25-01-2019, 11:00 AM
मोहित का लण्ड मेरे मुँह में जाते ही अकड़ने लगा और पूरा तनकर उसका आधा लण्ड ही मेरे मुँह को भरने लगा। मैंने मोहित के लण्ड को अपने मुँह से निकालते हुए उसके सुपाड़े पर अपनी जीभ फिराई और फिर अपनी दोनों टाँगें फैलाकर मोहित के लण्ड को अपनी चूत के छेद पर टिकाते हुए अपने वजन के साथ उसपर बैठ गई। मोहित का लण्ड मेरी चूत में जड़ तक घुसते ही मजे के मारे मेरे मुँह से ‘आअह्ह्ह' की सिसकी निकल गई। मैं मोहित के लण्ड पर अपने चूतड़ों को ऊपर-नीचे करने लगी।
मोहित का लण्ड मेरी चूत की दीवारों को तेजी से रगड़ता हुआ अंदर-बाहर होने लगा और मैं मजे के मारे बहुत जोर से ऊपर-नीचे होने लगी। मोहित के लण्ड पर जोर से बैठने से उसका लण्ड मेरी बच्चेदानी पर ठोकरें मार रहा था, और मेरा पूरा शरीर मजे से काँप रहा था।
मोहित ने मेरी हिलती हुए चूचियों को अपने हाथों में ले लिया, और बहुत जोर से उन्हें मीसने लगा। मोहित ने मेरी चूचियों को को मीसते हुए करुणा को अपने पास बुला लिया और मेरी चूचियों को छोड़कर उसकी छोटी-छोटी चूचियों को अपने हाथों से सहलाते हुए अपने मुँह में भरकर चूसने लगा।
करुणा की चूचियां मोहित के मुँह में जाते ही उसका लण्ड मेरी चूत में और ज्यादा कड़क और मोटा होने लगा,
और मेरी चूत की दीवारों को बहुत जोर से रगड़ने लगा। मैं उसके कड़क और मोटे लण्ड को अपनी चूत में ज्यादा देर तक बर्दाश्त नहीं कर सकी और मेरा पूरा बदन अकड़ने लगा। मेरी चूत के होंठ मोहित के लण्ड पर सिकुड़ने लगे और मैं बहुत जोर से मोहित के लण्ड पर उछलने लगी। मोहित भी मुझे नीचे से बहुत जोर के धक्के लगाने लगा। मेरी चूत झटके खाते हुए मोहित के लण्ड पर झड़ने लगी और मैं ‘आअह्ह... आह्ह्ह...' करते हुए बहुत जोर से अपनी चूत को मोहित के लण्ड पर उछालते हुए झड़ने लगी। मेरी आँखें मजे से बंद हो गई और मैं न जाने कितनी देर तक मोहित के लण्ड पर पानी गिराती रही।
मैं पागलों की तरह मोहित के लण्ड पर कूद रही थी, मेरा पूरा शरीर पशीने में भीग चुका था। मैं पूरा झड़कर थक हारकर हॉफते हुए मोहित के ऊपर ढेर हो गई।
मोहित मेरे होंठों को चूमते हुए मुझे अपने ऊपर से उठाकर साइड में बेड पर लिटा दिया। मोहित का लण्ड मेरी चूत से निकलकर सीधा तंबू की तरह खड़ा उछल कूद रहा था और वो मेरी चूत के पानी से भीगा हुआ चमक रहा था।
करुणा मोहित के लण्ड को खा जाने वाली नजरों से देखते हुए नीचे होने लगी। वो लण्ड के बिल्कुल करीब पहुँचकर उसे नीचे से अपने हाथ में पकड़ लिया और अपनी नाक के करीब लाकर उसकी गंध सँघने लगी। करुणा को मेरी चूत और मोहित के लण्ड के मिलेजुले वीर्य की महक बहुत अच्छी लग रही थी, क्योंकी वो अपनी आँखें बंद करके बहुत जोर से साँसें खींचते हुए मोहित के लण्ड को सँघ रही थी।
करुणा ने अपनी आँखें खोलते हुए मोहित के लण्ड को देखा और अपनी जीभ निकालकर उसके सुपाड़े पर लगा हुआ प्री-कम चाट लिया। करुणा को प्री-कम का स्वाद बहुत अच्छा लगा इसीलिए उसने अपनी जीभ से मोहित के पूरे लण्ड को चाटकर साफ कर दिया। करुणा ने मोहित के लण्ड को अपनी मुट्ठी में काबू करते हुए अपनी जीभ को उसके सुपाड़े के छेद में फिराने लगी।
करुणा की जीभ अपने सुपाड़े के छेद में महसूस होते ही मोहित काँप उठा- “आअह्ह्ह...”
मोहित का लण्ड मेरी चूत की दीवारों को तेजी से रगड़ता हुआ अंदर-बाहर होने लगा और मैं मजे के मारे बहुत जोर से ऊपर-नीचे होने लगी। मोहित के लण्ड पर जोर से बैठने से उसका लण्ड मेरी बच्चेदानी पर ठोकरें मार रहा था, और मेरा पूरा शरीर मजे से काँप रहा था।
मोहित ने मेरी हिलती हुए चूचियों को अपने हाथों में ले लिया, और बहुत जोर से उन्हें मीसने लगा। मोहित ने मेरी चूचियों को को मीसते हुए करुणा को अपने पास बुला लिया और मेरी चूचियों को छोड़कर उसकी छोटी-छोटी चूचियों को अपने हाथों से सहलाते हुए अपने मुँह में भरकर चूसने लगा।
करुणा की चूचियां मोहित के मुँह में जाते ही उसका लण्ड मेरी चूत में और ज्यादा कड़क और मोटा होने लगा,
और मेरी चूत की दीवारों को बहुत जोर से रगड़ने लगा। मैं उसके कड़क और मोटे लण्ड को अपनी चूत में ज्यादा देर तक बर्दाश्त नहीं कर सकी और मेरा पूरा बदन अकड़ने लगा। मेरी चूत के होंठ मोहित के लण्ड पर सिकुड़ने लगे और मैं बहुत जोर से मोहित के लण्ड पर उछलने लगी। मोहित भी मुझे नीचे से बहुत जोर के धक्के लगाने लगा। मेरी चूत झटके खाते हुए मोहित के लण्ड पर झड़ने लगी और मैं ‘आअह्ह... आह्ह्ह...' करते हुए बहुत जोर से अपनी चूत को मोहित के लण्ड पर उछालते हुए झड़ने लगी। मेरी आँखें मजे से बंद हो गई और मैं न जाने कितनी देर तक मोहित के लण्ड पर पानी गिराती रही।
मैं पागलों की तरह मोहित के लण्ड पर कूद रही थी, मेरा पूरा शरीर पशीने में भीग चुका था। मैं पूरा झड़कर थक हारकर हॉफते हुए मोहित के ऊपर ढेर हो गई।
मोहित मेरे होंठों को चूमते हुए मुझे अपने ऊपर से उठाकर साइड में बेड पर लिटा दिया। मोहित का लण्ड मेरी चूत से निकलकर सीधा तंबू की तरह खड़ा उछल कूद रहा था और वो मेरी चूत के पानी से भीगा हुआ चमक रहा था।
करुणा मोहित के लण्ड को खा जाने वाली नजरों से देखते हुए नीचे होने लगी। वो लण्ड के बिल्कुल करीब पहुँचकर उसे नीचे से अपने हाथ में पकड़ लिया और अपनी नाक के करीब लाकर उसकी गंध सँघने लगी। करुणा को मेरी चूत और मोहित के लण्ड के मिलेजुले वीर्य की महक बहुत अच्छी लग रही थी, क्योंकी वो अपनी आँखें बंद करके बहुत जोर से साँसें खींचते हुए मोहित के लण्ड को सँघ रही थी।
करुणा ने अपनी आँखें खोलते हुए मोहित के लण्ड को देखा और अपनी जीभ निकालकर उसके सुपाड़े पर लगा हुआ प्री-कम चाट लिया। करुणा को प्री-कम का स्वाद बहुत अच्छा लगा इसीलिए उसने अपनी जीभ से मोहित के पूरे लण्ड को चाटकर साफ कर दिया। करुणा ने मोहित के लण्ड को अपनी मुट्ठी में काबू करते हुए अपनी जीभ को उसके सुपाड़े के छेद में फिराने लगी।
करुणा की जीभ अपने सुपाड़े के छेद में महसूस होते ही मोहित काँप उठा- “आअह्ह्ह...”