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Adultery धन्नो द हाट गर्ल
मेरी चूची प्रवीण के मुँह में जाते ही मेरे पूरे शरीर में अजीब किस्म की सिहरन होने लगती है और मेरी चूत से भी ज्यादा पानी निकलने लगता है।

प्रवीण बहुत प्यार से मेरी एक-एक चूची को अपने मुँह में भरकर चाट रहा था। वो मेरी चूचियों को पूरी तरह से चाटने के बाद नीचे होते हुए मेरे पेट को चूमने लगा। प्रवीण मेरे पेट को चूमते हुए अपनी जीभ निकालकर मेरी नाभि में घुमाने लगा। मेरे पूरे शरीर में मजे के मारे अजीब किस्म की गुदगुदी होने लगी और मेरी साँसें बहुत जोर से ऊपर-नीचे होने लगी। प्रवीण मेरी नाभि पर जीभ फिराता हुआ नीचे होते हुए मेरी कच्छी पर आ गया। मेरी चूत से इतना पानी निकल चुका था की मेरी पूरी कच्छी गीली हो चुकी थी।

प्रवीण की जीभ मेरी कच्छी पर रखते ही उसे अपने मुँह में एक नमकीन सा अहसास महसूस हुआ और मुझे उसकी जीभ कच्छी के ऊपर से ही मेरी चूत पर महसूस होने लगी। प्रवीण को मेरी चूत से निकलकर मेरी कच्छी पर लगा हुआ नमकीन पानी बहुत अच्छा लगा, इसलिए वो अपनी जीभ मेरी पूरी कच्छी पर फिराते हुए उसके पानी को पीने लगता है। प्रवीण मुझे अपनी गोद से नीचे पटों पर सुलाते हुए मेरी कच्छी को अपने दोनों हाथों से उतार देता है।

मैं अपनी बर्थ पर बैठकर सपने के बारे में सोच रही थी। यह सपना कुछ अजीब था। मैं एक गाँव में थी और मेरी शादी हो चुकी है। फिर भी मैं प्रवीण से प्यार करती हैं, और यह ठाकुर की बहू हूँ। मेरा सिर यह सोचतेसोचते चकराने लगा, मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा था।

मेरी नजर प्रवीण पर पड़ी, तो वो सिर्फ एक अंडरवेर में अकेला बर्थ पर सोया हुआ था। शायद हमारे सोने के बाद उसने अपने कपड़े उतार दिए थे। प्रवीण का लण्ड पूरी तरह से तना हुआ था क्योंकी अंडरवेर में एक बड़ा सा उभार बना हुआ था। मैं उठकर प्रवीण के पास चली गई, और उसके करीब पहुँचकर मेरा हाथ अपने आप उसके अंडरवेर के ऊपर बने हुए उभार तक चला गया। मैं अपने हाथ से प्रवीण के लण्ड को अंडरवेर के ऊपर से ही ऊपर से नीचे तक फिराने लगी।

मुझे अपने जिम में अजीब किस्म की झुरझुरी महसूस हो रही थी और मेरा पूरा जिश्म पशीने से भर गया था मेरी आँखें भी अपने आप बंद हो चुकी थी। मैं कुछ देर तक प्रवीण के अंडरवेर के ऊपर से ही उसके लण्ड पर हाथ फिराने के बाद अपनी आँखें खोलकर प्रवीण के नंगे सीने को देखने लगी। मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा था। मेरा हाथ अपने आप प्रवीण के सीने पर आ गया और उसके सीने के बालों से खेलने लगा। मैं कुछ देर तक प्रवीण के सीने को सहलाने के बाद अपने कपड़े उतारने लगी।

मैं बिल्कुल नंगी होकर प्रवीण के साइड में लेटते हुए अपने होंठों से उसके सीने को चूमने लगी। प्रवीण को चूमते हुए मेरी साँसें उखड़ रही थी। मैं खुद अपने बस में नहीं थी। मुझे प्रवीण पर बहुत सारा प्यार आ रहा था। मैं । अपने होंठ प्रवीण के पूरे सीने पर फिराते हुए उसकी चूचियां के छोटे से दाने पर अपनी जीभ फिराने लगी। प्रवीण नींद में ही मेरी जीभ को अपनी चूचियां के दाने पर महसूस करके हिलने लगा। मैं अपना मुँह खोलकर उसकी चूची के दाने को अपने मुँह में भरकर चूसने लगी।

मैं प्रवीण के चूची के दाने को बहुत जोर से चूस रही थी। प्रवीण की नींद टूट गई और वो अपनी आँखें खोलते हुए चौंक गया। मैंने अपना हाथ उसके मुँह पर रख दिया और अपने मुँह से उसके चूची के दाने को निकालते हुए अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिए। प्रवीण मुझे देखकर नार्मल होते हुए मेरे होंठों को चूमने लगा। मेरी हालत बहुत बुरी हो चुकी थी। पहले ही उस सपने की वजह से मेरी चूत से बहुत पानी निकल चुका था। मैं उठते हुए प्रवीण के ऊपर आ गई और उसके होंठों को चूमते हुए अपनी चूचियां उसके सीने के बालों से रगड़ने लगी।

मैं अपनी चूचियों को उसके जिस्म से रगड़ते हुए नीचे होने लगी। मैं अब प्रवीण के अंडरवेर तक आ गई थी। मैंने अपनी चूचियों को प्रवीण के अंडरवेर के ऊपर बने हुए उभार पर रगड़ते हुए नीचे होने लगी और अपना मुँह उसके अंडरवेर के ऊपर रख दिया। मेरा मुँह अपने अंडरवेर पर पाते ही प्रवीण के मुँह से आह्ह्ह... निकल गई। मैंने अपने हाथों से प्रवीण के अंडरवेर को पकड़कर नीचे सरकाते हुए उतार दिया।
 horseride  Cheeta    
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RE: धन्नो द हाट गर्ल - by sarit11 - 29-01-2019, 11:30 PM



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