29-01-2019, 11:35 PM
ठाकुर की यह बात सुनकर मनीष का दिल धक-धक करने लगा। अगर रवी ने करुणा के बारे में कुछ कहा तो वो तो जीते ही मर जाएगा।
रवी ने सोचते हुए कहा- “मैं उनका नाम तो ना जानँ, मगर वो जो बड़ी वाली थी वो मारे दिल को भा गई...”
रवी की बात सुनकर मनीष की जान में जान आई और हँसते हुए कहा- “वाह रवी.. वो आई हमारे साथ थी और तुमने पहली नजर में धन्नो को पसंद कर लिया..”
रवी ने मनीष से कहा- “उस छोरी का नाम धन्नो है?”
मनीष ने कहा- हाँ उस लड़की का नाम धन्नो है।
ठाकुर ने मनीष से कहा- “मनीष बेटा अगर तुम्हें कोई पसंद हो बता दो। तुम दोनों की शादी बड़ी धूम धाम से करूंगा..."
ठाकुर की बात सुनकर मनीष ने अपना कंधा नीचे करते हुए कहा- “डैड मुझे भी उनमें से छोटी वाली जिसका नाम करुणा है, उससे प्यार हो गया है..."
ठकुर खुश होते हुए- “वाह... हमें तो बैठे बिठाए दो बहू मिल गई। शाम को हम उनको देखना चाहते हैं की हमारे दोनों बेटों का दिल अपनी मुट्ठी में करने वाली वो दोनों कितनी खूबसूरत हैं?”
मनीष ने कहा- “डैड शाम को वो दोनों वैसे ही चाय पर आने वाली हैं आप उन दोनों को देख लेना...”
सब नाश्ता करने के बाद उठकर अपने-अपने कमरे में जाने लगे। मनीष भी बहुत थका हुआ था, अपने कमरे में आते ही उसे नींद आ गई।
ठाकुर प्रताप अपने कमरे में पहुँचकर अपने कपड़े उतारने लगा। आज वो बहुत खुश था। उसके दिल की तमन्ना पूरी होने वाली थी। उसके दोनों बेटों ने अपने लिए बीवियां पसंद कर ली थी। ठाकुर अपने सारे कपड़े उतारकर सिर्फ अंडरवेर में खड़ा था तभी उसके कमरे में शिल्पा दाखिल हुई। ठाकुर को यूँ आधा नंगा देखकर वो वापस जाने लगी। तभी ठाकुर ने आगे बढ़कर शिल्पा को बाजू से पकड़ते हुए अपने पास खींच लिया और पीछे से उसे गले लगा लिया।
शिल्पा अपने आपको ठाकुर से छुड़ाने लगी मगर ठाकुर की मजबूत बाहों की पकड़ से वो छूट ना पाई। वो छटपटाते हुए ठाकुर से कहने लगी- “हमें छोड़िये, आपके बेटे आ गये तो हम किसी को मुँह दिखाने के लायक नहीं रहेंगे...”
ठाकुर ने अपनी बाहों का जोर देते हुए शिल्पा की गाण्ड को अपने अंडरवेर में कैद लण्ड पर दबा दिया और अपने मुँह से उसके कंधे को चूमते हुए बोला- “मेरी जान वो अपने-अपने कमरे में जाकर सो गये हैं, और अब तक तो वो अपनी-अपनी बिवियों के सपने देख रहे होंगे...”
शिल्पा ने चौंकते हुए कहा- “मगर उनकी शादी कब हुई है?"
ठाकुर ने कहा- “शहर से दो छोरियां गाँव घूमने आई हैं, और वो दोनों हमारे लड़कों को पसंद आ गई हैं। इसलिए आज हम बहुत खुश हैं..."
शिल्पा- “फिर तो खुश होने की बात है, मगर इस वक़्त तो मुझे छोड़ो...”
ठाकुर ने कहा- “आज मैं बहुत खुश हूँ मैं रात का इंतजार नहीं कर सकता। मुझे अभी अपने बेटों की खुशी का जश्न मनाना है...”
शिल्पा ने अपनी गाण्ड को पीछे करते हुए ठाकुर के लण्ड पर ठीक तरीके से अपने चूतड़ों पर महसूस करते हुए कहा- “आप तो बड़े बेशर्म हो गये हैं। अच्छा मुझे दरवाजा तो बंद करने दो...”
रवी ने सोचते हुए कहा- “मैं उनका नाम तो ना जानँ, मगर वो जो बड़ी वाली थी वो मारे दिल को भा गई...”
रवी की बात सुनकर मनीष की जान में जान आई और हँसते हुए कहा- “वाह रवी.. वो आई हमारे साथ थी और तुमने पहली नजर में धन्नो को पसंद कर लिया..”
रवी ने मनीष से कहा- “उस छोरी का नाम धन्नो है?”
मनीष ने कहा- हाँ उस लड़की का नाम धन्नो है।
ठाकुर ने मनीष से कहा- “मनीष बेटा अगर तुम्हें कोई पसंद हो बता दो। तुम दोनों की शादी बड़ी धूम धाम से करूंगा..."
ठाकुर की बात सुनकर मनीष ने अपना कंधा नीचे करते हुए कहा- “डैड मुझे भी उनमें से छोटी वाली जिसका नाम करुणा है, उससे प्यार हो गया है..."
ठकुर खुश होते हुए- “वाह... हमें तो बैठे बिठाए दो बहू मिल गई। शाम को हम उनको देखना चाहते हैं की हमारे दोनों बेटों का दिल अपनी मुट्ठी में करने वाली वो दोनों कितनी खूबसूरत हैं?”
मनीष ने कहा- “डैड शाम को वो दोनों वैसे ही चाय पर आने वाली हैं आप उन दोनों को देख लेना...”
सब नाश्ता करने के बाद उठकर अपने-अपने कमरे में जाने लगे। मनीष भी बहुत थका हुआ था, अपने कमरे में आते ही उसे नींद आ गई।
ठाकुर प्रताप अपने कमरे में पहुँचकर अपने कपड़े उतारने लगा। आज वो बहुत खुश था। उसके दिल की तमन्ना पूरी होने वाली थी। उसके दोनों बेटों ने अपने लिए बीवियां पसंद कर ली थी। ठाकुर अपने सारे कपड़े उतारकर सिर्फ अंडरवेर में खड़ा था तभी उसके कमरे में शिल्पा दाखिल हुई। ठाकुर को यूँ आधा नंगा देखकर वो वापस जाने लगी। तभी ठाकुर ने आगे बढ़कर शिल्पा को बाजू से पकड़ते हुए अपने पास खींच लिया और पीछे से उसे गले लगा लिया।
शिल्पा अपने आपको ठाकुर से छुड़ाने लगी मगर ठाकुर की मजबूत बाहों की पकड़ से वो छूट ना पाई। वो छटपटाते हुए ठाकुर से कहने लगी- “हमें छोड़िये, आपके बेटे आ गये तो हम किसी को मुँह दिखाने के लायक नहीं रहेंगे...”
ठाकुर ने अपनी बाहों का जोर देते हुए शिल्पा की गाण्ड को अपने अंडरवेर में कैद लण्ड पर दबा दिया और अपने मुँह से उसके कंधे को चूमते हुए बोला- “मेरी जान वो अपने-अपने कमरे में जाकर सो गये हैं, और अब तक तो वो अपनी-अपनी बिवियों के सपने देख रहे होंगे...”
शिल्पा ने चौंकते हुए कहा- “मगर उनकी शादी कब हुई है?"
ठाकुर ने कहा- “शहर से दो छोरियां गाँव घूमने आई हैं, और वो दोनों हमारे लड़कों को पसंद आ गई हैं। इसलिए आज हम बहुत खुश हैं..."
शिल्पा- “फिर तो खुश होने की बात है, मगर इस वक़्त तो मुझे छोड़ो...”
ठाकुर ने कहा- “आज मैं बहुत खुश हूँ मैं रात का इंतजार नहीं कर सकता। मुझे अभी अपने बेटों की खुशी का जश्न मनाना है...”
शिल्पा ने अपनी गाण्ड को पीछे करते हुए ठाकुर के लण्ड पर ठीक तरीके से अपने चूतड़ों पर महसूस करते हुए कहा- “आप तो बड़े बेशर्म हो गये हैं। अच्छा मुझे दरवाजा तो बंद करने दो...”