Posts: 3
Threads: 1
Likes Received: 5 in 3 posts
Likes Given: 0
Joined: Nov 2023
Reputation:
0
नमस्कार ,
सभी स्टोरी पड़ने वाले भोले भले भाइयो और खुबसूरत कामुक ओर तडपते जिस्म की मालिकाओ को अलोक का पहला कामुक नमस्कार l
में कई सालो से सेक्स स्टोरी पड़ता आया हु और उसे अपने आस पास महसूस भी करता आया हु कल्पनाओ का सागर बहुत विशाल है जिसकी कोई सीमा नहीं है आशा करता हु आप भी उसी सागर में गोता लगाते होंगे, मेरा मानना है की एक कहानी को वही सही समझ सकता है जिसकी खुद की कोई कल्पना हो इसी लिए अपने थ्रेड को अपनी खुद की कहानी से शुरू कर रहा हु मानता हु इसमें कई गलतिया होनी लाजमी है तो आपसे निवेदन है सुझाव देते रहे
Posts: 3
Threads: 1
Likes Received: 5 in 3 posts
Likes Given: 0
Joined: Nov 2023
Reputation:
0
05-11-2023, 07:18 PM
(This post was last modified: 05-11-2023, 07:20 PM by Alok_rj07. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
नमस्कार मेरा नाम अलोक है में एक छोटे से शहर में रहता हु, शहर छोटा है इसलिए नाम जानकर क्या ही करेंगे बात करते है मुद्दे की कहानी की सुरवात एक मोड़ से करते है
कुमार साहब का पूरा नाम राज कुमार था फोज से रिटायर हो चुके थे अभी 62 साल की उम्र है और अभी भी स्वस्थ है फोज से छुटी लेकर अपना खुद का व्यापार चालु किया और भगवान की कृपा से चल भी निकला और अब अपने परिवार के साथ खुश है
कुमार साहब की पत्नि कोमल, गाव की भोली भाली लड़की थी ...(“ थी” उसपर गोर करना आगे कहानी के अलग मोड़ है ) कुमार साहब से शादी के वक्त 22 साल की थी सगाई 16 साल की उम्र में हुई थी पर शादी होते होते 22 की हो गई (ये 6 साल की कहानी अलग होगी “कोमल की तन्हाई” आगे कभी ) जब कोमल से कुमार साहब की सगाई हुई उस समय कुमार साहब 26 साल के थे कोमल से 10 साल बड़े और क्यूंकि सेना में थे और कोमल उम्र से पहले बड़ी हो रही थी तो कोमल के पिता ने अपने दोस्त के बेटे राज से उसकी सगाई करवाकर रिजर्वेशन करा लिया था
शादी के वक्त कोमल 22 की और राज 32 साल के थे पर एस 10 साल के अन्तर का कोई फर्क नहीं पड़ता था
अभी कुमार साहब के 2 बेटे है कुमार साहब का अपना व्यापार है तो बड़े बेटे का ट्रांसपोर्ट का काम है जो की स्वाभाविक रूप से कुमार साहब के व्यापार से ही प्रभावित है बड़े बेटे का नाम कुश है और उसकी पत्नि नेहा है उनके दो बच्चे है एक लड़का और एक लड़की (इनकी अलग कहानी है अलग से )
दूसरा बेटा तरुण है और उसकी अभी-अभी शादी हुई है सुमन के साथ
सुमन अपने रूम में एक तंग लाल चोली और महंगे लहंगे में, सर से पाव तक गहनों में लदी, सिर पर घुंघट डाले बेठी है और इंतजार कर रही है अपने पति तरुण का, रात के 11 बज गए है अभी 6 घंटे पहले ही वह सुसराल आई है और शादी के जोड़े में ही है इतना भी टाइम नहीं मिला की वो अपने सुहागरात के लिए कपडे बदल सके, सुमन ने अपनी शादी से ज्यादा तयारी की थी अपनी सुहाग रात के लिए,
तरुण के चंचल स्वाभाव को देखते हुवे उसने सारी तयारी की थी हालंकि तरुण के बारे में सारी बात कुश से पता चली है अजीब है पर शादी से पहले सुमन की अधिकतर बात कुश से हुई है
सुमन से अपनी पूरी बॉडी को वेक्स कराया और पुरे 21 दिन का ब्यूटी ट्रीटमेंट लिया अपने पुरे हाथ और पैर के साथ-साथ अपनी इनर थाई और निपल के निचे सीने की गोलाइयो पर और अपनी योनी के पास महंदी लगवाई थी , वेसे तो वो टेटू बनवाना चाहती थी पर उसे डर था की उसके पति को पसंद आयेगा या नहीं
सुमन का पूरा बदन चन्दन की लकड़ी की तरह चमक रहा था और उस बदन पर सोने के गहने व् लाल जोड़ा क़यामत ला रहे थे रेसम से बालो का जुड़ा बना हुवा था पतली गर्दन पर सजा उसका चहरा जिसपर मोटी –मोटी आँखे काजल से और भी खुबसूरत लग रही थी तीखी नाक के दोनों तरफ गोल गाल और सुमन के होठ अलग ही क़यामत थे दोनों होठ चेहरे से बहार उठे हुवे संतरे की दो फंको के जेसे उभार लिए हुवे और उनपर लाल रंग किसी को भी एक टक निहारने को मजबूर कर दे पतली गर्दन से निचे से उठाव लेता सीने की चढ़ाई उसकी चोली से बहार झांकते उसके उभारो पर जाकर ख़तम हो रही थी उसकी हर साँस के साथ आपस में रगड़ रही गोलाइयो में अलग सी चमक थी महंगी चोली का डीप नेक दोनों उभारो की घाटी को और भी कामुक बना रहा था उसके स्तनों की भरपूर गोलाइयो के तुरंत बाद उसकी चोली के बॉर्डर से कुल्हो तक सुराही की तरह उसकी कमर जिसके अंत में एक थोड़ी सी चर्बी लिए कमर की गोलाई जो उसकी नाभि से 4 इंच निचे तक है गहरी गोल और चिकनी नाभि के चारो और का बवंडर सा घुमाव जो देखने वालो को छुने और चूमने के लिए मजबूर कर दे, पेट के इस घुमाव से निचे बंधा उसका लहंगा जो साफ़ जाहिर कर रहा था की उसके अंदर क़यामत लेन वाले कुल्हे है जो सुमन के चलने पर पुरे लहंगे हो हिला कर अपनी उपस्थिति जाहिर कर रहे थे
रात 11 बजे तरुण कमरे में दाखिल हुवा और आते ही अपने चंचल स्वाभाव के अनुसार बोलता है
तरुण:- लो सुमन जी आ गया में और मेरे साथ आपका वो वक्त जिसका आप बेसब्री से इंतजार कर रही थी मतलब आज हमारी सुहागरात है” कहकर सुमन के सामने बेठ जाता है
सुहाग की सेज पर जो फूलो से सजी थी
तरुण:- मेने सुना है लडकियों को बहुत जिज्ञासा होती है जल्दी होती है और खुजली मचती है अपनी सुहाग रात की, ऐसा क्या होता है सुहाग रात को ?
सुमन :- मन में “मेरी खुसी और तयारी की तो एसीतेसी हो गई है अब में क्या बोलू “ और ना में सर हिला देती है
तरुण:- क्या पता नहीं है क्या होता है सुहागरात में ?
सुमन कुछ नहीं बोलती
तरुण आगे खिशक कर सुमन के हाथ जो उसके घुटनों पर थे उनपर रख देता है सुमन सहम जाती है
तरुण:- मुझसे सरमा रही हो
सुमन हा में सर हिलती है
तरुण:- आज तो सर्माना बनता है पहली बार है थोड़े समय बाद मुझे चुप रहना पड़ेगा सर्माकर नहीं मेडम के आगे डर कर
“ मुझसे क्यों डरोगे” अचानक सुमन बोल पड़ती है और फिर अपनी बात पर शर्माकर गर्दन निचे झुका लेती है तरुण सुमन के चहरे को अपनी अंगुली से ऊपर उठा कर “ हे भगवान इतनी सुरीली आवाज का चेहरा तो दिखाओ “
तरुण सुमन का चेहरा ऊपर कर देखता है सुमन घूँघट में थी पर उसके गाल और होठ दिख रहे थे तरुण का जो हाथ सुमन के हाथ पर था उससे वो सुमन का हाथ पकड़ कर उसे चूम लेता है
सुमन का पूरा शरीर झनझना उठता है साथ ही उसका सीना भी हिलता है जिसे से उसके दोनों स्तन कम्पन करते है सुमन की छातियो का हिलना तरुण के लिंग पर असर डालता है और पायजामे में हलचल होती है तरुण अपने आप पर काबू कर सुमन के हाथ में एक पेकेट रख देता है जो कोई ज्वेलरी बॉक्स था
सुमन उस ज्वेलरी बॉक्स को देखती है और उसे अपनी सहेली की बात याद आती है “ अपनी छातियो के रस्ते झांघो के बिच जाने के रस्ते का टोल लेना मत भूलना “ ये याद करते ही सुमन का सीना और तेजी से धडकने लगता है और साथ ही उसके स्तन और फूलकर बहार आ जाते है उसकी जांघो के बिच उसकी चूत पर फुलावट के साथ सनसनाहट होने लगती है जेसे कह रही हो आ गया मेरा वक्त खेलने का
तरुण:- अब आपकी इजाजत हो तो में आपका चेहरा देख लू?
सुमन मन में :- अब टोल दे दिया है तो आगे चलो टोकन तो देखना ही है
तरुण आगे बढकर उसका घूँघट उठा देता है और घूँघट हटाते ही जो नजारा उसे देखने को मिलता है उसे देख कर वो अपनी कल्पना में खो जाता है कहा से तारीफ करे किस की तारीफ करे आँखों की तारीफ पहले की तो होठ बुरा मान जायेंगे, होटों को पहले की तारीफ पहले की तो सुर्ख लाल गाल का क्या होगा तरुण ये सोचते सोचते काफी समय हो गया तो सुमन ने अपनी आँखे खोली और देखा इतना सन्नाटा क्यों है जब देखा तो उसे तरुण उसके चेहरे को निहार रहा था, ये देख सुमन सरमा गई और मुशकुराते हुवे दूसरी तरफ देखने लगी जिससे तरुण का ध्यान हटा और वो झेपते हुवे बोला “अरे पहले कभी इतनी खुबसूरत लड़की नहीं देखि तो खो गया था तुम्हारी खूबसूरती में, यक़ीनन भईया मेरे लिए चाँद का टुकड़ा लेकर आये है “
कुश का नाम सुनते ही सुमन कुछ सोचती है और वापिस तरुण की तरफ देखती है पर कहती कुछ नहीं
तरुण, सुमन को अपनी तरफ देखते पर उसकी आँखों में देखता है और थोडा आगे बढकर कहता है :” अगर सुमन तुम इजाजत दो तो तुम्हारी खूबसूरती पर में बाद में पूरी किताब लिख दूंगा, पर अभी मुझे सब्र नहीं हो रहा और में ये भी जानता हु की तुम भी इस दिन का लम्बे समय से इंतजार कर रही हो “ यह कहकर तरुण आगे बढता है और सुमन के माथे को चूम लेता है , सुमन तरुण के चूमने पर सिमट जाती है
तरुण एक बार फिर सुमन की आँखों में देखता है और उसका नाम पुकारता है
सुमन तरुण की तरफ देखती है और एक प्यारी सी मुस्कान के साथ उसे रजामंदी दे देती है
तरुण आगे बढ़ता है और अपने होठ सुमन के होठो से छु कर वापिस पीछे हो जाता है सुमन एक लम्बी साँस लेकर तरुण की तरफ देखती है तरुण वापिस सुमन के और बढकर फिर उसे हल्का सा चूमता है पर इस बार एक सेकेण्ड के लिए और वापिस पीछे हो जाता है सुमन पीछे हटते तरुण की आँखों में देखती रहती है तरुण फिर आगे बढता है और इस बार दो सेकेण्ड सुमन के होटो को चूमने के साथ साथ अपने दोनों हाथ सुमन के कंधो पर रख देता है और वापिस पीछे हट जाता है इस बार पीछे आने पर उसके हाथ सुमन के कंधो पर ही रहते है दोनों एक दुसरे की आँखों में देख रहे थे पीछे हटने पर सुमन का ध्यान तरुण के हाथो पर जाता है जो उसके कंधो पर थे जहा पर उसकी चोली का बाजु चालू होता है, सुमन अपने हाथ आगे लेजाकर तरुण के बाजुओ पर रख देती है दोनों की साँस तेज चल रही थी सुमन का सीना उसकी भारी स्तनों के साथ ऊपर निचे हो रहे थे दोनों एक दुसरे की आँखों में देख रहे थे और इस बार जब तरुण आगे आया तो सुमन भी थोडा आगे आई और साथ साथ दोनों के बाजु आगे सरकने लगे तरुण के होठ सुमन के होठ से जा लगे और एक सभ्य चुम्बन की के साथ तरुण के हाथ सुमन की पीठ पर थे और सुमन के हाथ तरुण के गले में पांच सेकेण्ड के चुम्बन के बाद तरुण ने चुम्बन तोडा और सुमन की आँखों में झाँका तो सुमन ने उसकी आँखों में देखते हुवे तरुण के गले में अपनी बांहे कास ली और अपने होठ तरुण के होटों से लगा लिए, तरुण के हाथ जो सुमन की पीठ पर थे वो कस गए,सुमन के होठ कम्पन के साथ तरुण के होठो से चिपके हुवे ही खुल गए, तरुण के होठो को सुमन के होठो के बीच रास्ता मिल जाता है वो सुमन के निचे के होठ को अपने होठो में लेकर चूस लेता है जिसके जवाब में सुमन तरुण के ऊपर के होठ को अपने दोनों बड़े होठो के बिच लेकर चूस लेती है और एक बार चूसकर दोनों रुक जाते है और एक दुसरे की सांसो को महसूस करते है तरुण सुमन की अगली हरकत का इंतजार करता है सुमन समझ जाती है और अपना एक हाथ तरुण के सर के पीछे लेजाकर एक बार फिर चूसती है तरुण सुमन की नंगी पीठ पर हाथ फेरते हुवे सुमन के होठ को चूसता है दोनों एक लम्बी साँस लेकर दो इंच पीछे हटकर एक दुसरे की आँखों में देखते है दोनों की आँखों में नशा साफ़ दिख रहा था और फिर एक साथ आगे बढकर एक दुसरे के होठो को चूसने लगते है सुमन के हाथ तरुण के सर पर कंधो पर और गालो पर घूम रहे थे धीरे धीरे सुमन के चूमने व् चूसने की गति बदती जा रही थी क्युकी तरुण के हाथ सुमन के जिस्म पर घूम रहे थे
करीब पांच मिनट तक एक दुसरे को चूमने और चूसने के बाद दोनों अपना चहरा पीछे करते है और एक दुसरे की आँखों में देखते है दोनों की सांसे तेज हो रही थी सुमन की सांसो की कारण उसका सीना ऊपर निचे हो रहा था और तरुण की सीने से चिपके होने के कारण सुमन की छातियो के उभार निकल कर बहार आ रहे थे तरुण झुककर उसके एक उभार पर के चुम्बन देकर सुमन की तरफ देखता है सुमन अपनी सांसो पर काबू कर चुकी थी वो तरुण की गर्दन के पीछे जो हाथ था उससे उसके बाल को सहलाते हुवे अपने दोनों बड़े बड़े होठो में तरुण के होठ को लेकर चूसने लगती है क्युकी तरुण का एक हाथ उसकी नंगी पीठ पर था और दूसरा अब उसकी पतली नाजुक कमर पर घूम रहा था करीब 10 मिनट तक दोनों एक दुसरे के होठो को चूसते रहे और इस दोरान तरुण के हाथ सुमन की पीठ, कमर बाजु पर घूमते रहे
इनके इस प्रेम मिलाप की सुरवात के दोरान सुमन साडी निचे सरक गई थी पर कंधे पर लगी पिन पर अटकी हुई थी सुमन का लहंगा पैर से पिंडलियों तक ऊपर आ गया था
दस मिनट की लबो की चुसाई के बाद वो अलग हुवे तरुण ने सुमन को कमर से थाम लिया और सुमन लम्बी लम्बी सांसे लेते हुवे पीछे की और अपने पंजो का सहारा लेकर गर्दन पीछे करके, ऊपर चेहरा करके रुक जाती है
अब सीन ये था की सुमन सुहागरात की सेज पर अपना एक पैर मोड हुवे, घुटनों तक लहंगा सरका हुवा, दोनों हाथ कमर से पीछे गर्दन पीछे किये हुई थी जिससे उसका सीना और बहार निकल कर आ गया था पतली कमर के ऊपर दो बड़ी बड़ी छातिया हर साँस के साथ चोली को फाड़ कर बहार आने को उतावली हो रही थी
तरुण अपना बाया हाथ आगे बढाता है और सुमन की दाई छाती पर रख देता है पर दबाता नहीं है अपनी छाती पर हाथ महसूस करके सुमन नशीली आँखों से तरुण की आँखों में देखती है तरुण सुमन की आँखों में देखते हुवे उसकी छाती को होल से दबाता है सुमन मस्ती में आह भरते हुवे तरुण की आँखों में देखते हुवे उसके हाथ पर अपना हाथ रख देती है पर हटाती नहीं है तरुण की आँखों में देखते हुवे नशीली आँखों से हलकी मुस्कान के साथ तरुण के हाथ को दबा देती है
सुमन से इशारा मिलते ही तरुण सुमन की पूरी छाती को दबाने लगता है और दांया हाथ जो कमर पर था उस से कमर के मास को हाथ में मसल देता है सुमन की मस्ती में एक लम्बी आह्ह निकल जाती है “आह्ह्ह्ह जानूऊऊऊउ “ये पहली बार था जब सुमन ने तरुण को कुछ बोला था
“में तुम्हारा जानू हु?” तरुण पूछता है
सुमन मस्ती में मुश्कुरा कर हाँ में सर हिलाती है और दूसरी और देखने लगती है
“तो तुम मेरी क्या हो ?”
“जानुड़ी “ सुमन दूसरी तरफ देखते हुवे बोलती है और जो हाथ तरुण के हाथ पर था उसकी छाती के ऊपर उसे दबा देती है
तरुण इशारा मिलते ही वापिस सुमन की छतिया मसलने लगता है और छातिया मसलने पर सुमन आगे आ जाती है और अपना बाया हाथ जिससे उसने अभी तक पीछे सहारा लिया था वो तरुण के सीने पर रख कर उसकी आँखों में देखते हुवे, अपनी छतिया मसल्वाते हुवे पूछती है
“बोल सकती हु ना? “
“क्या?”
“जानू”
“किसको”
खीज कर “ आपको और किसको”
“में हु क्या?”
“हा”
“आपका जानू”
“हाँ”
“साबित करो”
सुमन पहली बार बोलती है नशीली आवाज में ”- अपना सब कुछ छोड़ कर, अपने आप को सजा सवार कर आपकी बांहों में आपके बिस्तर पर पूरी तरह से बिछ जाने को तेयार बेठी हु, आप मेरे जानू हो तभी तो, और आप मेरे जानू हो तभी मेरी छातियो को ऐसे मसल रहे हो जेसे इतने सालो से मेने ईसी लिए इन्हें संभाल कर रखा है मेरे लबो पर आपका अधिकार है चूसने का क्युकी आप मेरे जानू हु और भी बहुत कुछ है जो आगे आपको मिलेगा क्युकी आप मेरे जानू हो
तरुण :- मेने आज तक सुना था की लडकिया सुहागरात में कहती है आप मेरे पति परमेश्वर है वगहरा बहुत सारे कारण के साथ पर जानू ... ठीक है ये भी
तरुण यह कहकर उसे अपने पास खिंच लेता है और छातियो को मसलते हुवे कमर को सहलाते हुवे सुमन की आँखों में देखते हुवे कहता हैं
तरुण:- पर मेरे लिए तो तुम्हारे ये होठ ही मेरी जान निकालने के लिए काफी है इसलिए यही मेरी जानुड़ी है
कहकर अपने होठो से सुमन के होठो को चुसना शुरू कर देता है
पहले की चुसाई और इस चुसाई में अंतर ये था की इस बार चुसाई के साथ साथ तरुण के हाथ सुमन की चोली की डोर में उलझे हुवे थे
सुहागरात जरी है :----
आगे क्या होता है जानने की लिए और कहानी का भरपूर मजा लेने के लिए मेरा होंसला बढ़ाये
Posts: 116
Threads: 0
Likes Received: 34 in 30 posts
Likes Given: 0
Joined: Jan 2021
Reputation:
0
•
Posts: 168
Threads: 0
Likes Received: 41 in 40 posts
Likes Given: 824
Joined: Nov 2023
Reputation:
3
•
|