29-01-2019, 11:34 PM
मेरी बात सुनकर मौसी बोली- “अरे धन्नो कैसी बातें करती हो? करुणा तो भगवान की दया से जवान है। पिछले हफ्ते उस करमू की लड़की जो अभी पूरी जवान भी नहीं हुई थी, वो किसी शहरी लौंडे समीर के साथ भाग गई..” अब तुम ही बताओ उस करमू की क्या हालत हुई होगी? किसी को मुँह दिखाने के लायक नहीं बचा बेचारा।
मैंने मौसी की बात सुनने के बाद कहा- “मौसी छोड़ो इन बातों को, हमें बहुत भूख लगी है कुछ खाना तो बना
दो.."
मौसी ने मेरी बात सुनकर हँसते हुए कहा- “खाना अभी बानाती हूँ..” और उठकर किचेन की तरफ चली गई।
करुणा और मैंने मौसी के जाते ही सुख की साँस ली। करुणा ने मुझे देखते हुए कहा- “धन्नो यह मौसी तो बहुत बोलती है, कैसे रहेंगे इसके साथ?”
मैंने करुणा से कहा- “मौसी को मैं संभाल लँगी। मगर तुम बताओ वो मनीष के साथ तुम्हारा कोई चक्कर है। कोई?”
मेरी बात सुनकर करुणा ने शर्माते हुए कहा- “धन्नो, सच पूछो तो हमें मनीष से प्यार हो गया है। मैं अब कोई गंदा काम नहीं करूंगी। मैं अपनी सारी जिंदगी मनीष के चरणों में गुजार देंगी...”
करुणा की बात सुनकर मैंने हैरान होते हुए कहा- “बात यहाँ तक पहुँच गई एक रात में? ऐसा क्या जादू किया मनीष ने तुम पर की तुम उसके गुण गाने लगी..”
करुणा ने कहा- “अब क्या बताऊँ... मनीष एक सागर है जिसने मुझे भी अपनी लहरों में ले लिया...”
करुणा की बात सुनकर मैंने कहा- “मगर वो एक ठाकुर का बेटा है। वो भी तुमसे प्यार करता है या सिर्फ तुम्हारी जवानी का इश्तेमाल किया...”
करुणा ने अपना हाथ मेरे होंठों पर रखते हुए कहा- “धन्नो वो मुझसे सच्चा प्यार करता है। मुझे क्या पता प्यार कैसा होता है। मनीष ने ही मेरी जिंदगी को पलट दिया है, और मैं अब उसकी बनकर रह गई हैं.”
करुणा की बातें सुनकर मेरा मन भी सोचने लगा की आखिर यह प्यार क्या है? किस बला का नाम है जो एक लड़की और लड़का एक दूसरे के बिना नहीं रह सकते?
करुणा ने मुझे गुमसुम देखकर कहा- “धन्नो तुम भी यह सब छोड़कर एक सच्चा जीवन साथी हूँढ़ लो। जो मजा प्यार में है, वो दुनियां की किसी चीज में नहीं है...”
मैं और करुणा ऐसे ही कुछ देर तक बातें करते रहे। मौसी खाना लेकर आ गई और मैं खाना खाने के बाद फ्रेश होने के लिए उठी। मैंने मौसी से कहा- “बाथरूम कहाँ है मुझे नहाना है...”
मेरी बात सुनकर मौसी ने हँसते हुए कहा- “यहाँ पर बाथरूम नहीं है। यह गाँव है कोई शहर नहीं है, वो सामने कुवें में से पानी निकालकर नहा लो...” ।
मैंने मौसी की बात सुनकर सामने देखा। वहाँ पर एक मैदान था, जिसमें एक कुँवा था। वहाँ पर एक बाल्टी भी पड़ी थी। मैंने मौसी से कहा- “मौसी इस मैदान पर मैं कैसे नहाऊँगी?”
मैंने मौसी की बात सुनने के बाद कहा- “मौसी छोड़ो इन बातों को, हमें बहुत भूख लगी है कुछ खाना तो बना
दो.."
मौसी ने मेरी बात सुनकर हँसते हुए कहा- “खाना अभी बानाती हूँ..” और उठकर किचेन की तरफ चली गई।
करुणा और मैंने मौसी के जाते ही सुख की साँस ली। करुणा ने मुझे देखते हुए कहा- “धन्नो यह मौसी तो बहुत बोलती है, कैसे रहेंगे इसके साथ?”
मैंने करुणा से कहा- “मौसी को मैं संभाल लँगी। मगर तुम बताओ वो मनीष के साथ तुम्हारा कोई चक्कर है। कोई?”
मेरी बात सुनकर करुणा ने शर्माते हुए कहा- “धन्नो, सच पूछो तो हमें मनीष से प्यार हो गया है। मैं अब कोई गंदा काम नहीं करूंगी। मैं अपनी सारी जिंदगी मनीष के चरणों में गुजार देंगी...”
करुणा की बात सुनकर मैंने हैरान होते हुए कहा- “बात यहाँ तक पहुँच गई एक रात में? ऐसा क्या जादू किया मनीष ने तुम पर की तुम उसके गुण गाने लगी..”
करुणा ने कहा- “अब क्या बताऊँ... मनीष एक सागर है जिसने मुझे भी अपनी लहरों में ले लिया...”
करुणा की बात सुनकर मैंने कहा- “मगर वो एक ठाकुर का बेटा है। वो भी तुमसे प्यार करता है या सिर्फ तुम्हारी जवानी का इश्तेमाल किया...”
करुणा ने अपना हाथ मेरे होंठों पर रखते हुए कहा- “धन्नो वो मुझसे सच्चा प्यार करता है। मुझे क्या पता प्यार कैसा होता है। मनीष ने ही मेरी जिंदगी को पलट दिया है, और मैं अब उसकी बनकर रह गई हैं.”
करुणा की बातें सुनकर मेरा मन भी सोचने लगा की आखिर यह प्यार क्या है? किस बला का नाम है जो एक लड़की और लड़का एक दूसरे के बिना नहीं रह सकते?
करुणा ने मुझे गुमसुम देखकर कहा- “धन्नो तुम भी यह सब छोड़कर एक सच्चा जीवन साथी हूँढ़ लो। जो मजा प्यार में है, वो दुनियां की किसी चीज में नहीं है...”
मैं और करुणा ऐसे ही कुछ देर तक बातें करते रहे। मौसी खाना लेकर आ गई और मैं खाना खाने के बाद फ्रेश होने के लिए उठी। मैंने मौसी से कहा- “बाथरूम कहाँ है मुझे नहाना है...”
मेरी बात सुनकर मौसी ने हँसते हुए कहा- “यहाँ पर बाथरूम नहीं है। यह गाँव है कोई शहर नहीं है, वो सामने कुवें में से पानी निकालकर नहा लो...” ।
मैंने मौसी की बात सुनकर सामने देखा। वहाँ पर एक मैदान था, जिसमें एक कुँवा था। वहाँ पर एक बाल्टी भी पड़ी थी। मैंने मौसी से कहा- “मौसी इस मैदान पर मैं कैसे नहाऊँगी?”