30-01-2019, 12:20 AM
फ्लैशबैक
खुशबू- “छोड़ो मुझे तुम झूठ बोलते हो, अगर तुम मुझसे प्यार करते हो तो बापू से मेरा हाथ क्यों नहीं माँग लेते...” खुशबू ने उस लड़के को अपने से दूर करते हुए कहा।
लड़का- “देखो खुशबू हमें अपने पैरों पर खड़ा होने दो, फिर हम तुम्हारे बापू से तुम्हारा हाथ भी माँग लेंगे..” उस लड़के ने कहा।
खुशबू- “कब तुम अपने पैरों पर खड़े होगे, जब हमारा हाथ कोई और माँग लेगा तब?” खुशबू ने गुस्सा होते हुए कहा।
।।।
लड़का- “वो हमने ठाकुर साहब से पैसे माँगे थे बियाज पर, मगर वो कह रहा है की अपनी कोई जमीन दो, अगर तुम पैसे ना लौटा सके तो हम उससे वसूल करेंगे...” उस लड़के ने खुशबू से कहा।
खुशबू- “ठाकुर साहब बहुत अच्छे आदमी है हमें उसके पास ले चलो, हम उन्हें मना लेंगे। मगर तुम पैसों से क्या करोगे?” खुशबू ने हैरान होते हुए पूछा।
लड़का- “पगली हम इन पैसों को शहर लेजाकर वहाँ पर कोई कारोबार करके ढेर सारा पैसा कमाएंगे और फिर हम दोनों ठाकुर के पैसे लौटाकर बियाह भी कर लेंगे...”
उस लड़के की बात सुनकर खुशबू ने कहा- “ठीक है, हमें ठाकुर साहब के पास ले चलो, हम उनसे बिनती करेंगे.."
खुशबू के बाप- “ओये छोरी इस लफंगे बिरजू के चक्कर में ना आ, यह तुम्हें भी फैंसा देगा...” खुशबू के बाप ने उसे समझते हुए कहा।।
खुशबू- “बापूजी आप तो खामखा इस बेचारे के पीछे पड़े रहते हैं, हम इसकी जरूर मदद करेंगे...” यह कहते हुए खुशबू बिरजू के साथ ठाकुर के फार्महाउस जाने लगी। ठाकुर के फार्महाउस में पहुँचकर उन दोनों ने ठाकुर को प्रणाम किया।
ठाकुर ने उन दोनों के प्रणाम का जवाब देते हुए कहा- “कैसे आना हुआ?”
बिरजू ने ठाकुर से हाथ जोड़ते हुए कहा- “हमने आपसे पैसे माँगे थे, उसी के लिए आए हैं..."
ठाकुर- “हमने तुम्हें कहा था की हमें सेक्योरिटी चाहिये..”
खुशबू ने हाथ जोड़ते हुए कहा- “ठाकुर साहब आप इन्हें पैसे दे दें, यह आपके पैसे लोटा देगा। हम आपसे वादा करते हैं की अगर यह पैसे नहीं दे पाया तो हम आपको पाई-पाई चुका देंगे...”
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ठाकुर खुशबू की बात सुनकर उसे ऊपर से नीचे तक निहारने लगा। ठाकुर ने उसे गौर से निहारते हुए कहा
सोच ले अगर तुम कह रही हो तो हम इसे पैसे दे देते हैं, मगर जब यह पैसे ना लौटा सका तो तुम्हें चुकाने पड़ेंगे...”
खुशबू ने ठाकुर की बात सुनते ही जल्दी से खुश होते हुए कहा- “हाँ ठाकुर साहब हमें इस पर पूरा भरोसा है, अगर यह पैसे ना दे सका तो हम चुका देंगे...”
ठाकुर ने अपने आदमी से कहा- “पेपर ले आओ...”
ठाकुर का आदमी जल्दी से पेपर लेकर आ गया, जो उन्होंने किसी को पैसे देते वक़्त साइन कराने के लिए रखे थे। ठाकुर ने कागज को खुशबू के सामने लाते हुए कहा- “इस पर अपना अंगूठा लगा दो। मगर एक बार और सोच लो, अगर यह पैसे नहीं दे पाया तो हम किसी भी तरीके से यह पैसे तुमसे वसूल करेंगे...”
खुशबू ने उस कागज पर अँगूठा लगाते हुए कहा- “हमने कहा ना की अगर यह ना दे सका तो हम चुका देंगे..”
ठाकुर ने वो कागज अपने आदमी को देते हुए अपनी जेब में से पैसे की एक गड्डी बिरजू को दे दी। बिरजू ने वो पैसे लेते हुए खुश होते हुए ठाकुर का शुक्रिया अदा किया। खुशबू ने भी ठाकुर का शुक्रिया अदा किया और बिरजू के साथ वहाँ से निकल गई।
बिरजू दूसरे दिन ही खुशबू से विदा लेकर शहर के लिए निकल गया। बिरजू एक महीने के लिए कहकर गया था, मगर 60 दिन बाद भी उसका कोई अता पता नहीं था। खुशबू का यहाँ रो-रोकर बुरा हाल था।
उसे ठाकुर के पैसों की चिंता थी। वो दो बार ठाकुर के पास जाकर उससे कुछ दिनों की मुहलत माँग चुकी थी। मगर उस मुहलत को भी आज 15 दिन हो गये थे। अचानक दरवाजा खटकने की आवाज आई, खुशबू वहाँ से उठकर दरवाजे की तरफ बढ़ी। उसने जैसे ही दरवाजा खोला तो ठाकुर के आदमी सामने खड़े थे।
वहाँ खड़े आदमियों में से एक ने कहा- “चलो ठाकुर साहब तुम्हारा इंतजार कर रहे हैं."
खुशबू ठाकुर के आदमियों के साथ उसके फार्महाउस पर आ गई और अचानक वो खयालों से बाहर आई, वो गाँव से बाहर एक बड़ी नदी के पास पहुँच चुकी थी। उसने आखिरी बार अपनी नजरों से चारों तरफ देखा और छलाँग लगाते हुए अपने आपको नदी के गहरे पानी के हवाले कर दिया।
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खुशबू- “छोड़ो मुझे तुम झूठ बोलते हो, अगर तुम मुझसे प्यार करते हो तो बापू से मेरा हाथ क्यों नहीं माँग लेते...” खुशबू ने उस लड़के को अपने से दूर करते हुए कहा।
लड़का- “देखो खुशबू हमें अपने पैरों पर खड़ा होने दो, फिर हम तुम्हारे बापू से तुम्हारा हाथ भी माँग लेंगे..” उस लड़के ने कहा।
खुशबू- “कब तुम अपने पैरों पर खड़े होगे, जब हमारा हाथ कोई और माँग लेगा तब?” खुशबू ने गुस्सा होते हुए कहा।
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लड़का- “वो हमने ठाकुर साहब से पैसे माँगे थे बियाज पर, मगर वो कह रहा है की अपनी कोई जमीन दो, अगर तुम पैसे ना लौटा सके तो हम उससे वसूल करेंगे...” उस लड़के ने खुशबू से कहा।
खुशबू- “ठाकुर साहब बहुत अच्छे आदमी है हमें उसके पास ले चलो, हम उन्हें मना लेंगे। मगर तुम पैसों से क्या करोगे?” खुशबू ने हैरान होते हुए पूछा।
लड़का- “पगली हम इन पैसों को शहर लेजाकर वहाँ पर कोई कारोबार करके ढेर सारा पैसा कमाएंगे और फिर हम दोनों ठाकुर के पैसे लौटाकर बियाह भी कर लेंगे...”
उस लड़के की बात सुनकर खुशबू ने कहा- “ठीक है, हमें ठाकुर साहब के पास ले चलो, हम उनसे बिनती करेंगे.."
खुशबू के बाप- “ओये छोरी इस लफंगे बिरजू के चक्कर में ना आ, यह तुम्हें भी फैंसा देगा...” खुशबू के बाप ने उसे समझते हुए कहा।।
खुशबू- “बापूजी आप तो खामखा इस बेचारे के पीछे पड़े रहते हैं, हम इसकी जरूर मदद करेंगे...” यह कहते हुए खुशबू बिरजू के साथ ठाकुर के फार्महाउस जाने लगी। ठाकुर के फार्महाउस में पहुँचकर उन दोनों ने ठाकुर को प्रणाम किया।
ठाकुर ने उन दोनों के प्रणाम का जवाब देते हुए कहा- “कैसे आना हुआ?”
बिरजू ने ठाकुर से हाथ जोड़ते हुए कहा- “हमने आपसे पैसे माँगे थे, उसी के लिए आए हैं..."
ठाकुर- “हमने तुम्हें कहा था की हमें सेक्योरिटी चाहिये..”
खुशबू ने हाथ जोड़ते हुए कहा- “ठाकुर साहब आप इन्हें पैसे दे दें, यह आपके पैसे लोटा देगा। हम आपसे वादा करते हैं की अगर यह पैसे नहीं दे पाया तो हम आपको पाई-पाई चुका देंगे...”
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ठाकुर खुशबू की बात सुनकर उसे ऊपर से नीचे तक निहारने लगा। ठाकुर ने उसे गौर से निहारते हुए कहा
सोच ले अगर तुम कह रही हो तो हम इसे पैसे दे देते हैं, मगर जब यह पैसे ना लौटा सका तो तुम्हें चुकाने पड़ेंगे...”
खुशबू ने ठाकुर की बात सुनते ही जल्दी से खुश होते हुए कहा- “हाँ ठाकुर साहब हमें इस पर पूरा भरोसा है, अगर यह पैसे ना दे सका तो हम चुका देंगे...”
ठाकुर ने अपने आदमी से कहा- “पेपर ले आओ...”
ठाकुर का आदमी जल्दी से पेपर लेकर आ गया, जो उन्होंने किसी को पैसे देते वक़्त साइन कराने के लिए रखे थे। ठाकुर ने कागज को खुशबू के सामने लाते हुए कहा- “इस पर अपना अंगूठा लगा दो। मगर एक बार और सोच लो, अगर यह पैसे नहीं दे पाया तो हम किसी भी तरीके से यह पैसे तुमसे वसूल करेंगे...”
खुशबू ने उस कागज पर अँगूठा लगाते हुए कहा- “हमने कहा ना की अगर यह ना दे सका तो हम चुका देंगे..”
ठाकुर ने वो कागज अपने आदमी को देते हुए अपनी जेब में से पैसे की एक गड्डी बिरजू को दे दी। बिरजू ने वो पैसे लेते हुए खुश होते हुए ठाकुर का शुक्रिया अदा किया। खुशबू ने भी ठाकुर का शुक्रिया अदा किया और बिरजू के साथ वहाँ से निकल गई।
बिरजू दूसरे दिन ही खुशबू से विदा लेकर शहर के लिए निकल गया। बिरजू एक महीने के लिए कहकर गया था, मगर 60 दिन बाद भी उसका कोई अता पता नहीं था। खुशबू का यहाँ रो-रोकर बुरा हाल था।
उसे ठाकुर के पैसों की चिंता थी। वो दो बार ठाकुर के पास जाकर उससे कुछ दिनों की मुहलत माँग चुकी थी। मगर उस मुहलत को भी आज 15 दिन हो गये थे। अचानक दरवाजा खटकने की आवाज आई, खुशबू वहाँ से उठकर दरवाजे की तरफ बढ़ी। उसने जैसे ही दरवाजा खोला तो ठाकुर के आदमी सामने खड़े थे।
वहाँ खड़े आदमियों में से एक ने कहा- “चलो ठाकुर साहब तुम्हारा इंतजार कर रहे हैं."
खुशबू ठाकुर के आदमियों के साथ उसके फार्महाउस पर आ गई और अचानक वो खयालों से बाहर आई, वो गाँव से बाहर एक बड़ी नदी के पास पहुँच चुकी थी। उसने आखिरी बार अपनी नजरों से चारों तरफ देखा और छलाँग लगाते हुए अपने आपको नदी के गहरे पानी के हवाले कर दिया।
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