30-01-2019, 12:17 AM
धन्नो उठो सुबह हो गई है, देखो अब तो तुम्हारी खटिया पर सूरज की धूप भी आ गई है...” मौसी ने धन्नो को। झंझोरते हुए कहा।।
धन्नो अपनी आँखों को मलते हुए उठने लगी। उसने खटिया पर बैठते हुए एक बड़ी आलस लेते हुए कहा- “मौसी तुम ठीक से नींद भी नहीं करने देती...”
करुणा ने अचानक अंदर से निकलते हुए धन्नो को टोकते हुए कहा- “मौसी बेचारी धन्नो तो अभी सपना देख ही रही थी की तुमने उसे जगा दिया..." और मुश्कुराने लगी।
करुणा की बात सुनकर मौसी भी हँसने लगी। धन्नो मौसी को हँसता हुआ देखकर गुस्से से अपनी खटिया से। उठते हुए करुणा को मारने के लिए उसकी तरफ दौगी। करुणा धन्नो को अपनी तरफ आता हुआ देखकर जल्दी से अपने कमरे में भाग गई। धन्नो भी दौड़ते हुए उसके पीछे कमरे में पहुँच गई।
करुणा ने धन्नो को कमरे में देखकर अपने कान पकड़ते हुए कहा- “दीदी गलती हो गई माफ कर दो, आगे से तंग नहीं करूँगी...”
धन्नो करुणा के पास पहुँचते हुए करुणा की उखड़ती साँसों के साथ हिलती हुई चूचियों को देखने लगी। करुणा धन्नों को अपनी चूचियों की तरफ देखते हुए शर्माते हुए अपने हाथ अपने कानों से हटाते हुए नीचे कर दिये।
धन्नो ने करुणा को छेड़ते हुए कहा- “क्या बात है तुम्हारी चूचियां तो बहुत मस्त होती जा रही हैं?”
धन्नो की बात सुनकर करुणा ने शर्म के मारे लाल होते हुए कहा- “दीदी आप मुझे छेड़ो मत, मेरी चूचियां आपकी चूचियों से बहुत छोटी हैं.”
धन्नो ने करुणा का सिर ऊपर करते हुए उसके माथे को चूमते हुए कहा- “मैंने कब कहा की तुम्हारी चूचियां मेरी चूचियों से बड़ी हैं... तुम्हारी चूचियां तो मेरी चूचियों से ज्यादा खूबसूरत हैं...”
करुणा धन्नो की बात सुनकर शर्माते हुए कहने लगी- “दीदी तुम भी ना... जाओ फ्रेश हो जाओ...”
धन्नो ने हैरान होते हुए कहा- “क्यों कहीं जाना है क्या?”
करुणा ने कहा- “हाँ दीदी, पर अभी नहीं। दोपहर को हम लंच ठाकुर साहब की हवेली में करेंगे...”
धन्नो ने हैरान होते हुए कहा- “मगर कल तो ऐसी कोई बात नहीं हुई थी.."
करुणा ने हँसते हुए कहा- “रात को मनीष ने फोन किया था की कल का खाना आप हमारे घर पर करोगे...”
धन्नो करुणा की बात सुनकर कर उसे छेड़ते हुए कहा- “क्या बात है आजकल फोन पर बहुत बातें हो रही है?”
करुणा ने गुस्सा होते होते हुए कहा- “दीदी आप फिर से हमें छेड़ रही हैं."
धन्नो करुणा की बात सुनकर वहाँ से जाते हुए कहने लगी- “अच्छा बाबा मैं जा रही हूँ...” धन्नो वहाँ से जाते हुए फ्रेश होने चली गई।
धन्नो फ्रेश होने के बाद जब बाहर निकली तो सब लोग बाहर बैठकर नाश्ता की तैयारी कर रहे थे। धन्नो भी। वहाँ पर आकर बैठ गई। मोहित भी वहाँ पर बैठा हुआ था। धन्नो ने मोहित की तरफ देखते हुए कहा- “कैसी है। तबीयत अब..."
मोहित ने कहा- “अब बिल्कुल ठीक हूँ, तुम बताओ कैसा चल रहा है?”
धन्नो ने कहा- “बिल्कुल अच्छा चल रहा है, कल शाम को ठाकुर की हवेली घूमकर आए थे और आज ठाकुर साहब ने हमें लंच पर बुलाया है...”
धन्नो की बात सुनकर मोहित ने कहा- “मुझे भी आज दोपहर को डाक्टर के पास जाना है, शाम को बातें करेंगे...”
धन्नो और करुणा नाश्ता करने के बाद एक कमरे में बातें करने लगी, ऐसे ही बातें करते हुए टाइम गुजरता गया
और दोनों तैयार होकर मनीष का इंतजार करने लगी। करुणा को मनीष ने कहा था की वो उन दोनों को लेने आएगा। करुणा और धन्नो तैयार होकर बाहर वाले आँगन में बैठी थी।
रिया अचानक अंदर दाखिल हुई और उन दोनों को हाय कहते हुए मोहित के कमरे में जाने लगी।
धन्नो और करुणा रिया को देखती रह गई, धन्नो ने करुणा से कहा- “रिया तो आज सज संवर कर बिल्कुल हुश्न की देवी लग रही है। लगता है की आज मोहित की खैर नहीं..”
धन्नो अपनी आँखों को मलते हुए उठने लगी। उसने खटिया पर बैठते हुए एक बड़ी आलस लेते हुए कहा- “मौसी तुम ठीक से नींद भी नहीं करने देती...”
करुणा ने अचानक अंदर से निकलते हुए धन्नो को टोकते हुए कहा- “मौसी बेचारी धन्नो तो अभी सपना देख ही रही थी की तुमने उसे जगा दिया..." और मुश्कुराने लगी।
करुणा की बात सुनकर मौसी भी हँसने लगी। धन्नो मौसी को हँसता हुआ देखकर गुस्से से अपनी खटिया से। उठते हुए करुणा को मारने के लिए उसकी तरफ दौगी। करुणा धन्नो को अपनी तरफ आता हुआ देखकर जल्दी से अपने कमरे में भाग गई। धन्नो भी दौड़ते हुए उसके पीछे कमरे में पहुँच गई।
करुणा ने धन्नो को कमरे में देखकर अपने कान पकड़ते हुए कहा- “दीदी गलती हो गई माफ कर दो, आगे से तंग नहीं करूँगी...”
धन्नो करुणा के पास पहुँचते हुए करुणा की उखड़ती साँसों के साथ हिलती हुई चूचियों को देखने लगी। करुणा धन्नों को अपनी चूचियों की तरफ देखते हुए शर्माते हुए अपने हाथ अपने कानों से हटाते हुए नीचे कर दिये।
धन्नो ने करुणा को छेड़ते हुए कहा- “क्या बात है तुम्हारी चूचियां तो बहुत मस्त होती जा रही हैं?”
धन्नो की बात सुनकर करुणा ने शर्म के मारे लाल होते हुए कहा- “दीदी आप मुझे छेड़ो मत, मेरी चूचियां आपकी चूचियों से बहुत छोटी हैं.”
धन्नो ने करुणा का सिर ऊपर करते हुए उसके माथे को चूमते हुए कहा- “मैंने कब कहा की तुम्हारी चूचियां मेरी चूचियों से बड़ी हैं... तुम्हारी चूचियां तो मेरी चूचियों से ज्यादा खूबसूरत हैं...”
करुणा धन्नो की बात सुनकर शर्माते हुए कहने लगी- “दीदी तुम भी ना... जाओ फ्रेश हो जाओ...”
धन्नो ने हैरान होते हुए कहा- “क्यों कहीं जाना है क्या?”
करुणा ने कहा- “हाँ दीदी, पर अभी नहीं। दोपहर को हम लंच ठाकुर साहब की हवेली में करेंगे...”
धन्नो ने हैरान होते हुए कहा- “मगर कल तो ऐसी कोई बात नहीं हुई थी.."
करुणा ने हँसते हुए कहा- “रात को मनीष ने फोन किया था की कल का खाना आप हमारे घर पर करोगे...”
धन्नो करुणा की बात सुनकर कर उसे छेड़ते हुए कहा- “क्या बात है आजकल फोन पर बहुत बातें हो रही है?”
करुणा ने गुस्सा होते होते हुए कहा- “दीदी आप फिर से हमें छेड़ रही हैं."
धन्नो करुणा की बात सुनकर वहाँ से जाते हुए कहने लगी- “अच्छा बाबा मैं जा रही हूँ...” धन्नो वहाँ से जाते हुए फ्रेश होने चली गई।
धन्नो फ्रेश होने के बाद जब बाहर निकली तो सब लोग बाहर बैठकर नाश्ता की तैयारी कर रहे थे। धन्नो भी। वहाँ पर आकर बैठ गई। मोहित भी वहाँ पर बैठा हुआ था। धन्नो ने मोहित की तरफ देखते हुए कहा- “कैसी है। तबीयत अब..."
मोहित ने कहा- “अब बिल्कुल ठीक हूँ, तुम बताओ कैसा चल रहा है?”
धन्नो ने कहा- “बिल्कुल अच्छा चल रहा है, कल शाम को ठाकुर की हवेली घूमकर आए थे और आज ठाकुर साहब ने हमें लंच पर बुलाया है...”
धन्नो की बात सुनकर मोहित ने कहा- “मुझे भी आज दोपहर को डाक्टर के पास जाना है, शाम को बातें करेंगे...”
धन्नो और करुणा नाश्ता करने के बाद एक कमरे में बातें करने लगी, ऐसे ही बातें करते हुए टाइम गुजरता गया
और दोनों तैयार होकर मनीष का इंतजार करने लगी। करुणा को मनीष ने कहा था की वो उन दोनों को लेने आएगा। करुणा और धन्नो तैयार होकर बाहर वाले आँगन में बैठी थी।
रिया अचानक अंदर दाखिल हुई और उन दोनों को हाय कहते हुए मोहित के कमरे में जाने लगी।
धन्नो और करुणा रिया को देखती रह गई, धन्नो ने करुणा से कहा- “रिया तो आज सज संवर कर बिल्कुल हुश्न की देवी लग रही है। लगता है की आज मोहित की खैर नहीं..”