाल दी जो आँटी बड़े मजे से चूसने लगी। जय ने आँटी की नाइटगाउन उतार दी। अब आँटी सिर्फ ब्रा और पैंटी में थी। आँटी के 38डी की गोरी-गोरी चूचियां ब्रा फाड़कर बाहर आने को मचल रही थीं, और आँटी का गोरा जिम चमक रहा था।
जय ने आँटी की ब्रा के हुक खोल दिए। ब्रा के हुक खुलते ही जय गुलाबी निपलों पर टूट पड़ा। आँटी सिसक रही थी। जय कभी एक चूची चूसता तो कभी दूसरी।
यह सब देखकर मेरी हालत बिगड़ने लगी। मेरा हाथ खुद ही नीचे चला गया और पैंटी के ऊपर से अपनी चूत सहलाने लगी।
अब जय नीचे होता हुआ आँटी की पैंटी उतारने लगा। पैंटी उतारने के बाद जय आँटी की गुलाबी और कोरी चूत को चूमते हुए अपने हाथों से चूत के दोनों होंठों को अलग करके अपनी जुबान लाल हिस्से में डाल दी। आँटी मजे की जन्नत में डूब गई। जय अपनी पूरी जुबान बहुत तेजी से अंदर-बाहर कर रहा था।


मेरा हाथ भी अब तेज हो चुका था।
अचानक आँटी बहुत जोर से चीखी- “जय मैं आई..”
जय का पूरा चेहरा पानी से भीग गया। वो पानी जय बड़े मजे से चाट रहा था।
यह सब देखकर मेरे होंठ खुश्क हो गये और मैं मजे और लज्जत से बेहोश होने लगी। दो मिनट बाद मुझे होश आया, मेरा हाथ और पैंटी गीले हो चुके थे। यह मेरा पहला ओर्गेज्म था। मैंने फिर अंदर देखा।
जय अपनी पैंट और शर्ट उतार चुका था। उसके अंडरवेर में तंबू बना हुआ था। मैंने अपनी सहेलियों से सुना था की मर्द शादी के बाद अपने लण्ड से औरत को चोदता है। आँटी ने जय का अंडरवेर उतारा और एक बहुत लंबा और मोटा लण्ड जो बिल्कुल गोरा था, उछलकर आँटी के मुँह के सामने आ गया। आँटी लण्ड की ऊपर वाली चमड़ी अलग करके गुलाबी टोपे को चूसने लगी। आँटी के चूसने से लण्ड और बड़ा होता गया। आँटी अपने कोमल हाथों से लण्ड को आगे-पीछे कर रही थी और टोपा चूस रही थी। आँटी के दोनों हाथों में वो लण्ड बड़ी मुश्किल से आ रहा था।
मैं यह देखकर फिर से गरम हो गई और अपनी चूत सहलाने लगी।
[+] 1 user Likes firefly's post
Like Reply


Messages In This Thread
RE: धन्नो द हाट गर्ल - by firefly - 24-11-2018, 03:04 PM



Users browsing this thread: 2 Guest(s)