25-01-2019, 11:10 AM
प्रवीण मेरे मुँह से यह सुनकर बहुत उत्तेजित होते हुए अपने हाथ से मेरी चूत की फांकों को अलग करते हुए अपना लण्ड मेरी चूत के छेद पर रख दिया और मेरी टाँगों को अपने हाथों से पकड़ते हुए एक जोर का धक्का मार दिया।
ऊईई.. इस्स्स्स
...” दर्द और मजे के मिले जुले अहसास के साथ मेरे मुँह से एक चीख निकल गई।
प्रवीण का आधा लण्ड मेरी चूत में घुस चुका था। प्रवीण अपने आधे लण्ड को ही मेरी चूत में अंदर-बाहर करने लगा। मोहित चुपचाप अपना पूरा लण्ड डाले हुए लेटा हुआ था। अपने हाथों से मेरी चूचियों से खेल रहा था।
अपनी गाण्ड और चूत में दो-दो लण्डों की रगड़ के अहसास से मेरा पूरा शरीर मजे और दर्द के अहसास से पशीने में भीग चुका था और मेरी साँसें बहुत तेजी के साथ ऊपर-नीचे हो रही थीं। एक अनोखे मजे के अहसास से मेरा पूरा शरीर काँप रहा था। मेरे पूरे शरीर में चींटियां रेगने लगी और मेरा पूरा शरीर अकड़ने लगा। मुझे आज तक अपनी चुदाई में इतना ज्यादा मजा कभी नहीं आया था, जितना आज आ रहा था। इस अनोखे मजे के अहसास के साथ मेरी आँखें बंद होने लगी और मेरे पूरे शरीर की ताकत मेरी चूत में भर गई।
मेरी चूत में जैसे आग लग चुकी थी- आअह्ह... इस्स्स्स ऊहह...” करते हुए मेरी चूत से पानी की नदियां बहने लगी। मेरी चूत से पानी निकलते वक़्त मुझे अपनी जिंदगी का सबसे अनोखा और बेहतरीन मजा महसूस हो रहा था जैसे मैं किसी स्वर्ग में पहुँच चुकी थी। मेरी चूत से न जाने कितनी देर तक पानी बहता रहा। जितनी देर तक मेरी चूत से पानी निकलता रहा मैं एक नई मजे की दुनियां का सैर करने लगी। जब मैंने अपनी आँखें खोली तो मेरी आँखों में अभी तक उस मजे का खुमार था।
प्रवीण ने अब अपने लण्ड को बहुत जोर से अंदर करते हुए मेरी चूत में पूरा घुसा दिया। मेरी चूत गीली होने की वजह से मुझे कोई खास दर्द नहीं हुआ, और वो अपने पूरे लण्ड के साथ मुझे चोदने लगा। प्रवीण के कुछ धक्कों के बाद उसका लण्ड मेरी चूत में बिल्कुल सेट हो गया। मोहित भी मेरी गाण्ड में अपने लण्ड से हल्के-हल्के धक्के देने लगा, पर उसे धक्के लगाने में तकलीफ हो रही थी। कुछ ही देर में वो दोनों अपने लण्डों को एक साथ अंदर-बाहर करने लगे।
प्रवीण जैसे ही अपने लण्ड को मेरी चूत से बाहर निकलता मोहित अपने लण्ड को मेरी चूत में डाल देता और प्रवीण के लण्ड को अंदर घुसाते ही मोहित अपने लण्ड को बाहर कर देता। मैं उन दोनों के बीच में फिर से मजे के महासागर में डुबकियां लगाने लगी। मेरे मुँह से बहुत जोर की सिसकियां निकल रही थी।
राधा हम तीनों को देखकर फिर से गर्म हो गई।
8-10 धक्कों के बाद ही मेरा शरीर फिर से अकड़ते हुए झटके खाने लगा और मजे से मेरी आँखें बंद होने लगी, और आअहहह... करते हुए मैं झड़ने लगी। इस बार झड़ते हुए मोहित और प्रवीण बहुत जोर-जोर से मेरे दोनों छेदों में अपने लण्ड अंदर-बाहर करने लगे, जिससे मेरे पूरे शरीर में मजे का अहसास होने लगा। दोनों के बीच में पिसते हुए मुझे बहुत मजा और खुमार चढ़ गया था। कुछ देर बाद जब मैंने आँखें खोली तो वो दोनों अब भी मेरी चुदाई कर रहे थे।
अब दो बार झड़ने के बाद मेरा पूरा शरीर दुख रहा था और मेरे दोनों छेदों में जलन हो रही थी। मैंने मोहित से कहा- “मुझे छोड़ो, मेरे दोनों छेदों में बहुत जोर की जलन हो रही है...”
मोहित ने कहा- “साली अपना काम निकालकर अब कह रही है की मुझे छोड़ो...”
मैंने कहा- “राधा भी तो खड़ी है उस चोदो। बेचारी कब से यूँ ही हमें देख रही है...”
मोहित राधा का नाम सुनकर शांत हो गया और प्रवीण को मेरे ऊपर से उठने को कहा। प्रवीण ने अपना लण्ड मेरी चूत से निकाल दिया। उसका लण्ड मेरी चूत के रस से भीगा हुआ था।
ऊईई.. इस्स्स्स
...” दर्द और मजे के मिले जुले अहसास के साथ मेरे मुँह से एक चीख निकल गई।
प्रवीण का आधा लण्ड मेरी चूत में घुस चुका था। प्रवीण अपने आधे लण्ड को ही मेरी चूत में अंदर-बाहर करने लगा। मोहित चुपचाप अपना पूरा लण्ड डाले हुए लेटा हुआ था। अपने हाथों से मेरी चूचियों से खेल रहा था।
अपनी गाण्ड और चूत में दो-दो लण्डों की रगड़ के अहसास से मेरा पूरा शरीर मजे और दर्द के अहसास से पशीने में भीग चुका था और मेरी साँसें बहुत तेजी के साथ ऊपर-नीचे हो रही थीं। एक अनोखे मजे के अहसास से मेरा पूरा शरीर काँप रहा था। मेरे पूरे शरीर में चींटियां रेगने लगी और मेरा पूरा शरीर अकड़ने लगा। मुझे आज तक अपनी चुदाई में इतना ज्यादा मजा कभी नहीं आया था, जितना आज आ रहा था। इस अनोखे मजे के अहसास के साथ मेरी आँखें बंद होने लगी और मेरे पूरे शरीर की ताकत मेरी चूत में भर गई।
मेरी चूत में जैसे आग लग चुकी थी- आअह्ह... इस्स्स्स ऊहह...” करते हुए मेरी चूत से पानी की नदियां बहने लगी। मेरी चूत से पानी निकलते वक़्त मुझे अपनी जिंदगी का सबसे अनोखा और बेहतरीन मजा महसूस हो रहा था जैसे मैं किसी स्वर्ग में पहुँच चुकी थी। मेरी चूत से न जाने कितनी देर तक पानी बहता रहा। जितनी देर तक मेरी चूत से पानी निकलता रहा मैं एक नई मजे की दुनियां का सैर करने लगी। जब मैंने अपनी आँखें खोली तो मेरी आँखों में अभी तक उस मजे का खुमार था।
प्रवीण ने अब अपने लण्ड को बहुत जोर से अंदर करते हुए मेरी चूत में पूरा घुसा दिया। मेरी चूत गीली होने की वजह से मुझे कोई खास दर्द नहीं हुआ, और वो अपने पूरे लण्ड के साथ मुझे चोदने लगा। प्रवीण के कुछ धक्कों के बाद उसका लण्ड मेरी चूत में बिल्कुल सेट हो गया। मोहित भी मेरी गाण्ड में अपने लण्ड से हल्के-हल्के धक्के देने लगा, पर उसे धक्के लगाने में तकलीफ हो रही थी। कुछ ही देर में वो दोनों अपने लण्डों को एक साथ अंदर-बाहर करने लगे।
प्रवीण जैसे ही अपने लण्ड को मेरी चूत से बाहर निकलता मोहित अपने लण्ड को मेरी चूत में डाल देता और प्रवीण के लण्ड को अंदर घुसाते ही मोहित अपने लण्ड को बाहर कर देता। मैं उन दोनों के बीच में फिर से मजे के महासागर में डुबकियां लगाने लगी। मेरे मुँह से बहुत जोर की सिसकियां निकल रही थी।
राधा हम तीनों को देखकर फिर से गर्म हो गई।
8-10 धक्कों के बाद ही मेरा शरीर फिर से अकड़ते हुए झटके खाने लगा और मजे से मेरी आँखें बंद होने लगी, और आअहहह... करते हुए मैं झड़ने लगी। इस बार झड़ते हुए मोहित और प्रवीण बहुत जोर-जोर से मेरे दोनों छेदों में अपने लण्ड अंदर-बाहर करने लगे, जिससे मेरे पूरे शरीर में मजे का अहसास होने लगा। दोनों के बीच में पिसते हुए मुझे बहुत मजा और खुमार चढ़ गया था। कुछ देर बाद जब मैंने आँखें खोली तो वो दोनों अब भी मेरी चुदाई कर रहे थे।
अब दो बार झड़ने के बाद मेरा पूरा शरीर दुख रहा था और मेरे दोनों छेदों में जलन हो रही थी। मैंने मोहित से कहा- “मुझे छोड़ो, मेरे दोनों छेदों में बहुत जोर की जलन हो रही है...”
मोहित ने कहा- “साली अपना काम निकालकर अब कह रही है की मुझे छोड़ो...”
मैंने कहा- “राधा भी तो खड़ी है उस चोदो। बेचारी कब से यूँ ही हमें देख रही है...”
मोहित राधा का नाम सुनकर शांत हो गया और प्रवीण को मेरे ऊपर से उठने को कहा। प्रवीण ने अपना लण्ड मेरी चूत से निकाल दिया। उसका लण्ड मेरी चूत के रस से भीगा हुआ था।